Thursday, December 22, 2016

ऊर्जा संसाधनों की बढ़ी मांग से जियोलॉजिस्ट के लिए मौके

जियोलॉजी साइंस की एक ब्रांच है, जिसमें पृथ्वी और इसके वातावरण, इतिहास इससे निकलने वाले खनिज़ इत्यादि का अध्ययन शामिल है। जियोलॉजी कई ब्रांच में बंटी हुई है, जिसमें स्ट्रक्चरल जियोलॉजी, मिनरोलॉजी, प्लैनेटोलॉजी, जियोमाॅर्फोलॉजी और जियोलॉजिकल इंजीनियरिंग इत्यादि शामिल हैं।
जियोलॉजिस्ट वे वैज्ञानिक या शोधकर्ता होते हैं, जो पृथ्वी की रूपरेखा, इतिहास और संरचना को समझने के लिए इसके ऊपरी सतह से लेकर अंदरूनी सतह तक का अध्ययन करते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जियोलॉजिस्ट, खनिज और प्राकृतिक संसाधनों को खोजने या इनका पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं की आशंकाओं और इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान का पता लगाना, समुद्र के अंदर आॅयल, नैचुरल गैस और खनिज का पता लगाना भी जियोलॉजिस्ट का काम है। वे पता लगाते हैं कि रेलवे लाइन या सड़क, पुल, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के लिए कोई जगह उपयुक्त है या नहीं। सरल शब्दों मंे कहें, तो सड़क, पुल, अंडरग्राउंड टनल या किसी भी अन्य प्रकार के कंस्ट्रक्शन के लिए संबंधित जगह में जियो केमिकल और जियो फिजिकल टेस्ट कर मिट्टी की गुणवत्ता का पता लगाते हैं। और इनकी रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय होता है कि कोई जगह उपयुक्त है या नहीं। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की बढ़ती संख्या और ऊर्जा संसाधनों की कमी के चलते जियोलॉजी की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। हालांकि इस विषय का चुनाव ज्यादा छात्र नहीं करते हैं। इसलिए इस क्षेत्र में कॉम्पिटिशन की संभावना भी कम होती है। 
सरकारी एजेंसियों में भी अवसर: केंद्र सरकार की एजेंसियों में काम के लिए यूपीएससी टेस्ट आयोजित करती है। छात्र अॉयल एंड नैचुरल गैस कंपनियों या खनिजों का पता लगाने वाली ऑर्गनाइजेशन में काम कर सकते हैं। इसके अालावा शिक्षण संस्थानों में भी काम कर सकते हैं। 
जियोलॉजी की प्रमुख ब्रांच:
  • मिनरोलॉजी: खनिज पदार्थों से जुड़े शोध 
  • पेट्रोलॉजी: चट्टानों का अध्ययन 
  • स्ट्रक्चरल जियोलॉजी: पृथ्वी की संचरना का अध्ययन 
  • जियोमाॅर्फोलॉजी: पृथ्वी के बनने और सतह की संरचना का अध्ययन 
  • पैलेन्टोलॉजी: फॉसिल का अध्ययन 

एलिजिबिलिटी: जियोलॉजी के कोर्स अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और रिसर्च स्तर पर होते हैं। 50% अंकों के साथ साइंस स्ट्रीम से बारहवीं करने वाले इसके बैचलर कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। हालांकि इस क्षेत्र में कॅरिअर शुरू करने के लिए मास्टर कोर्स करना जरूरी है। इसके बाद पीएचडी कर सकते हैं। पीएचडी कोर्स के लिए मास्टर डिग्री में 55% अंक जरूरी हैं। अधिकतर संस्थान प्रवेश के लिए एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करते हैं। 
कमाई: इस क्षेत्र में स्किल्ड प्रोफेशनल की कमी होने से औसत पैकेज बेहतर होता है। फ्रेशर को 20 से 25 हजार रुपए प्रति माह का सैलरी पैकेज मिल सकता है। ऑयल और गैस कंपनियों में अनुभव के बाद सालाना पैकेज 6 से 8 लाख रु. हो सकता है। शिक्षण संस्थानों में भी शुरुआती पैकेज 25 हजार रु. प्रति माह हो सकता है। 
प्रमुख संस्थान:

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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