Sunday, July 12, 2015

सरकारी स्कूलों में खेल के नाम पर औपचारिकता: खेलकैलेंडर में स्कूली खेल गायब

खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हरियाणा के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में खेल हाशिये पर हैं। प्रदेश सरकार स्कूलों में खेलों को तरजीह नहीं दे रही। खेल कैलेंडर में प्राइमरी स्कूलों के खेल को कभी जगह ही नहीं मिली। इतना ही नहीं स्कूलों को खेल के लिए बजट भी नहीं दिया जा रहा। 2008 के बाद स्कूलों में खेल सामग्री मुहैया नहीं कराई गई। 60 प्रतिशत के करीब स्कूलों में खेल मैदान तक नहीं हैं। भाजपा
सरकार को भी नई खेल नीति लाए पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन प्राइमरी स्कूलों में खेल के दिन बहुरने की उम्मीद नहीं जगी है। नई खेल नीति का मूल उद्देश्य ही धरातल पर खिलाड़ियों को तैयार करना है। मगर अभी तक ये होता नहीं दिखाई दे रहा। 8996 प्राथमिक स्कूलों के लगभग 15 लाख बच्चे खेल सुविधाओं से वंचित हैं। हालांकि स्कूलों में हर वर्ष भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चों के खेल कराए जाते हैं। बावजूद सरकार उचित सुविधाएं मुहैया कराने की ओर ध्यान नहीं दे रही। प्राइमरी स्कूलों के खेल में केवल उन्हीं खेलों को शामिल किया गया है, जिन पर सरकार व विभाग का एक भी रुपया खर्च न हो। स्कूलों में कबड्डी, कुश्ती, दौड़, ऊंची व लंबी कूद कराई जाती है। प्रदेश के पहलवान जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके हैं, वहीं स्कूलों में कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। प्राइमरी स्कूलों को खंडस्तर पर होने वाले खेलों की सूचना महज दो दिन पहले दी जाती है।
साभार: जागरण समाचार 
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