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आर्थाराइटिस कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि यह 100 अलग-अलग रूप में होती है।
यह अलग-अलग बीमारियों का एक सामूहिक नाम है। इसमें पहले जोड़ों के दर्द से
शुरुआत होती है, बाद में धीरे-धीरे शरीर के दूसरे भाग भी प्रभावित होने
लगते हैं। यह ज्यादातर शरीर के ज्वाइंट में पाई जाने वाली कार्टिलेज के
फटने या ज्वाइंट में सूजन आने से संबंधित होता है। लोगों में इस बीमारी को
लेकर अक्सर यह भ्रम रहता है कि आर्थाराइटिस सिर्फ बुजुर्गों को ही होता है।
यह बीमारी किसी भी उम्र में यहां तक कि बच्चों को भी हो सकती है। आइए आज इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:
आर्थाराइटिस के कारण: आर्थाराइटिस होने की कई वजहें हैं- अनुवांशिक लक्षण, इंफेक्शन, जोड़ों
में तरल पदार्थ की कमी और ऑटोइम्यूनिटी, जिसमें रोगों से लड़ने की क्षमता
खत्म हो जाती है।
आर्थाराइटिस के लक्षण: अगर आपको जोड़ों में सूजन या जलन की वजह से आर्थाराइटिस है तो इसके लक्षण सूजन, लाल होना, जकड़न और गर्म महसूस होना है। Rheumatoid Arthritis में शरीर के दूसरे भाग भी प्रभावित होते हैं।
इसके लक्षण हैं- फीवर आना, वजन कम होना, थकान, हाथ का इस्तेमाल करने में
अक्षम होना, चलने और सोने में तकलीफ होना।
आर्थाराइटिस के छह चेतावनी संकेत:
- जोड़ों में अकड़न महसूस होना: अगर सुबह उठते ही आपको जोड़ों में अकड़न महूसूस हो और यह करीब आधे से एक घंटे तक हो तो आपको आर्थाराइटिस हो सकता है। इसकी प्रारम्भिक अवस्था में जकड़न दिनभर की एक्टिविटी शुरु होने के साथ कम होती जाती है। जैसे-जैसे बीमारी पुरानी होती जाती है, दर्द और जकड़न बढ़ती जाती है।
- हल्का दर्द और जोड़ो में सूजन: इंफ्लेमेशन (जलन) आर्थाराइटिस का मुख्य लक्षण है। जैसे-जैसे इंफ्लेमेशन कम होता जाता है, जोड़ो पर सूजन भी कम हो जाती है, क्योंकि आर्थाराइटिस इंफ्लेमेशन में शरीर का डिफेंस सिस्टम जोड़ों के टिश्यू को कमज़ोर कर देता है। इससे जोड़ों में अकड़न और सूजन आ जाती है।
- छूने पर दर्द होना: जलन और सूजन की वजह से प्रभावित जोड़ों में दर्द होने लगता है। यह दर्द कभी-कभी कष्टदायी भी हो सकता है। अक्सर जोड़ों में सूजन सेंसेटिव हो जाती है और छूते ही दर्द शुरु हो जाता है।
- शरीर में मूवमेंट कम हो जाना: शरीर के प्रत्येक ज्वाइंट को आवश्यकतानुसार घुमाना पड़ता है। इससे हम अपने रोजमर्रा के कामों को अंजाम दे पाते हैं। आर्थाराइटिस के प्रारंभिक अवस्था इन जोड़ों का मूवमेंट कम हो जाता है। अकड़न और सूजन के कारण इनमें कोई मूवमेंट नहीं हो पाता है।
- जल्दी थकान आना: साधारण रूप से मांशपेशियों में थकान या दर्द की वजह से पूरे शरीर में थकान आ जाती है। फिर भी आर्थाराइटिस के संकेतों में थकान जल्दी-जल्दी महसूस होने लगती है। बाकी सारे संकेतों जैसे सूजन, दर्द, कम मूवमेंट से पहले आर्थाराइटिस के प्रथम लक्षण में शरीर में जल्दी थकान होना शामिल है।
- सुन्न हो जाना: अगर आपको जोडों में सुन्नता, सनसनी या झुनझुनी महसूस हो तो ये भी आर्थाराइटिस होने का संकेत हो सकता है। आर्थाराइटिस इंफ्लेमेशन से जोड़ों में पाए जाने वाले कार्टिलेज कमज़ोर हो जाते हैं, इसके परिणामस्वरूप जोड़ों से क्रैकिंग साउंड आने लगती है।
कैसे पहचान करें कि आपको रेगुलर दर्द है या आर्थाराइटिस: मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना स्वाभाविक है, कभी-कभी ज्यादा
एक्सरसाइज करने के बाद मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। इस अवस्था में
कैसे पहचान करें कि आपको रेगुलर दर्द है या आर्थाराइटिस। आइए, जानते हैं:
