Saturday, September 20, 2014

क्या है क्रेडिट स्कोर, कैसे करता है लोन की एलिजिबिलिटी को प्रभावित

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लोन लेने के इच्छुक लोगों के लिए क्रेडिट स्कोर कोई अनजाना शब्द नहीं है। इन लोगों को इस बात की चिंता बनी रहती है कि कहीं खराब क्रेडिट स्कोर की वजह से उनका एप्लिकेशन न रिजेक्ट हो जाए। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिबिल), जिसे आम बोलचाल में क्रेडिट ब्यूरो भी कहा जाता है, लोगों और संस्थाओं के कर्ज व क्रेडिट कार्ड के भुगतान से संबंधित आंकड़ों का संग्रह करती है। ये आंकड़े इसे बैंक और अन्य ऋणदाता मासिक आधार
पर उपलब्ध कराते हैं। कंपनी इन्हीं आंकड़ों के आधार पर इनकी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (सीआईआर) और क्रेडिट स्कोर तय करती है। 
क्या है क्रेडिट स्कोर का उपयोग: बैंकों और अन्य ऋणदाताओं की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर सिविल लोगों की क्रेडिटवर्दिनेस (ऋणपात्रता) से संबंधित क्रेडिट स्कोर तय करती है। इस स्कोर के आधार पर बैंक और अन्य लेंडर (ऋणदाता) लोगों के लोन एप्लिकेशंस (ऋण आवेदनों) का मूल्यांकन करते हैं। दरअसल, किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर उसके कर्जदाता के लिए पहले प्रभाव के रूप में काम करता है। किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर जितना अधिक होता है, उसका कर्ज स्वीकृत होने की संभावनाएं उतनी ही अधिक होती हैं। 
किन बातों से प्रभावित होता है क्रेडिट स्कोर: किसी व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर को कई बातें प्रभावित करती हैं। आपके क्रेडिट कार्ड के मौजूदा बैलेंस में लगातार बढ़ोतरी का आपके क्रेडिट स्कोर पर नेगेटिव इम्पैक्ट (नकारात्मक प्रभाव) पड़ता है। इसके अतिरिक्त यदि आप अपनी ईएमआई देने में बार-बार चूक जा रहे हैं और कर्ज की अदायगी में आपसे लगातार देरी हो रही है, तो भी आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यही नहीं, अगर आपने कम अवधि में ही कई कर्ज ले लिए हैं तो इस बात का भी गलत असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ सकता है, क्योंकि इससे यह पता चलता है कि आपके ऊपर मौजूदा कर्ज का भार बढ़ गया है। 
कैसे सुधारें क्रेडिट स्कोर: भले ही आपका क्रेडिट स्कोर तय करना सिबिल के हाथ में हो, लेकिन इसे सुधारना आपके हाथ में है। इसके लिए जरूरी हैं कुछ बातें। यदि आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अपने ड्यू बैलेंस को हमेशा कम रखें। इसके अलावा आप अपने कर्जों की सभी किस्तों की समय से अदायगी करते रहें। यदि आपने कई कर्ज ले रखे हैं तो यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इसमें सुरक्षित (सेक्योर्ड) और असुरक्षित (अनसेक्योर्ड) कर्जों का अनुपात ठीक रहे। आपके लोन पोर्टफोलियो में असुरक्षित कर्ज अधिक न हों, तो बेहतर होगा। इसके अतिरिक्त, कर्ज के लिए अधिक आवेदन नहीं करना एक अच्छी रणनीति हो सकती है। साथ ही यह भी याद रखें कि आपके साथ विभिन्न कर्जों में जो सहआवेदनकर्ता हैं, उनके द्वारा भुगतान में कोई गलती नहीं होनी चाहिए, इसलिए उनके खातों के ऊपर भी एक नजर रखना जरूरी है।
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साभार: भास्कर समाचार
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