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इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने 24 सितम्बर, 2014 का दिन हर भारतीय
के लिए गौरव का दिन बना दिया। 65 करोड़ किमी का सफर करके मंगल ग्रह की
कक्षा में मंगलयान सफलतापूर्वक स्थापित हो चुका है। इसके साथ ही भारत पहली
ही कोशिश में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। दुनिया का कोई
दूसरा देश पहली कोशिश में मंगल ग्रह पर भेजे मिशन में कामयाबी हासिल नहीं
कर पाया है। अमेरिका तक की पहली 6 कोशिशें नाकाम रही हैं। इस ऐतिहासिक क्षण
पर पीएम नरेंद्र मोदी
बेंगलुरु के मार्स मिशन कमांड एंड
कंट्रोल सेंटर में मौजूद रहे। मिशन सफल
होते ही पीएम ने सभी वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई दी। मंगल अभियान पर हुए खर्च को देखें तो यह हॉलीवुड 'ग्रैविटी' के निर्माण में
खर्च हुए राशि से भी कम है। कुल 450 करोड़ रुपए या छह करोड़ 70 लाख
अमेरिकी डॉलर की रिकार्ड लागत से सफल हुए इस अभियान के लिए प्रत्येक भारतीय
पर महज 4 रुपए का बोझ पड़ा। इतना ही नहीं, दुनियाभर में अब तक हुए किसी भी
अंतर-ग्रही मिशन से इसरो का मंगल मिशन कहीं सस्ता है। एक और खास बात है और
वह यह कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के 16वें मंगल मिशन में भेजे गए
स्पेसक्राफ्ट मावेन के मंगल की कक्षा में पहुंचने के ठीक 48 घंटे बाद भारत
का मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर गया। इसके अलावा और भी कई ऐसे
तथ्य है, जिन्हें जानने के बाद आपको इसरो के वैज्ञानिकों और खुद के भारतीय
होने पर निश्चित ही गर्व करेगे।
क्या है इसरो का मंगल मिशन: मंगल ग्रह की परिधि में 1350 किलो वजन वाले यान को स्थापित
करना। इसके बाद ग्रह की सतह और वहां मिनरल्स का अध्ययन किया जाएगा।
भविष्य में मंगल ग्रह के लिए मानव मिशन शुरू करने के लिए भी जानकारी जुटाई
जाएगी। वहां के वातावरण में मीथेन की मौजूदगी का अध्ययन किया जाएगा। यान
को 5 नवंबर 2013 को सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) से
लॉन्च किया गया था।
मंगलयान कितने दिन में तैयार हुआ: मंगलयान को रिकार्ड 15 महीने में तैयार किया गया है। इसका आकार नैनो कार जितना है।
इसरो ने मंगल मिशन के लिए क्या तैयारियां कीं: इसरो ने मंगल मिशन की तैयारियां करने से पहले ही
अमेरिका, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और रूस के मंगल पर पहुंचने के सभी प्रयासों
का अध्ययन किया। दुनिया भर की सभी स्पेस एजेंसियों ने कुल 11 बार मंगल पर
पहुंचने की कोशिश की, जिनमें से महज 40 फीसदी अभियान ही सफल हुए।
कितने दिन में कितनी दूरी की यात्रा कर मंगल की कक्षा में पहुंचा मंगलयान: मंगलयान ने 300 दिनों में कुल 67 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर मंगल तक पहुंच बनाई।
अभी तक और किन देशों में मंगल मिशन शुरू किए और सफलता किसे मिली: अभी तक मंगल ग्रह को लेकर 51 मिशन शुरू किए जा चुके
हैं। इनमें से सिर्फ 26 ही कामयाब हुए हैं। मंगल ग्रह के लिए पहला सफल
मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा का मरीनर 9 था। यह यान मंगल की कक्षा में
13 नवंबर, 1971 को दाखिल हुआ था। आखिरी सफल मिशन का श्रेय भी नासा को है।
यह उपलब्धि उसे 2006 में मिली। मंगल के असफल मिशनों की बात करें, तो सबसे
हालिया वाकया नवंबर 2011 में हुआ। चीनी यान यिंगहुओ-1 पृथ्वी के वातावरण
से बाहर जाने में ही कामयाब नहीं हो सका।
क्या इसरो के मंगल मिशन में दुनिया के दूसरे देशों ने भी मदद ली: इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) में मौजूद 32
मीटर ऊंचा एंटीना लगातार मंगलयान से हालचाल ले रहा है। ऐसे चार एंटीने
दुनिया के चार देशों में लगाए गए हैं। भारत की सफलता देखकर अमेरिकी
अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी इसरो के साथ आ खड़ी हुई है। बेंगलुरू के अलावा अमेरिका के गोल्डस्टोन, स्पेन के
मैड्रिड, ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा के करीब 250 वैज्ञानिक लगातार मंगलयान की
निगरानी कर रहे हैं।
भारत को मंगल मिशन से क्या फायदा होगा: अभी तक किसी अंतरिक्ष यान से डाटा भेजने और रिसीव
करने में काफी समय लगता है। यान को कोई नुकसान होने पर तुरंत खबर भी नहीं
मिलती। इसरो ने ऑटोनॉमी फंक्शन तैयार किया है। इससे भविष्य में उपग्रह या
यान खुद निर्णय लेने में सक्षम हो सकेंगे। वे अंतरिक्षीय खतरों से खुद को बचा सकेंगे।
मंगलयान में लगे इंस्ट्रूमेंट्स का उपयोग हम भविष्य में मौसम, जमीन, खेती,
संचार उपग्रहों में करेंगे। इसके अलावा भारत की गिनती अब ग्लोबल स्पेस
मार्केट में ज्यादा दमदार तरीके से होगी।
मंगल मिशन का लक्ष्य क्या है: मंगल आर्बिटर यान का प्रमुख लक्ष्य मंगल ग्रह के
लिए कार्यरत अभियान के लिए योजना, प्रबंधन, संचालन की तकनीक विकसित करना
है। इसके अलावा अंतरिक्ष संचार, अभियान की योजना, प्रबंधन के लिए शोध करना
भी लक्ष्य है। विशेष उपकरणों से मंगल आर्बिटर यान मंगल के वातावरण का
अध्ययन करेगा। जिस तरह पृथ्वी पर मिथेन भू-गर्भ से और जैविक तौर पर मौजूद
है, उसी के तहत उपकरण पता लगाएंगे कि मिथेन गैस की उपलब्धता मंगल पर है कि
नहीं, मंगल की सतह की अध्ययन के साथ-साथ मंगल ग्रह के जीवाणुओं का अध्ययन
किया जाना है। आकृति विज्ञान के अंतर्गत विभिन्न आकृतियों को अध्ययन भी
किया जाएगा। मंगल पर कौन-कौन से खनिज है, इसका अध्ययन किया जाएगा। मंगल पर
जीवन है कि नहीं, यह भी प्रमुख लक्ष्यों में शुमार है।
मंगलयान क्या अध्ययन करेगा, इसमें कौन से उपकरण लगे हैं: मंगल की ऊपरी भाग के अध्ययन के लिए पांच वैज्ञानिक
उपकरणों के माध्यम से अध्ययन करेगा मिशन आर्बिटर यान। यह 80,000 किमी
क्षेत्र का अध्ययन करेगा, जिससे मंगल ग्रह के उद्भव के बारे में गहन
जानकारी मिल सकेगी। इन उपकरणों में कैमरा, दो स्पेक्ट्रोमीटर, रेडियोमीटर,
फोटोमीटर है, जिनका एक साथ वजन 15 किलो है। यान को 5 नवंबर 2013 को सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) से लॉन्च किया गया था।
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साभार: भास्कर समाचार
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