Wednesday, August 12, 2015

एमडीयू की मनमानी से 32000 विद्यार्थियों का भविष्य अधर में

एमडीयू की मनमानी के चलते सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में पढ़ने वाले करीब 32 हजार विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। परीक्षा में वीडियोग्राफी के फैसले से नाराज सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन की तरफ से कोर्ट में डाली गई याचिका के बाद बीएड प्रेक्टिकल परीक्षाओं पर रोक लगा दी गई। अब देखना है कि 14 अगस्त को होने वाली सुनवाई में कोर्ट क्या फैसला सुनाता है। एमडीयू से संबद्ध करीब 298 सेल्फ फाइनेंस
कॉलेज हैं। इनमें करीब 32 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। अगस्त में सभी कॉलेजों में बीएड की प्रेक्टिकल परीक्षाएं शुरू होनी थीं लेकिन, एमडीयू प्रशासन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया कि परीक्षाओं की वीडियोग्राफी कराई जाए। यही नहीं वीडियोग्राफी का खर्च भी कॉलेज को खुद ही वहन करना पड़ेगा। इसके विरोध में सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर 4 अगस्त को सुनवाई हुई और कोर्ट ने परीक्षाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए एमडीयू को जवाब देने के लिए कहा। हालांकि अब कोर्ट ने सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तारीख दी है। यदि इस सुनवाई में कोर्ट की तरफ से प्रेक्टिकल कराने का फैसला नहीं आता तो छात्रों के लिए और अधिक परेशानी खड़ी हो सकती है।
तो क्या अपने ही प्रोफेसर पर विश्वास नहीं: सवाल यह है कि बीएड प्रेक्टिकल परीक्षाओं में खुद एमडीयू के प्रोफेसर नॉमनी के तौर पर कॉलेजों में जाते हैं। इसके बाद भी ऐनवक्त पर वीडियोग्राफी कराने का क्या आधार है और वह भी सिर्फ सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों के लिए। जबकि सरकारी कॉलेजों के लिए ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया। इससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमडीयू को अपने ही प्रोफेसरों पर विश्वास नहीं है।
5 अगस्त को हुए प्रेक्टिकल भी होंगे रद्द: 4 अगस्त को हाईकोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया था लेकिन, कुछ कॉलेजों ने जानकारी के अभाव में 5 अगस्त को प्रेक्टिकल करा दिए थे। अब जिन कॉलेजों में परीक्षा हुई वह भी रद माने जा सकते हैं।
बचते रहे एमडीयू के अधिकारी: इस पूरे मामले को लेकर जब एमडीयू के डीन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल सेवा सिंह दहिया ने कहा कि लीगल सेल में सुभाष शर्मा इस मामले को देख रहे हैं। वह ही कुछ बता सकते हैं। सुभाष शर्मा ने रजिस्ट्रार या फिर कंट्रोलर को ही इस बारे में कोई भी जानकारी देने के लिए अधिकृत बताया। जबकि कंट्रोलर डॉ. बीएस सिंधु को लगातार फोन किए जाते रहे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। 
साभार: अमर उजाला समाचार 
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