- अगर लगातार एक हफ्ते से ज्यादा दर्द हो।
- अगर आपको जोड़ों में भयंकर दर्द के साथ बुखार हो।
- अगर जोड़ों में दर्द होने की वजह से आपको रोज के काम करने में तकलीफ होने लगे।
- पेनकिलर के सेवन से भी जोड़ों का दर्द न जाए।
- जोड़ों में सूजन और जकड़न होने लगे।
ऐसी अवस्था में आपको तुरंत डॉक्टर से जांच की ज़रूरत है।
केले के सेवन से दूर होता है आर्थाराइटिस: अगर आपको गठिया या जोड़ों में दर्द है तो रोज केले का सेवन करें। केले
में एंटी-फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जलन और सूजन से राहत देते हैं। एक
रिसर्च के अनुसार, आर्थाराइटिस के मरीजों को पोटेशियम, विटामिन बी
कॉम्पलेक्स और दूसरे विटामिन को अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करना चाहिए। यह
एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है जो जलन और सूजन को कम करता है। एक मीडियम आकार के केले में 12 प्रतिशत पोटेशियम, 22 प्रतिशत विटामिन
बी6 और 17 प्रतिशत विटामिन सी होता है। यह मात्रा आपकी ज़रूरत के अनुसार
उपयुक्त है। आर्थाराइटिस को दूर करने के लिए केले के अलावा आपको डाइट में कुछ बदलाव भी करने ज़रूरी है:
- बढ़ाएं लहसुन, अदरक की खुराक: अगर आप आर्थाराइटिस को दूर भगाना चाहते हैं तो अपनी डाइट में लहसुन और प्याज की मात्रा बढ़ा दें। इसके साथ में अदरक को मिला सकते हैं। थोड़ी सी अदरक रोज चबाने से जोड़ों के दर्द में आपको वाकई में फायदा हो सकता है। ताजी हरी मिर्च से लेकर शिमला मिर्च तक हर तरह की मिर्च खाने की आदत डाल लें। इसके अलावा लौंग और इलायची का सेवन भी आर्थाराइटिस दूर करने के लिए उपयोगी होगा।
- गेंहू के बजाय ज्वार बाजरे की रोटी: रोटी में ज्वार, नचनी, राग और बाजरे की रोटी खाएं। आर्थाराइटिस को दूर करने के लिए ये अनाज काफी फायदेमंद रहेंगे। ये अच्छे पोषक तत्व हैं जो आसानी से किसी भी दिक्कत को दूर कर सकते हैं।
- ड्राइफ्रूटस करें शामिल: नट्स और बीज जैसे अखरोट, काजू, पिस्ता, सूरजमुखी के बीज, सीसेम बीज और अलसी के बीज को अपनी डाइट में शामिल करें। भोजन एक्सट्रा शुद्ध ऑलिव ऑयल में पकाएं और अपनी रोटियों में घी लगाना न भूलें। अगर आपको घी पसंद नहीं है तो आप नारियल या गरी खा सकते हैं। ये न सिर्फ जोड़ों में चिकनाई पैदा करते हैं बल्कि दूसरे विटामिन और पोषक तत्वों को अब्जॉर्ब भी करते हैं।
- डेयरी प्रोडक्ट्स से रहें दूर: जितना संभव हो, टमाटर, नींबू, आंवला, इमली, डेयरी प्रोडक्ट्स और गेंहू का सेवन करने से बचें। इनके सेवन से जोड़ों का दर्द और बढ़ सकता है। फिर भी इन्हें अपनी डाइट से हटाने पर आपके शरीर में विटामिन सी की कमी हो सकती है। इसलिए अमरूद और कोकुम का सेवन करते हैं जिससे शरीर में विटामिन सी की कमी भी न हो, साथ ही यह जलन और सूजन से भी आपको राहत दिलाएगा।
- मैदा, सफेद चीनी का करें त्याग: अगर आपको जोड़ों में दर्द है तो मैदा, सफेद चीनी और टेबल सॉल्ट का सेवन भी आपको कम करना होगा। व्हाइट शुगर के साथ पर आप नेचुरल शुगर सोर्स जैसे फ्रूट्स खा सकते हैं। इसी तरह सफेद नमक की जगह रॉक साल्ट या सी-साल्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस प्रकार के नमक में कुछ एकस्ट्रा मिनरल्स होते हैं जो साधारण सफेद नमक में नहीं होते।
- विटामिन बी 12 कॉम्प्लेक्स है ज़रूरी: हेल्दी डाइट के साथ आप विटामिन बी 12 और विटामिन डी 3 लेवल को नॉर्मल रखने के लिए आप इसके सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं। लेकिन इसके लिए पहले अपने डॉक्टर या फिजीशियन से सलाह लेने की भी ज़रूरत है।
साभार: भास्कर समाचार
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