Thursday, September 1, 2016

सीएलयू मामले में ढींगरा आयोग की रिपोर्ट सौंपी जस्टिस ढींगरा ने, हुड्डा वाड्रा पर एफआईआर की सिफारिश

हरियाणा के गुड़गांव में जमीनों के सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) और कॉमर्शियल कालोनियों के लाइसेंस देने में पिछली भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने अनियमितताएं बरती हैं। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुखिया के नाते इन अनियमितता के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को
अभियुक्त ठहराया गया है। इस काम में करीब आधा दर्जन वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जिन्होंने सरकार के इशारे पर नियमों की कोई परवाह नहीं की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगरा ने वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील मामले में करीब साढ़े 14 माह की जांच-पड़ताल के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 182 पेज की यह रिपोर्ट दो हिस्सों में है। तीसरे हिस्से में उन दस्तावेजों को रखा गया है, जो उन्हें 30 जून 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले अचानक मिले थे। रिपोर्ट के इस पार्ट को संलग्नक में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन जस्टिस ढींगरा ने कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। यदि सरकार चाहेगी तो उनकी व्यापक परिप्रेक्ष्य में जांच आगे बढ़ाई जा सकती है। जस्टिस ढींगरा दोपहर बाद करीब तीन बढ़े चंडीगढ़ पहुंच गए थे। विधानसभा की कार्यवाही बीच में छोड़कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शाम करीब चार बजे उनसे रिपोर्ट हासिल की। जस्टिस ढींगरा आयोग को तीन एक्सटेंशन मिल चुके हैं। उन्होंने जांच अधिनियम के नियमों का हवाला देते हुए रिपोर्ट के तथ्य तो बताने से इन्कार कर दिया, लेकिन यह जरूर कहा कि जमीन और लाइसेंस आवंटन में गड़बड़ियां हुई हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो इस जांच रिपोर्ट की जरूरत ही क्यों पड़ती। सूत्रों के अनुसार जस्टिस ढींगरा ने अपनी जांच रिपोर्ट में राबर्ट वाड्रा की कंपनियों, हुड्डा और कुछ अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश की है। विभिन्न मामलों में छह एफआइआर दर्ज करने की सलाह सरकार को दी गई है। क्या इस रिपोर्ट में वाड्रा या उनकी कंपनियों के नाम शामिल हैं? इस सवाल के जवाब में जस्टिस ढींगरा ने कहा कि यह तो सरकार ही बताएगी, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि कानून व नियमों को ताक पर रखकर कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। मैंने अपनी रिपोर्ट में हर शख्स का जिक्र किया है। वह प्राइवेट भी है। जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारियों ने राजनीतिक इशारे पर प्रभावशाली लोगों को नियमों की अनदेखी करते हुए फायदा पहुंचाया है। काबिल-ए-गौर है कि इस मुद्दे पर लोकसभा और विधानसभा में जमकर राजनीति हुई थी।
58 करोड़ का घोटाला: मामला गु़ड़गांव के शिकोहपुर गांव की साढ़े तीन एकड़ जमीन का है। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने यह जमीन साढ़े सात करोड़ में खरीदी थी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से इसका लैंड यूज बदल दिया गया। इसके बाद जमीन डीएलएफ कंपनी को 58 करोड़ में बेच दी गई। 
इसलिए गठित हुआ ढींगरा आयोग: ढींगरा आयोग का गठन 7 मई, 2015 को हुआ था, लेकिन काम 30 जून से शुरू हो पाया था। सरकार ने शुरू में गुड़गांव के सेक्टर 83 में वाणिज्यिक कॉलोनियों के लिए जारी लाइसेंस की जांच को आयोग का गठन किया था। बाद में गुड़गांव के चार गांवों सिही, शिकोहपुर, खेड़कीदौला और सिकंदरपुर बड़ा में कॉलोनियों के लिए जारी लाइसेंसों की जांच भी आयोग को सौंप दी गई। इन गांवों में सेक्टर 78 से 86 तक का क्षेत्र शामिल है।
  • राबर्ट वाड्रा के नाम पर जस्टिस ने कहा रिपोर्ट में हर प्राइवेट शख्स का जिक्र
  • जस्टिस ढींगरा ने दो पार्ट में पेश की 182 पेज की जांच रिपोर्ट
  • अधिकारियों ने नेताओं के इशारे पर किए गलत काम
  • 30 जून को मिले दस्तावेज रिपोर्ट के साथ अलग से नत्थी किए
  • आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज करने की सिफारिश
  • ढींगरा बोले- अनियमितताएं नहीं होतीं तो रिपोर्ट पेश करने की जरूरत ही क्या थी
  • गुड़गांव जमीन घोटाले पर साढ़े 14 माह की जांच-पड़ताल के बाद आई रिपोर्ट
  • वाड्रा की कंपनियों और पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के विरुद्ध एफआइआर की सिफारिश
  • सीएलयू और कॉमर्शियल कॉलोनियों के लाइसेंस देने में बरती गई थीं अनियमितताएं

मैंने पहले भी कहा था कि यह सरकार बदला और बदली की सरकार है। यह आयोग भी वैधानिक नहीं है। इसकी कोई मान्यता नहीं है। सरकार राजनीतिक दुर्भावना से काम कर रही है। सभी को पता है। सिर्फ एक नहीं, कई मामलों में प्रतिशोध नजर आ रहा है। प्रदेश की जनता सब जानती है।1-भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व सीएम
मैंने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी है। अब यह सरकार का काम है कि वह उसे कब सार्वजनिक करती है। मैंने अपना काम तय समय सीमा में पूरा कर लिया है। रिपोर्ट के कंटेंट इसलिए नहीं बता सकता, क्योंकि अब यह कानूनी तौर पर सरकार की संपत्ति है। 1-जस्टिस एसएन ढींगरा, अध्यक्ष, जांच आयोग
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साभारजागरण समाचार 
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