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अगले महीने दिवाली है और दिवाली पर सोने की खरीददारी खूब होती है।
लेकिन, इस बार दिवाली के बाद सोने की खरीददारी करना फायदेमंद रह सकता है।
इसके पीछे कारण है सोने के दामों में गिरावट के आसार। घरेलू बाजार में सोने
की कीमतें 25,000 रुपए के स्तर तक गिर सकती हैं। वहीं विदेशी बाजार की बात
करें तो कॉमैक्स पर सोना 1000 डॉलर प्रति औंस का
स्तर दिखा सकता है।
विशेषज्ञ इस गिरावट की वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदल रहे समीकरणों को मान
रहे हैं। बाजार में ये गिरावट दिवाली के बाद देखने को मिलेगी। दिवाली तक
सोने में चालू स्तर से 1000 रुपए तक की तेजी दर्ज की जाएगी। अगर कॉमैक्स पर
सोने के भाव 1000 डॉलर के स्तर को छूते हैं तो यह अक्टूबर
2009 के बाद पहली बार होगा। हाल में IIFL की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भी
सोने की कीमतों में गिरावट की बात कही गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक,
कॉमैक्स पर जल्द ही सोने की कीमतें 1200 डॉलर के नीचे फिसल सकती हैं।
ये हैं गिरावट के मुख्य कारण: स्कॉटलैंड के यूनाइटेड किंगडम से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बनने की
संभावना है। यूके ट्रेजरी के प्रवक्ता के मुताबिक, स्कॉटलैंड रेफेरेंडम में
अगर स्कॉटलैंड अलग देश बनने की दिशा में जाता है तो लंदन से उसकी संपत्ति
के बंटवारे की बातचीत शुरू होगी। इस बातचीत में मुख्य रूप से 12.6 बिलियन
डॉलर मूल्य के गोल्ड रिजर्व, करेंसी (पाउन्ड) और उत्तरी समुद्र में तेल के
रिजर्व का बंटवारा होना है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, स्कॉटलैंड अलग देश बनाता है तो उससे अपनी
अर्थव्यवस्था को स्थापित और स्थिर करने के लिए बड़े पैमाने पर पैसों की
जरुरत होगी, जिसके लिए स्कॉटलैंड बाजार में सोना बेचेगा। अगर ऐसा होता है
तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में 200-225 डॉलर तक की गिरावट
देखने को मिल सकती है।
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का होगा असर: अमेरिका के लगातार मजबूत आर्थिक आंकड़ों से फेड ब्याज दरों को उम्मीद
से पहले बढ़ा सकता है। एक बार ब्याज दरें बढ़ने पर सोना और नॉन इंट्रेस्ट
यील्ड निवेशकों के लिए आकर्षक नहीं रहेंगे। वहीं दूसरी तिमाही में अमेरिका
की जीडीपी रफ्तार 4.2 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। पहले ये अनुमान 4 फीसदी
का था। बाजार में खबर है कि फेड अगले साल की शुरुआत में ब्याज दरों में
बढ़ोत्तरी कर सकता है।
कितना होता है असर: अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 2007 के बाद से जोरदार तेजी दिखा रहा
है। 2007 से 2014 के बीच सोना 800 डॉलर से 1900 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचा।
2007 में अमेरिका में ब्याज दरें 5.7 फीसदी थी। 2009 तक अमेरिका फेड ने
ब्याज दरों में 5 फीसदी तक की कटौती की, जिससे सोने की कीमतों में 1000
डॉलर से ज्यादा की तेजी आई। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फेड 1 फीसदी
ब्याज दर भी बढ़ाता है तो सोने की कीमतों में 200 डॉलर की गिरावट आ सकती
है। फिलहाल अमेरिका में ब्याज दर 0.25 फीसदी है।
डॉलर इंडेक्स मजबूत मतलब सोना कमजोर: डॉलर इंडेक्स में लगातार मजबूती देखने को मिल रही है। यह 14 महीने के
ऊंचाई पर पहुंच गया है। वहीं येन के मुकाबले डॉलर 6 साल के उच्चतम स्तर पर
कारोबार कर रहा है, जिसके चलते डॉलर इंडेस्क में तेजी जारी रहने की संभावना
है। इसके साथ ही डॉलर इंडेस्क के चार्ट पर ब्रेकआउट देखने को मिला है।
डॉलर इंडेस्क फिलहाल 84.14 के स्तर पर है। इस ब्रेकआउट के बाद डॉलर इंडेस्क
87.50 तक पहुंच सकता है, जिसके चलते सोने की कीमतों में तेज गिरावट का
खतरा है।
सोने की मांग भी कमजोर: ग्लोबल स्तर पर सोने की मांग घटने से कीमतों पर दबाव देखने को मिल रहा है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की अगस्त में आई रिपोर्ट के मुताबिक इस कैलेंडर ईयर
की दूसरी तिमाही में सोने की मांग 16 फीसदी घटकर 964 टन रही है। 2013 की
दूसरी तिमाही में सोने की मांग 1148 टन रही थी। इस साल की दूसरी तिमाही में
दुनिया के सबसे बड़े सोने के खरीददार चीन से मांग घटी है। दूसरी तिमाही
में सोने की छड़ों (बार) की मांग 64 फीसदी घटी है, वहीं ज्वैलरी की मांग 45
फीसदी घटी है। साथ ही दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सोने के खरीददार देश भारत में भी हाल कुछ
अलग नहीं है। दूसरी तिमाही में सोने की मांग 39 फीसदी घटकर 204.1 टन रही,
जो 2013 में 337 टन थी। इंडस्ट्री के मुताबिक, पूरे साल में सोने की मांग
देश में 850-900 रह सकती है। वहीं चीन में 900-1000 टन सोने की मांग निकल
सकती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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