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इसी साल आई एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में तीसरी सबसे ज़्यादा
मोटे लोगों की आबादी वाला देश है भारत। एक सेहतमंद देश बनने की दिशा में यह
सबसे बड़ा रोड़ा है, जो डायबिटीज़, हृदय रोग समेत लाइफस्टाइल बीमारियों की
जड़ भी है। इस पर काबू पाया जा सकता है, लेकिन जरूरत है दृढ़ संकल्प और कुछ
आदतों को बदलने की। बढ़ते मोटापे की वजह है असंतुलित लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतें
जैसे जंक फूड, अल्कोहल और मीठे की मात्रा बढ़ना। इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ
मैट्रिक्स एंड इवॉल्यूशन (आईएचएचई) के डायरेक्टर क्रिस्टोफर मुरे द्वारा
की
गई एक स्टडी के मुताबिक पिछले 33 सालों में मोटापे पर काबू पाने में कोई
राष्ट्र पूरी तरह सफल नहीं रहा है। तीन दशकों में मोटे लोगों की संख्या
85.7 करोड़ से बढ़कर 2.1 अरब तक पहुंच गई है, जो पूरी दुनिया की एक तिहाई
आबादी है। भारत और चीन तेजी से मोटे राष्ट्र बने हैं। यहां की क्रमश: 3
करोड़ और 4.6 करोड़ जनता मोटापे से ग्रस्त है।
आधुनिकता की होड़ है कारण: भारत के संदर्भ में एक्सपर्ट बताते हैं कि 1999 के बाद शहरीकरण बढ़ने
से यहां मोटे लोगों की संख्या बढ़ी है। इसका कारण है कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी
और इंटरनेट यूज़ करने के आदी हो चुके भारतीय आलसी और सेहत के प्रति लापरवाह
हो गए हैं। वे घंटों इंटरनेट पर बैठकर काम करते हैं या सोशल नेटवर्क का
उपयोग, जिसके कारण उनकी फिजिकल एक्टिविटी घटी है। नतीजा लाइफस्टाइल डिसीज़
के रूप में सामने आ रहा है। युवाओं में घुटने के दर्द और कमर दर्द शिकायत
आम हो गई हैं।
बिगड़ी खानपान की आदतें: एक दूसरे रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि मोटापे ने तेजी से बच्चों को
अपनी गिरफ्त में लिया है। वजह है उनकी खानपान की गलत आदतें। जंक फू़ड जैसे
पिज्जा, बर्गर, पेटीस, कोला ड्रिंक्स वगैरह उनकी डेली डाइट का हिस्सा बन गए
हैं। हर वीकेंड पिज्जा पार्टी से महज चार महीने में बच्चे का वजन 4 से 5
किलो बढ़ सकता है। जितनी कैलोरी एक दिन में बच्चे जंक फूड व दूसरे फूड खाकर
ले रहे हैं, उससे आधी भी वे खर्च नहीं करते। नतीजा शरीर में जमती चर्बी के
रूप में सामने आ रहा है।
तीन आदतें करें दिनचर्या में शामिल:
- घर के छोटे-छोटे काम आप स्वयं करें, जैसे झाड़ू-पोंछा, बर्तन, कपड़े धोना, सफाई आदि। ये अच्छी एक्सरसाइज हैं।
- सिटिंग जॉब में हैं तो हर घंटे के अंतराल से उठें। 50 से 60 कदम या कम से कम 10 मिनट की वॉक ज़रूर करें।
- बच्चों के साथ आउटिंग के लिए सिर्फ रेस्टोरेंट जाना ज़रूरी नहीं है। गेम जोन, एडवेंचर पार्क जैसी जगह जाएं या कोई स्पोर्ट खेलें जिससे उनके साथ आपकी भी फिजिकल एक्टिविटी हो जाए।
मीठे में क्या खाएं: हम भारतीयों को खाने में मीठा बहुत पसंद होता है। लेकिन वजन कंट्रोल
करना है तो इस आदत को कम करना ज़रूरी है। शक्कर के बजाय गुड़ का प्रयोग
करें। मावे की मिठाइयां कम से कम खाएं।
