Wednesday, September 24, 2014

दुनिया के टॉप 9 अंतरिक्ष मिशन जो हो गए फेल, उड़ गए अरबों मिलियन सिर्फ धुंए में

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अंतरिक्ष यात्रा ज्यादा खर्चीली और हाई प्रोफाइल होने की वजह से हमेशा से ही चर्चा में रहती आई है। इसके बारे में हर किसी को जानने की उत्सुकता होती है। नासा के अनुमान के मुताबिक, स्पेस शटल मिशन में औसतन 45 करोड़ डॉलर तक का खर्च आता है। वहीं, स्पेस डॉटकॉम के मुताबिक, इसमें तकरीबन 1अरब 60 करोड़ रुपए का खर्च आता है। इतना ही नहीं, किसी तरह की देरी या चूक के चलते लागत कई बार बहुत बढ़ जाती है। शटल मिशन में होने वाली देरी में अमेरिकियों
पर प्रतिदिन 13 लाख रुपए की लागत आती है। पिछले 40 साल में ब्रह्मांड के विस्तार की खोज के लिए तमाम अंतरिक्ष शटल, रॉकेट, सैटेलाइट, टेलिस्कोप और रोवर के लॉन्च विफल भी रहे। इन अभियानों पर मोटी रकम खर्च की गई थी। यहां हम ऐसे ही कुछ असफल रहे अंतरिक्ष अभियानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो विफल रहे:
  1. स्पेस शटल कोलंबिया (2003): खर्च- 793 अरब रुपए; 16 दिन के मिशन के बाद 1 फरवरी, 2003 में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही स्पेस शटल कोलंबिया नष्ट हो गया था। इस शटल में मौजूद सभी सात क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी। ये कथित तौर पर नासा के बेड़े में सबसे पुराना शटल था। भारतीय वैज्ञानिक कल्पना चावला भी इसी मिशन में शामिल थीं।
  2. स्पेस शटल चैलेंजर (1986): खर्च- 335 अरब रुपए; 28 जनवरी, 1986 को लॉन्च होने के 73 सेकंड के अंदर ही अमेरिका का स्पेस शटल चैलेंजर हवा में ही नष्ट हो गया। इस हादसे में शटल में मौजूद सात क्रू मेंबर्स की मौत हो गई थी। शटल में लगे खराब यंत्रों के साथ ठंडा तापमान इस हादसे का कारण बना था। 
  3. सोवियत रॉकेट (1973): खर्च- स्पेस स्टेशन पर 3050 करोड़ रुपए, स्पेस रोवर पर 610 करोड़ रुपए, रोवर को ले जाने वाले रॉकेट पर 366 करोड़ रुपए; इलेक्ट्रिक रोबोट को लेकर जा रहा सोवियत रॉकेट तब प्रशांत महासागर में गिर गया था, जब महीने भर में ही सोवियत यूनियन का सैल्यूट स्पेस स्टेशन फेल हो गया था। इस घटना ने ये सवाल छोड़ दिए थे कि क्या अमेरिका ऐसे नुकसानों के साथ भी अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम चालू रखने में सक्षम होगा। 
  4. ऑरबिंटिन एस्ट्रोनॉकिल ऑब्जर्वेट्री, (1970): खर्च- 600 करोड़ रुपए; सबसे बड़े टेलीस्कोप को लेकर जा रही ऑरबिंटिन एस्ट्रोनॉकिल ऑब्जर्वेट्री सैटेलाइट का प्रपेक्षण उस वक्त विफल हो गया, जब 12 फीट लंबे इसके सुरक्षात्मक कोन ने ठीक से काम नहीं किया। सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल से ऊपर नहीं जा पाया। अमेरिका का ये स्पेस प्रोग्राम 1966 से 1972 के बीच का है। ये उस वक्त सबसे मंहगा सैटेलाइट था। 
  5. ग्लोरी, क्लाइमेट सैटेलाइट (2011): खर्च- करीब 25 अरब रुपए; नासा ने 2011 में करीब 25 अरब रुपए की लागत से ग्लोरी नाम का सैटेलाइट लॉन्च किया, जिसे पृथ्वी की जलवायु से जुड़े रिकॉर्ड रखने थे। इस सैटेलाइट को जिस रॉकेट टॉरस एक्स एल के साथ लॉन्च किया गया था, उसमें खराबी आ गई। नतीजा ये हुआ कि रॉकेट प्रशांत महासागर में गिर गया। 
  6. दक्षिण कोरिया का पहला सैटेलाइट और रॉकेट: खर्च- करीब 23 अरब रुपए; दक्षिण कोरिया की ओर से लॉन्च किया गया पहला रॉकेट अपनी निर्धारित कक्षा में जाने से चूक गया और पृथ्वी के वायुमंडल में ही नष्ट हो गया। बताया जाता है कि इसकी रफ्तार अचानक से धीमी पड़ी और ये सैटेलाइट पृथ्वी की ओर वापस आने लगा। इसके बाद ये जलकर नष्ट हो गया। 
  7. रूस का एक्सप्रेस एएम4 (2011): खर्च- करीब 18 अरब रुपए; रूस का प्रोटोन रॉकेट अगस्त 2011 में संचार सैटेलाइट एक्सप्रेस एएम4 के साथ लॉन्च किया गया। 24 घंटे बाद ये एक बार कक्षा में पाया गया और इसके बाद अंतरिक्ष में खो गया। पृथ्वी से इसको नियंत्रित कर रही रूसी टीम और अमेरिकी स्पेस सर्विलांस टीम बस एक बिंदु तक ही सैटेलाइट को लेकर गए रॉकेट के एक छोटे हिस्से को देख सकती थी।
  8. रूस का जेनिट-2एसबी रॉकेट (2012): खर्च- 10 अरब रुपए; रूस का जेनिट-2एसबी रॉकेट ने एक जांच शुरू की, जिसके तहत उसे मंगल ग्रह के चांद फोबोस पर जाना था और धूल के सैंपल इकट्ठा करना था। बताया जाता है कि रोवर के कई हिस्से दशकों पुरानी तकनीक पर आधारित थे। ये कमजोर साबित हुआ और पृथ्वी की कक्षा में नष्ट हो गया। रूस ने दावा किया कि अमेरिकी रडार सैटेलाइट के दखल के चलते ये रॉकेट नष्ट हो गया।
  9. जापान स्पाई सैटेलाइट (2003): खर्च- 475 करोड़ रुपए; उत्तर कोरिया पर नजर रखने के लिए रॉकेट से भेजे जा रहे दो स्पाई सैटेलाइट में उड़ाने भरने के दौरान खराबी आ गई और ये नष्ट हो गए। एच2-ए रॉकेट अपने पूर्ववर्ती रॉकेट के मुकाबले ज्यादा सस्ता और विश्वसनीय था, लेकिन इस खराबी से पहले ही करीब एक साल तक इसे तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
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साभार: भास्कर समाचार
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