यह है रोहतक जिले का गांव भाली आनंदपुर। कभी क्राइम के लिए कुख्यात इस गांव के कुछ युवाओं ने आज अपने सकारात्मक प्रयासों से गांव की छवि ही बदल दी है। जिला मुख्यालय से 7 किमी. दूर स्थित इस गांव के किसी भी बच्चे को किसी भी सब्जेक्ट में कोचिंग की दिक्कत नहीं होती। 5 साल पहले यहां के युवाओं ने गांव के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना शुरू
किया। धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे। कुछ आर्थिक मदद भी मिली। आज 55 रिटायर्ड शिक्षक इनके साथ हैं, जो मुफ्त में कक्षा 4 से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक की तैयारी करवाते हैं। 12 लाख की लागत से एक भवन बन चुका है। इसमें 120 से ज्यादा बच्चे रोज मुफ्त कोचिंग ले रहे हैं। अब तक 22 युवाओं की विभिन्न सरकारी महकमों में नौकरी लग चुकी है। इस भवन में बाल संस्कार केंद्र, सिलाई कंप्यूटर सेंटर, पुस्तकालय, हॉस्टल और जैविक खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यह देखते हुए अब दो और गांवों में यह व्यवस्था शुरू की गई है। इसकी शुरुआत समिति के ग्राम प्रमुख अजमेर सहायक सुनील समेत 5 युवाओं ने की थी। यहकारवां किस तरह आगे बढ़ा अजमेर की जुबानी..।
हमारा गांव अपराधके मामले में बदनाम था। इस बात की हमेशा टीस रहती थी। इसकी छवि को सुधारने के लिए हमने 2007 में अभियान शुरू किया। कुछ युवाओं के साथ शहीद चंद्रशेखर आजाद सेवा समिति का गठन किया। इसके बाद अपने पैसों से चौपाल में एक न्यूज पेपर शुरू करवाया। गांव के लोग उसे पढ़ने के लिए आने लगे। हमने उनसे सामाजिक कार्यों के विचार साझा किए। लोग जुड़ने लगे। कुछ आर्थिक मदद को भी सामने आए। इसके बाद गांव में रक्तदान, नेत्रदान और पौधरोपण की मुहिम चलाई गई। पंचायती जमीन पर 1115 पौधे लगवाए। वर्ष 2013 में गांव के बच्चों का भविष्य सुधारने पर मंथन शुरू हुआ। गांव वालों ने भी साथ दिया।
15 जून 2013 को तक्षशिला विद्या मंदिर के नाम से काक्षा 4 से 12वीं तक के बच्चों को सभी विषयों की कोचिंग देने का प्रबंध शुरू किया। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फ्री, बाकी के लिए ऐच्छिक रूप से मात्र 100 रुपए सहयोग राशि। रिटायर्ड शिक्षक जुड़ने लगे। आज समिति से 55 शिक्षक जुड़े हैं। लगभग 120 बच्चों को कोचिंग दी जा रही है। इसके बाद नागार्जुन अध्ययन केंद्र के नाम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कराई गई। यहीं से 22 युवाओं को सरकारी नौकरी मिली। आज गांव के 800 से ज्यादा लोग संस्था से जुड़े हैं। पहले सभी कार्यक्रम गांव में खाली पड़े कमरों में होते थे। पंचायत ने 265 गज जमीन दी।
ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया तीन मंजिला केशव भवन बना, जिसमें अब एक छत के नीचे ऑनलाइन फाॅर्म की सुविधा, 4000 पुस्तकों की एक लाइब्रेरी है। स्वामी विवेकानंद बाल संस्कार केंद्र, कंप्यूटर सेंटर, किसान सेवा केंद्र चल रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए छात्रावास भी बनवाया है। गांव वालों के 12 लाख रु. के चंदे से यह अभियान भाली आनंदपुर के साथ अब डोभ और मुरादपुर टेकना में भी शुरू हो चुका है। वहीं, सुडाना, पटवापुर मोखरा गांव में दो माह के अंदर यह जनअभियान शुरू करने की तैयारी है।
15 जून 2013 को तक्षशिला विद्या मंदिर के नाम से काक्षा 4 से 12वीं तक के बच्चों को सभी विषयों की कोचिंग देने का प्रबंध शुरू किया। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फ्री, बाकी के लिए ऐच्छिक रूप से मात्र 100 रुपए सहयोग राशि। रिटायर्ड शिक्षक जुड़ने लगे। आज समिति से 55 शिक्षक जुड़े हैं। लगभग 120 बच्चों को कोचिंग दी जा रही है। इसके बाद नागार्जुन अध्ययन केंद्र के नाम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कराई गई। यहीं से 22 युवाओं को सरकारी नौकरी मिली। आज गांव के 800 से ज्यादा लोग संस्था से जुड़े हैं। पहले सभी कार्यक्रम गांव में खाली पड़े कमरों में होते थे। पंचायत ने 265 गज जमीन दी।
ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया तीन मंजिला केशव भवन बना, जिसमें अब एक छत के नीचे ऑनलाइन फाॅर्म की सुविधा, 4000 पुस्तकों की एक लाइब्रेरी है। स्वामी विवेकानंद बाल संस्कार केंद्र, कंप्यूटर सेंटर, किसान सेवा केंद्र चल रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए छात्रावास भी बनवाया है। गांव वालों के 12 लाख रु. के चंदे से यह अभियान भाली आनंदपुर के साथ अब डोभ और मुरादपुर टेकना में भी शुरू हो चुका है। वहीं, सुडाना, पटवापुर मोखरा गांव में दो माह के अंदर यह जनअभियान शुरू करने की तैयारी है।
