हम हर रोज अपने ऊपर कितने किलो की चिंता का बोझ लेकर चलते हैं। इसे मापने का तरीका गया है। सिर्फ एक क्विज में भाग लेकर यह पता चल जाएगा कि हमने खुद को कितने किलो के अतिरिक्त बोझ के तले दबा रखा है। आपको ये भी बताया जाएगा कि आपकी चिंता जितने किलो की है, उतना वजन किस जानवर का होता
है। यानी आप अपने ऊपर हर वक्त किस जानवर को ढोते हैं। ब्रिटेन की एक बड़ी इंश्योरेंस कंपनी ने इसके लिए मैथेमेटिकल फॉर्मूला तैयार किया है। उन्होंने इसे 'वेट ऑफ वरी कैलकुलेटर' नाम दिया है। फर्म ने इसकी टेस्टिंग के लिए सर्वे कराया। इसमें पाया कि औसतन हर शख्स अपने ऊपर करीब 225 किलो चिंता का बोझ लेकर चलता है। ये वजन किसी बड़े शेर जितना है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। फर्म ने अपने कैलकुलेटर को एक गेम जैसा बनाया गया है। फर्म की वेबसाइट पर जाकर हर कोई ये क्विज खेल सकता है। ये गेम भारत में भी एक्टिव हो चुका है। आपको एक क्विज से गुजरना होगा। इसमें कुल सात स्लाइड्स हैं। हर स्लाइड में दो या तीन सवाल हैं। हर स्लाइड जिंदगी के किसी एक क्षेत्र के बारे में सवाल करती है। जैसे- आर्थिक, स्वास्थ्य, समाज, निजी, रिश्ते, कामकाज और जनरल। आपको कहीं कुछ लिखने की जरूरत नहीं होगी। ये मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चन्स की तरह होंगे। आपको सिर्फ एक ऑप्शन सेलेक्ट करना है या फिर 10 प्वाइंटर स्केल पर रेटिंग देनी है। क्विज में सभी सवालों के जवाब देने के बाद आपको अंक मिलेंगे। हर क्षेत्र की चिंताओं के लिए अलग-अलग अंक होंगे। ये पता करेगा कि आप हर दिन किस बात पर कितनी देर चिंता करते हैं। वेट ऑफ वरी कैलकुलेटर इन अंकों को उस फॉर्मूले पर सेट करेगा और रिजल्ट देगा। यह रिजल्ट किलोग्राम में होगा। जैसे, अगर आपका रिजल्ट 90 किलो आया। इसका मतलब होगा कि आप हर वक्त अपने ऊपर 90 किलो अतिरिक्त वजन ढो रहे हैं, जिसका सीधा असर आपकी सेहत पर होता है। फर्म ने बताया कि लोग सबसे ज्यादा पैसों के बारे में चिंता करते हैं। इस चिंता का वजन औसतन 69.5 किलो है। इसके बाद उन्हें निजी रिश्तों, करियर, अपने शरीर और लुक्स की चिंता सताती है। इनके अलावा लोगों को सबसे ज्यादा लोग इस बात को लेकर चिंता करते हैं कि दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचते और कहते हैं।
वेट ऑफ वरी कैलकुलेटर डेवलप करने वाली फर्म ने अलग-अलग देशों में सर्वे कराया। करीब एक लाख लोगों ने क्विज में भाग लिया। इसके सवालों के जवाब के आधार पर फर्म ने पाया कि हर शख्स प्रतिदिन औसतन 2 घंटे 28 मिनट का वक्त अलग-अलग बातों पर चिंता करने में बिताता है। रोज का समय मिलाकर साल के करीब 900 घंटे होते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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