रसगुल्ले की चाशनी कम करके उसे खाएं। डार्क चॉकलेट, किशमिश, अंजीर खा सकते हैं।
खानपान का रखें ध्यान:
खानपान का रखें ध्यान:
- खाने की प्लेट में कार्बोहाइड्रेट, फास्ट फूड और ज़्यादा कैलोरी वाले फूड हैं तो मोटापा बढ़ेगा ही। वजन घटाना है तो सबसे पहले इन्हें नियंत्रित करें। बड़ी प्लेट के बजाय छोटी प्लेट लें।
- अगर आप हर दो तीन-दिन में बाहर खा रहे हैं तो इसे कम करें। सोशल गेदरिंग या पार्टी में जाते हैं तो सूप, सलाद, इडली, डोसा, ढोकला जैसे हल्के फुल्के फूड आयटम्स खाएं।
- सूरज ढलने के बाद सब्जी, रोटी, ओट्स जैसी प्रोटीन से भरपूर डायट लें। दोपहर को सूरज की रोशनी में आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर काम करता है। उस दौरान कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खा सकते हैं।
- अगर आपकी उम्र 35 साल से ज़्यादा है तो तली-भुनी चीजें सप्ताह में सिर्फ एक दिन खाएं। सब्जी-रोटी, दलिया आदि डायट में शामिल करें।
- 45 साल की उम्र के बाद किडनी के फंक्शंस कमजोर हो जाते हैं। इस स्थिति में कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ, मैदा, शक्कर, घी का प्रयोग कम कर दें।
- हर 3 में से 1 भारतीय वयस्क मोटापे से ग्रस्त है।
- अब 65 फीसदी लोग रोजाना एक्सरसाइज करते हैं। पहले प्रति पांच में से एक व्यक्ति ही सप्ताह में एक बार पैदल चलता था।
- 10 फीसदी लोग ही ब्रेड-बटर खाते हैं, जबकि 1972 में यह आंकड़ा 90 फीसदी था। अब एक फीसदी लोग खाना पकाने में बटर का प्रयोग करते हैं।
ऐसे कसी इस देश ने मोटापे और दिल के रोगों पर लगाम: सेहतमंद ज़िंदगी का राज हमारी लाइफस्टाइल में छिपा है। यूरोप महाद्वीप
के उत्तर में स्थित फिनलैंड ने अपनी लाइफस्टाइल और फूड हैबिट्स को बदला और
अपनी स्थिति में 85 प्रतिशत तक सुधार किया। नॉर्थ कैरेलियन सेंटर फॉर
पब्लिक हेल्थ के एक्जीक्यूटिव मैनेजर वेसा कोरपेलियन के मुताबिक, 70 के दशक
में दुनिया में हृदय संबंधी बीमारियों से होने वाली मौतों में फिनलैंड आगे
था। लोग उस दौर में मक्खन, प्योर मिल्क, सॉस, साल्ट और सिगरेट को खाने में
काफी पसंद करते थे। मोटापा वहां एक बड़ी समस्या थी, लेकिन अब वह इससे
निजात पा चुका है।
ऐसे चढ़ी कामयाबी की सीढ़ियां: यहां मेन्यू में सॉल्टी फूड की मात्रा घटाकर, रिएलिटी शो के ज़रिए जिनमें अनहेल्दी हैबिट्स को कंट्रोल करने वाले लोगों की कहानियां बताई जाती थीं, कानून में बदलाव करके और फिजिकल वर्क पर फोकस करके मोटापे को कम किया गया। नतीजा ये हुआ कि 1972 से 1997 के बीच महिला-पुरुषों के कोलेस्ट्रॉल में 18 प्रतिशत गिरावट आई।
ऐसे चढ़ी कामयाबी की सीढ़ियां: यहां मेन्यू में सॉल्टी फूड की मात्रा घटाकर, रिएलिटी शो के ज़रिए जिनमें अनहेल्दी हैबिट्स को कंट्रोल करने वाले लोगों की कहानियां बताई जाती थीं, कानून में बदलाव करके और फिजिकल वर्क पर फोकस करके मोटापे को कम किया गया। नतीजा ये हुआ कि 1972 से 1997 के बीच महिला-पुरुषों के कोलेस्ट्रॉल में 18 प्रतिशत गिरावट आई।
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साभार: भास्कर समाचार
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