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एनीमिया का मतलब है शरीर में खून की कमी होना। शरीर में हीमोग्लोबिन
की कमी होने से एनीमिया होने का खतरा बना रहता है। हीमोग्लोबिन शरीर में
रेड ब्लड सेल में पाया जाता है। यह एक प्रोटीन होता है जो शरीर की कोशिकाओं
तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। यह फेफड़ों से कार्बन-डाई-ऑक्साइड
को दूर रखता हैं। एनीमिया होने का खतरा इसलिए ज्यादा बना रहता है, क्योंकि
शरीर में ऑक्सीजन सही मात्रा में ब्लड तक नही पहुंच पाता। इससे शरीर में
रेड ब्लड सेल कम हो जाते है। शरीर में ऑक्सजीन की मात्रा कम होने से फेफड़े और दिल से संबंधित
दिक्कतें होने लगती हैं, जैसे जल्दी थकान होना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर
आना, चिड़चिड़ापन, स्ट्रेस, सांस लेने में दिक्कत होना, सुस्ती, नाखूनों और
होंठ का पीला होना और पीरियड्स(मासिक धर्म) का कम या अनियमित होना। ये सभी लक्षण एनीमिया के हैं। किसी भी वयस्क व्यक्ति के हीमोग्लोबिन में दो अल्फा ग्लोबिन और दो बीटा ग्लोबिन की चेन होती है। यह वयस्क व्यक्ति के शरीर में एचबीए(HbA)के रूप में पाया जाता है, वहीं दूसरी ओर एचबीएफ (HbF) भ्रूण में पाया जाता है। यह भ्रूण के शुरुआती 6 महीनों के लिए बेहद ज़रूरी है। अगर हम नॉर्मल हीमोग्लोबिन की बात करें तो यह महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग मात्रा में होता है। महिलाओं में यह 11.5 से 15.5g/dl और पुरुषों में 13 से 18g/dl तक होना चाहिए। अगर आपको भी कुछ इस तरह की दिक्कतें हो रही हैं तो तुरंत अपना हीमोग्लोबिन टेस्ट कराएं।
एनीमिया होने के कारण: एनीमिया होने के काफी सारे कारण हो हैं, जैसे हॉर्मोनल डिसॉर्डर, ड्रग लेना, इन्फेक्शन होना, सर्जरी में किसी प्रकार की दिक्कत, बवासीर (हेमेराइड्स), पेप्टिक अल्सर, ज्यादा पीरियड्स होना (ब्लड ज्यादा निकलना), बार-बार प्रेग्नेंट होना, लिवर में दिक्कत होना, थॉयराइड में गड़बड़ी होना और बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में गड़बड़ी होने से भी एनीमिया होने की संभावना रहती है।
भारत में एनीमिया रोगी: 20 से 80 प्रतिशत -गर्भवती महिलाओं को एनीमिया होता है। 56 प्रतिशत किशोरी लड़कियों को, 30 प्रतिशत लड़कों को और 79 प्रतिशत बच्चों को एनीमिया होता है।
एनीमिया के कारण:
- कभी-कभी इस तरह की बीमारियां आपके खान-पान में गड़बड़ी से भी हो सकती है। अगर आप खाने में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 की कमी है तो आपने खाने पर विशेष ध्यान शुरू कर दें, क्योंकि आयरन की कमी होने से ही एनीमिया होता है।
- शरीर में मौजूद आयरन से ही हीमोग्लोबिन बनता है जो ब्लड में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है।
- अधिकतर कुपोषण की कमी से मरने वाले लोगों में आयरन की कमी होती है। आयरन की कमी होने पर ज्यादा गुस्सा आना, टेंशन ( डिप्रेशन) या किसी भी प्रकार की दिमागी परेशानी होने से भी एनीमिया होने का खतरा रहता है।
- ऐसा नहीं है कि एनीमिया सिर्फ गरीब लोगों को ही होता है। यह किसी भी व्यक्ति को हो सकता है।
- कैंसर, अल्सर, इंटर्नल ब्लीडिंग, पीरियड्स में और प्रेंग्नेंसी के दौरान ज्यादा ब्लड निकलता है। इससे शरीर में ब्लड की मात्रा कम हो जाती है, जिससे एनीमिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
- शरीर में आयरन की कमी होने पर कब्ज की दिक्क्त और क्रॉनिक डायरिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। आयरन शरीर के लिए एक रामबाण की तरह है, क्योंकि किसी भी छोटी या बड़ी बीमारी में आयरन की ज़रूरत होती है।
एनीमिया कितने प्रकार का होता है: शरीर में आयरन, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी होने से एनीमिया
होता है, क्योंकि शरीर में रेड ब्लड सेल के लिए इन सभी की ज़रूरत होती है। अगर इनमें से किसी की भी कमी होती है तो एनीमिया हो सकता है।
- आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया: अधिकतर लोगों में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया ज्य़ादा होता है। अगर हम ध्यान दें तो प्रत्येक पांच महिलाओं में से एक महिला इस बीमारी का शिकार होती है। कम से कम दो प्रतिशत वयस्क लोगों में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया मिलता है। अधिकतर खाने में आयरन की कमी होने से और शरीर से ब्लड निकलने से भी इस तरह की दिक्कतें होती हैं।शरीर में आयरन की कमी न हो, इसके लिए रोज़ प्रचुर मात्रा में हरी सब्जियां खाएं। साबुत अनाज, बिना चर्बी का मांस, बीन्स और ड्राय फ्रूट्स भोजन में शामिल करें। शरीर में आयरन की कमी होने पर आयरन की गोलियां भी खा सकते हैं। एनीमिया दूर करने के लिए खाने-पीने पर विशेष ध्यान देना ज़रूरी है।
- फोलिक एसिड की कमी से होने वाला एनीमिया: इस तरह का एनीमिया तब होता है जब शरीर में फोलिक एसिड की कमी होने लगती है। फोलिक एसिड की कमी से शरीर में रेड ब्लड सेल की मात्रा कम हो जाती है। अधिकतर खाने में फोलिक एसिड की मात्रा कम होने से एनीमिया होता है। ऐसा नहीं है कि आपने एक बार फोलिक एसिड ले लिया तो आपके शरीर में वह हमेशा बना रहेगा। इसलिए रोज़ फोलिक एसिड से युक्त खाना खाएं। फोलिक एसिड की पूर्ति के लिए हरी सब्ज़ी, चर्बी रहित मांस और मिक्स अनाज खाएं। अधिकतर प्रेग्नेंट महिलाओं में इस तरह का एनीमिया होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड की ज़रूरत ज़्यादा होती है। एनीमिया होने पर प्रेग्नेंसी के समय वजन कम होना और न्यूरल ट्यूब में दिक्कत जैसी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर प्रेग्नेंट महिलाओं को फोलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं फोलिक एसिड की कमी होने पर कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
- विटामिन बी12 की कमी से होने वाला एनीमिया: विटामिन बी12 की कमी से मेगालोब्लास्टिक एनीमिया होता है। यह विटामिन मांस-मछली आदि में पाया जाता है और आहार नली में मौजूद केमिकल से मिल कर बॉडी में ऑब्जर्ब होता है। शरीर में खून की कमी के कारण ऑटोइम्यून जैसी दिक्कत होती है, जिसे पर्निशस एनीमिया भी कहते हैं। इस एनीमिया को दूर करने के लिए दूध, दही, पनीर, चीज़, लिवर खाने में शामिल करें।
- हीमोलेटिक एनीमिया: शरीर में समय से पहले ही रेड ब्लड सेल पूरी तरह से खत्म हो जाने पर यह एनीमिया हो सकता है। रेड ब्लड सेल कमजोर या समय से पहले खत्म होने का कारण वंशानुगत हो सकता है। कोई बाहरी चोट लगने के कारण भी यह हो सकता है। इसलिए अगर आपके साथ इस प्रकार की कोई दिक्कत हो तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- सिकल सेल एनीमिया: इसमें रेड ब्लड सेल इतने कमजोर हो जाते हैं कि टिश्यू तक ऑक्सीजन पहुंचाने में सक्षम नहीं होते। शरीर में अगर टिश्यू (कोशिका) को सही से ऑक्सीजन न मिले तो सेल कमजोर हो सकते हैं।
- थैलेसीमिया: यह एनीमिया भी अनुवांशिक रोग है। यह काफी खतरनाक होता है। अभी तक इसका इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। इसमें मरीज को कुछ दिनों के अंतराल पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना पड़ता है। इस एनीमिया को मेडिटेरेनियन (Mediterranean) भी कहते हैं।
- अप्लास्टिक एनीमिया: यह एनीमिया बहुत ही कम लोगों को होता है, लेकिन यह बेहद ही गंभीर किस्म का एनीमिया है, क्योंकि यह बोन मैरो में रेड ब्लड सेल बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है। इससे शरीर के सेल कमजोर हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बोन मैरो को बदलना ही एक मात्र तरीका है। यह प्रक्रिया काफी महंगी और कठिन होती है। अधिकतर, एनीमिया खाने-पीने की गड़बड़ी के कारण होता है। शराब पीने, एस्पिरीन ज्य़ादा लेना और पीरियड्स में ब्लड ज्य़ादा आना एनीमिया का कारण होता है।
एनीमिया से बचने के लिए क्या करें: अगर आप चाहते हैं कि आपको एनीमिया जैसी बीमारी न हो तो आप हेल्दी डाइट
लें। अपनी डाइट में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12ए, विटामिन बी12 की
