Sunday, September 27, 2015

नैतिक शिक्षा: दीनानाथ बतरा की किताबें होंगी पाठ्यक्रम में शामिल

हरियाणा सरकार ने अपनी शिक्षा सलाहकार समिति के सदस्य शिक्षाविद् दीनानाथ बतरा की नैतिक शिक्षा पर लिखी पुस्तकों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लिया है। शनिवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा और दीनानाथ बतरा के अलावा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। ‘नैतिक विज्ञान’ विषय नाम से ये किताबें तमाम सरकारी स्कूलों में अगले सत्र से लागू की जा सकती हैं। बैठक में दीनानाथ बत्तरा ने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास पर अधिक से अधिक बल देने के लिए नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि पहली से आठवीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को फेल न करने की नीति समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की तुलना में अच्छी पढ़ाई न होने के बारे में लोगों की धारणा को बदलने के लिए शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के निर्देश भी दिए। बैठक में इस बात की जानकारी दी गई कि केन्द्र सरकार की ओर से तैयार की जा रही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हरियाणा पहला राज्य है, जिसने दो लाख से अधिक व्यक्तियों के फीडबैक व सुझाव ऑनलाइन केंद्र सरकार को भेजे हैं और अब शिक्षा नीति पर राज्य स्तरीय परामर्श बैठक का मसौदा भी तैयार कर लिया गया है, जिसे जल्द केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भविष्य में अध्यापकों के तबादले सेमेस्टर के बीच नहीं किए जाएंगे। जेबीटी अध्यापकों की अंतर जिला स्थानांतरण नीति बनाई गई है। बैठक में शिक्षामंत्री राम बिलास शर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष प्रधान सचिव आरके खुल्लर, शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन, माध्यमिक शिक्षा निदेशक एमएल कौशिक, मौलिक शिक्षा निदेशक रोहताश सिंह खरब, उच्चतर शिक्षा आयुक्त विकास यादव, शिक्षा सलाहकार समिति के सदस्य दीनानाथ बत्तरा, ऋषि गोयल, डॉ. आरवी लांग्यान, मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव भी उपस्थित थे।
विरोध मेरे नाम का है, काम का नहीं: आरएसएस से जुड़े रहे शिक्षाविद् दीनानाथ बतरा ने कहा कि उनकी लिखी पुस्तकों को हिंदुत्व से जोड़कर देखा जा रहा है, जबकि उनकी पुस्तकें हिंदुत्व नहीं नैतिक शिक्षा पर जोर देती हैं। उन्होंने कहा कि ‘दरअसल विरोध मेरे नाम का है, काम के बारे में नहीं’ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के साथ बैठक में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए बतरा ने कहा कि वे हमेशा नैतिक शिक्षा की बात करते रहे हैं और बच्चों को संस्कारी शिक्षा देना बहुत आवश्यक है। बतरा ने बताया कि उन्होंने अपनी किताब में महापुरुषों में से राजा हरिशचंद्र, महात्मा बुद्ध, आर्य भट्ट की कहानियां शामिल की हैं। उन्होंने बताया कि किताबों में गीता के श्लोक शामिल किए गए हैं, लेकिन इनका उपयोग बच्चों को नैतिकता का ज्ञान कराने के उद्देश्य से किया गया है, हिंदुत्व के प्रसार के तौर पर नहीं। 
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साभारअमर उजाला समाचार 

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