डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। पिछले 15 दिनों में ही एक डॉलर के मुकाबले रुपया 66.80 पर पहुंच गया है, जो पहले 63 रुपए के आसपास था। भारतीय रुपए के साथ ही, दुनियाभर में अन्य करंसी का आकलन भी डॉलर के हिसाब से ही किया जाता है। इसलिए डॉलर को दुनिया की पावरफुल करंसी भी कहा जाता है। हम आपको इस मौके पर बता रहे हैं कि ऐसा क्यों कहा जाता है। साथ ही आपको बता रहा है डॉलर से जुड़े कुछ रोचक फैक्टस:
इसलिए डॉलर है पावरफुल करंसी: दुनिया में कई तरह की करंसी हैं जैसे रुपया, युआन, यूरो, पाउंड। बावजूद इसके दुनियाभर में डॉलर से ही लेन-देन होता है। डॉलर को ही विश्व के हर देश के लिए अंतरराष्ट्रीय करंसी माना जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं।
- सोना: दुनिया में सबसे ज्यादा सोना अमेरिका में निकाला जाता है। जब कोई देश अमेरिका से सोना खरीदना चाहता है, तो वो सिर्फ अपनी करंसी डॉलर में ही उसका भुगतान (Payment) चाहता है। ऐसे में अन्य देशों को भी यह बात माननी होती है। हालांकि, डॉलर के पावरफुल होने के पीछे ये सिर्फ एक वजह है।
- हथियार: दुनिया में हथियार बनाने वाली ज्यादातर बड़ी कंपनियां अमेरिका की ही हैं। जब किसी देश को हथियार चाहिए होते हैं, तो अमेरिका पर निर्भर होता है। हथियारों के बदले अमेरिका को डॉलर में भुगतान किया जाता है।
- तेल: इराक, ईरान सहित अरब देशों में तेल निकालने वाली कंपनियां ज्यादातर अमेरिकी हैं। यह कंपनियां डॉलर में ही भुगतान लेना पसंद करती हैं। इसके साथ ही शेल टेक्नोलॉजी से तेल उत्पादन करने के मामले में अमेरिका ही आगे हैं। एक दशक पहले तक शेल टेक्नोलॉजी पर अमेरिकी की ही हुकूमत थी। इस वजह से डॉलर दुनिया की पावफुल करंसी है।
08 अगस्त को मनाया जाता है 'नेशनल डॉलर डे': 08 अगस्त को 'नेशनल डॉलर डे' मनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आठ अगस्त 1786 के दिन ही वहां की सरकार ने अमेरिकी मौद्रिक प्रणाली स्थापित की थी। इसके 76 साल बाद 1862 में एक डॉलर का पहला नोट छापा गया था। शुरुआत में डॉलर पर जॉर्ज वाशिंगटन की जगह राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के अधीन रहे मुद्राकोष के सचिव सेलमोन पी. चैस की फोटो छपती थी। इस दिन को यादगार बनाने के लिए ‘नेशनल डॉलर डे’ घोषित किया गया।
कॉटन और लिनन से बनता है नोट: 1929 के पहले तक छपने वाले डॉलर का आकार आज के डॉलर की तुलना में बड़ा होता था। उसकी लंबाई 7.5 इंच और चौड़ाई 3 इंच होती थी। 1929 में बिल में परिवर्तन करके उसका आकार छोटा किया गया। अब उसी आकार का डॉलर छपता है। डॉलर को छापने के लिए कपड़े का प्रयोग भी होता है, जो कॉटन (75 प्रतिशत) और लिनन (25 प्रतिशत) से बना होता है। नोट बनने के पहले यह पेपर 8 हजार बार फोल्ड होता है।
एकमात्र महिला की फोटो: अमेरिकी बैंक नोट के इतिहास में केवल एक बार महिला की फोटो छपी थी। वे थीं, जॉर्ज वाशिंगटन की पत्नी मार्था। 19वीं सदी के अंत में एक और दो डॉलर के नोट पर उनकी फोटो छपी थी। बाद में जॉर्ज वॉशिंगटन की फोटो छपी। कुल नोटों में 45 प्रतिशत एक डॉलर के नोट होते हैं, जिनमें जॉर्ज वाशिंगटन नजर आते हैं।
100 डॉलर का नोट है ज्यादा पसंदीदा: हर दिन लाखों डॉलर प्रतिदिन अमेरिका की प्रेस वॉशिंगटन मिंट में छपते हैं। अमेरिकी सरकार ने उत्पादन संबंधी परेशानियों के बावजूद 100 डॉलर का नया नोट जारी रखने की घोषणा कर रखी है। वर्तमान में 100 डॉलर के नौ अरब नोट चलन में हैं, जिनमें से दो-तिहाई दूसरे देशों में हैं। कुल छपने वाले नोटों में 100 डॉलर के नोट 7 फीसदी होते हैं। इनका वितरण न्यूयॉर्क स्थित रिजर्व कैश ऑफिस से किया जाता है। इस पर बेन्जामिन की फोटो होती है, जो अमेरिका की स्थापना करने वालों में से हैं, जबकि 10 डॉलर के नोट पर अलेक्जेंडर हेमिल्टन की फोटो होती है।
सबसे बड़ा नोट एक लाख डॉलर का: 1934 में फेडरल नोट प्रेस ने एक लाख डॉलर का नोट छापा था, उस पर पूर्व राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन की फोटो नजर आती है। वह अब तक की सबसे ज्यादा कीमत वाला नोट था। इसे आम जनता से दूर रखते हुए रिजर्व बैंक के आंतरिक लेन-देन के लिए बनाया गया था। यही कारण था कि इसका उत्पादन मात्र 25 दिन तक किया गया।
वापस ले लिए जाते हैं पुराने डॉलर: अमेरिका में बैंकों द्वारा उन नोटों को वापस ले लिया जाता है, जो कट-फट जाते हैं या ज्यादा पुराने हो जाते हैं। इस तहर हर साल वहां ऐसे करोड़ों नोट नष्ट किए जाते हैं। छपाई में खामियों के कारण भी अमेरिका में नोटों को वापस ले लिया जाता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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