मात्रा अधिक लें। अगर आप शाकाहारी हैं तो ध्यान रखें, क्योंकि शाकाहारी
लोगों की डाइट में विटामिन की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
एनीमिया होने पर क्या करें: एनीमिया के उपचार के लिए आप अपनी डाइट का ख़ास ध्यान रखें और विटामिन को भी अपने खाने में शामिल करें। एनीमिया विटामिन बी12 की कमी से होता है। इसलिए विटामिन बी12 की गोली या विटामिन से युक्त भोजन लें। हर 3 महीने में एक इन्जेक्शन भी ले सकते हैं, ताकि खाने में होने वाली कमियों को दूर किया जा सके। अगर अल्सर की वजह से इन्टर्नल ब्लीडिंग होने से एनीमिया हो तो किसी डॉक्टर से सलाह लें और इलाज कराएं। आयरन के साथ-साथ विटामिन सी भी लें। चाय, कॉफी कम से कम लें। अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
क्या खाएं: हमारे खाने में आयरन दो तरह का होता हैं, जिसे हीम और नॉनहीम आयरन कहते हैं। हीम आयरन अधिकतर मीट, अंडा और फिश में मिलता है और नॉनहीम आयरन मीट और हरी सब्जियों में मिलता है।
एनीमिया होने पर क्या करें: एनीमिया के उपचार के लिए आप अपनी डाइट का ख़ास ध्यान रखें और विटामिन को भी अपने खाने में शामिल करें। एनीमिया विटामिन बी12 की कमी से होता है। इसलिए विटामिन बी12 की गोली या विटामिन से युक्त भोजन लें। हर 3 महीने में एक इन्जेक्शन भी ले सकते हैं, ताकि खाने में होने वाली कमियों को दूर किया जा सके। अगर अल्सर की वजह से इन्टर्नल ब्लीडिंग होने से एनीमिया हो तो किसी डॉक्टर से सलाह लें और इलाज कराएं। आयरन के साथ-साथ विटामिन सी भी लें। चाय, कॉफी कम से कम लें। अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
क्या खाएं: हमारे खाने में आयरन दो तरह का होता हैं, जिसे हीम और नॉनहीम आयरन कहते हैं। हीम आयरन अधिकतर मीट, अंडा और फिश में मिलता है और नॉनहीम आयरन मीट और हरी सब्जियों में मिलता है।
शरीर में हीम आयरन नॉनहीम आयरन की तुलना में जल्दी ऑब्जर्ब होता है।
आयरन जल्दी शरीर में ऑब्जर्ब हो जाए, इसके लिए विटामिन सी लेना जरूरी है।
इसलिए फल खाएं और जूस पिएं। चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट और रेड वाइन शरीर में एसिड बनाने का
काम करती है, इसलिए अगर आप इन ड्रिंक्स के आदी हैं तो छोड़ने की कोशिश
करें।
किन चीजों को खाने में शामिल करें: ऑरेंज, स्ट्राबेरी, अंगूर, खरबूज जैसे फल खाएं। साथ ही, हरी सब्ज़ियां लें। टमाटर, आलू, टमाटर का सूप, लाल और हरी मिर्च खाएं। इन सभी चीज़ों में आयरन की मात्रा अधिक पायी जाती है। अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो आप लिवर, किडनी, चिकन, बिना चर्बी का मीट और फिश खाएं। आपको भरपूर आयरन मिलेगा।
खाने में क्या सावधानी रखें:
किन चीजों को खाने में शामिल करें: ऑरेंज, स्ट्राबेरी, अंगूर, खरबूज जैसे फल खाएं। साथ ही, हरी सब्ज़ियां लें। टमाटर, आलू, टमाटर का सूप, लाल और हरी मिर्च खाएं। इन सभी चीज़ों में आयरन की मात्रा अधिक पायी जाती है। अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो आप लिवर, किडनी, चिकन, बिना चर्बी का मीट और फिश खाएं। आपको भरपूर आयरन मिलेगा।
खाने में क्या सावधानी रखें:
- आयरन को बॉडी में ऑब्जर्ब होने के लिए विटामिन सी की आवश्यकता होती है। इसलिए आयरन के साथ विटामिन सी ज़रूर लें।
- चाय, कॉफी, गर्म चॉकलेट और जिन चीज़ों में कैफीन है, जैसे कोल्ड ड्रिंक को नज़रअंदाज करें।
- एंटी-एसिड से युक्त खाना कम खाएं, क्योंकि इससे भी आयरन कम होता है।
- कैल्शियम के लिए दूध एक अच्छा स्रोत है। इसलिए रोज़ दूध पिएं, लेकिन खाने के साथ दूध न पिएं।
- अपनी डाइट में वही चीजें शामिल करें, जिसमें अधिक मात्रा में आयरन हो।
इन बातों का ख़ास ध्यान रखें: आपकी लाइफ स्टाइल पर आपके खाने-पीने का ज्य़ादा असर पड़ता है। ख़ासकर एनीमिया का इलाज खाने-पीने से ही होगा।
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साभार: भास्कर समाचार
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