देश के सभी सिनेमाघरों को फिल्म शुरू करने से पहले अब राष्ट्रगान बजाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह आदेश दिया। राष्ट्रगान के दौरान थिएटर में मौजूद सभी लोगों को खड़ा होना होगा। दिव्यांग और खड़े होने में अक्षम व्यक्ति बैठे रह सकते हैं। राष्ट्रगान के दौरान कोई आए-जाए नहीं, इसलिए थियटर के दरवाजे बंद
रहेंगे। इस दौरान पर्दे पर राष्ट्र ध्वज भी दिखाया जाएगा। सिनेमाघरों को राष्ट्रगान का 52 सेकेंड का फुल वर्जन ही बजाना होगा। कोर्ट ने देशभर के थिएटर्स में हफ्तेभर में यह व्यवस्था लागू करने काे कहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भोपाल के श्याम नारायण चौकसे की अर्जी पर यह फैसला आया है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अमिताव रॉय की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि तो किसी निजी कार्यक्रम और शो में राष्ट्रगान बजाया जाए और ही इसका ड्राॅमेटाइजेशन हो। गलत जगह पर राष्ट्रगान छापने पर भी रोक लगाई गई है। केंद्र को एक सप्ताह में इस बारे में नोटिफिकेशन जारी करने को कहा गया है। जागरूकता के लिए अखबारों न्यूज चैनलों पर विज्ञापन देने होंगे। - विदेशों में आप सभी बंदिशों का पालन करते हैं। पर भारत में कहते हैं कि कोई बंदिश लगाई जाए। अगर आप भारतीय हैं तो राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होने में तकलीफ नहीं होनी चाहिए।
- राष्ट्रगान हमारी राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा हुआ है। हर भारतीय नागरिक जब तक वह इस देश में रह रहा है, उसे राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा।
- राष्ट्रगान का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। शास्त्रों में भी राष्ट्रवाद को स्वीकार किया गया है। देश के सम्मान के प्रतीक राष्ट्रगान का सम्मान करना आपका दायित्व भी बन जाता है।
राष्ट्रगान के दौरान खड़े नहीं हुए तो 3 साल तक जेल: प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट-1971 की धारा 3 के अनुसार, राष्ट्रगान में खलल डालने या राष्ट्रगान रोकने की कोशिश करने पर 3 साल तक कैद हो सकती हैं। हालांकि इसमें यह नहीं कहा गया है कि किसी को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया जाए। {60 केेदशक में थियेटर में राष्ट्रगान की शुरुआत हुई थी। पर 20 साल बाद इसे बंद कर दिया गया था। 2003 में महाराष्ट्र सरकार ने थियेटर में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने का आदेश दिया था।
2002 में 'कभी खुशी कभी गम' फिल्म देख रहा था। बीच में राष्ट्रगान बजा तो मैं खड़ा हो गया। पीछे से लोगों ने हूटिंग कर दी। मैंने मैनेजर से शिकायत की पर उन्होंने अनसुना कर दिया। जबलपुर हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। 2004 में कोर्ट का आदेश पक्ष में आया। पर फिल्म निर्देशक करण जौहर ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर स्टे ले लिया। मैंने प्रयास जारी रखा। 3 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। यह अंदाजा नहीं था कि पहली सुनवाई में ही आदेश जाएगा। -श्यामनारायण चौकसे, याचिकाकर्ता
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साभार: भास्कर समाचार
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