साभार: मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
कालू सिंह राजस्थान के डूंगरपुर जिले के अपने गांव गेहूवारा से छह किलामीटर दूर स्थित सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रायमरी टीचर हैं। गांव में 60 घर हैं और करीब 300 परिवार रहते हैं, लेकिन गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी अच्छी है, यहां तक कि गांव की सड़कों से भी अच्छी। कालू सिंह प्रसन्न और अपने छोटे से वेतन से संतुष्ट रहने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन इस शिक्षा सत्र के शुरू होने के बाद से एक बात उन्हें परेशान कर रही है कि उनका बेटा मोहित पढ़ाई में बिना किसी की मदद के इस साल 10वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठेगा, क्योंकि कालू सिंह खुद इन विषयों में अच्छे नहीं हैं। उनके साथी शिक्षक भी मदद नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वे दूसरे गांव में रहते हैं। इतनी छोटी आबादी में व्यावसायिक महत्व होने के कारण गेहूवारा में कोई कोचिंग क्लास नहीं है, इसलिए किसी भी टेस्ट या किसी भी तरह की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को शायद ही कभी पढ़ाई में कोई मदद मिलती हो। मोहित भारत के गांवों में रह रहे उन लाखों छात्रों में से एक है, जिन्हें विशेषज्ञों का मार्गदर्शन नहीं मिल पाता, उन्हें पढ़ाई के लिए भी बहुत कम समय मिलता है, क्योंकि उनका अधिकांश समय स्कूल आने-जाने में ही चला जाता है। और ही वे वित्तीय रूप से इतने सक्षम होते हैं कि ऐसी परीक्षाओं के लिए जरूरी कोचिंग क्लासेस के लिए शहरों में जाकर रह सकें। दूसरी तरफ जयपुर की सुरभि भगत हैं, जिन्होंने इस तरह की समस्या का तब अनुभव किया था जब वे 1997 में केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 8 की छात्रा थीं। उन्हें अलग-अलग ट्यूशन के लिए 20 किलोमीटर तक आना-जाना पड़ता था और इसके बाद उन्हें खुद पढ़ाई करने और रिविजन का समय नहीं मिलता था। कंप्यूटर इंजीनियरिंंग की अपनी डिग्री लेने और आईबीएम में एसएपी कंसल्टेंट के रूप में काम करने के बाद उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में उठाई गई समस्या के समाधान का प्रयास किया। उन्होंने कक्षा 6 से 12 तक के सभी विषयों को हिंदी और अंग्रेजी भाषा में समझाने वाले Bhagatsir.com नाम के एज्यूकेशन पोर्टल की शुरुआत की। Bhagatsir.com पाठ, प्रश्न-उत्तर और नमूना प्रश्नपत्रों के आधार पर लर्निंग सुविधा दे रहा है। इसके अलावा छात्रों के लिए एक विशेष सेवा भी है जो तेजी से पढ़ने और याद रखने में मददगार होती है। कालू सिंह ने Bhagatsir.com को मोहित के लिए सब्सक्राइब किया और इसके बाद के तीन महीनों में ही उसमें काफी बदलाव गया, हालांकि उनका 3जी इंटरनेट चार्ज बढ़कर दो हजार से तीन हजार रुपए महीने तक हो गया है, जो उनकी जेब पर भारी पड़ रहा है। सुरभि ने इस विडंबना को समझा कि अच्छे टीचर उन स्थानों पर नहीं जा पा रहे हैं जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है और अच्छे छात्रों की पढ़ने की लगन बहुत जल्दी बिना किसी प्रोत्साहन के ही खत्म हो जाती है। सुरभि भगत के इस प्रयास का दूरस्थ क्षेत्रों के छात्र पूरा फायदा उठा रहे हैं और उनकी कंपनी राजस्थान सरकार के साथ मिलकर एक पायलट प्रोजेक्ट चला रही है, जिसमें 200 स्कूलों के ढाई लाख से ज्यादा छात्र शामिल हैं। पास के क्षेत्र जैसे राजस्थान का दौसा, उदयपुर का बदरान गांव का सरकारी माध्यमिक विद्यालय, दूर के स्थान जैसे झारखंड का रांची और दूरस्थ स्थान जैसे पश्चिम बंगाल के क्षेत्र इस तकनीक का हिस्सा बने है। यह उन्हें उनकी भाषा में सिखा रहा है और उतनी बार सिखा रहा है, जितनी बार वे चाहें, क्योंकि इसके लिए उन्हें सिर्फ नेट कनेक्ट करना होता है और अपने सवालों का जवाब हासिल करने के लिए सिर्फ एक क्लिक करना होता है। Bhagatsir.com ने अपना लक्ष्य उन स्कूलों को रखा है जहां कंप्यूटर है और राजस्थान के जिन गांवों में इंटरनेट है। इसके अलावा हरियाणा, बिहार, अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ जैसे राज्यों से बात चल रही है। फंडायह है कि तकनीककिसी भी अच्छे शिक्षक को दुनिया के किसी भी कोने में ले जा सकती है, बिना शारीरिक रूप से वहां जाए भी।
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साभार: भास्कर समाचार
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