Saturday, February 11, 2017

जाट आरक्षण: आज पानीपत में होगी मलिक और सरकार के बीच वार्ता

हरियाणा में चल रहे धरनों के 13वें दिन शुक्रवार को मलिक गुट सरकार से बातचीत के लिए राजी हो गया। सरकार द्वारा गठित कमेटी ने जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को फोन कर बातचीत का न्योता
दिया था। अब पानीपत रिफाइनरी के गेस्ट हाउस में धरने के 14वें दिन शनिवार सुबह 11 बजे से बातचीत होगी। इसमें यशपाल मलिक के नेतृत्व में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों हर धरने से 5 प्रतिनिधियों समेत 100 से ज्यादा जाट नेता शामिल हो सकते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरकार की ओर से चीफ सेक्रेटरी डीएस ढेसी की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय कमेटी बातचीत करेगी। हालांकि, पहले दौर की इस बातचीत में समाधान निकलने के आसार कम ही हैं। सूत्रों के अनुसार बैठक में दोनों पक्ष एक-दूसरे का रुख जानेंगे। इसके बाद कमेटी सीएम को रिपोर्ट देगी। फिर सरकार को कोई फैसला लेगी। उधर, सूत्रों के अनुसार सरकार ने मलिक गुट की ज्यादातर मांगे मानने की तैयारी कर ली है। शुक्रवार को सीएम मनोहर लाल अधिकारियों ने दिनभर मंथन किया। चर्चा है कि फरवरी 2016 में उपद्रव दौरान जाट समुदाय के लोगों पर दर्ज सामान्य अपराध के केस वापस लिए जा सकते हैं। 
केंद्रीय नेतृत्व का दबाव: बताया जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह धरनों को खत्म कराने के लिए राज्य सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। शाह ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के निवास पर जाट नेताओं से बातचीत भी की थी। इसके बाद ही बातचीत की जमीन तैयार हुई। 
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक शुक्रवार को यमुनानगर और पानीपत में कहा, 'पानीपत में प्रथम दौर की वार्ता होगी। सरकार ने हमारी मांगें पहले तीन बार मानी, लेकिन पूरी नहीं की। इस बार धरने सभी 7 मांगें पूरी होने पर ही उठाए जाएंगे।' 
ये हैं सात मांगें:
  1. केंद्र की ओबीसी सूची में जाटों को शामिल किया जाए। 
  2. प्रदेश में आरक्षण पर लगे स्टे को हटवाने के लिए उचित पैरवी कर इसे बहाल कराकर 9वीं सूची में डाला जाए। 
  3. जाट युवाओं पर दर्ज मुकदमे रद्द किए जाएं। 
  4. जेल भेजे लोगों को रिहा किया जाए। 
  5. हिंसा में मारे गए लोगों के आश्रितों, घायलों अपंग हुए लोगों को मुआवजा सरकारी नौकरी दी जाए। 
  6. जातीय द्वेष फैलाने वाले दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। 
  7. कुरुक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी के भाषण की जांच कर सदस्यता रद्द हो। 

सरकार का ये दावा: सीएम के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव ने बताया कि सीबीआई में दर्ज मामले वापस नहीं होंगे। आंदोलन के दौरान हिंसा में 2200 मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें से 1305 वापस हो चुके हैं। जेलों में 70 से अधिक लोग बंद हैं, इनमें से कुछ तो रिहा होने के लिए दस्तावेज पूरे नहीं कर रहे हैं। वहीं, हिंसा के दौरान मारे गए 31 लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने पर सरकार पहले से ही तैयार है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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