Monday, February 20, 2017

नियम के बावजूद बिजली बिल में छूट नहीं दे रही सरकार: आरटीआई के सहारे सरकारी अध्यापक ने दिलवाए 55 लाख रुपए वापस

बशीर अहमद (39) राजस्थान के सीकर में सरकारी शिक्षक हैं लेकिन सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों से बिजली खर्च के नाम पर वसूली गई अतिरिक्त रकम वापस दिलाने का काम करते हैं। वे इसके लिए फीस भी नहीं लेते।
135 मस्जिद, सात मंदिर एक गुरुद्वारे से लिए गए 55 लाख रुपए वापस दिलवा चुके हैं। 206 धार्मिक स्थलों के लिए संशोधित बिजली दर लागू करवा चुके हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बशीर बताते हैं कि 2011 से पहले मुझे भी धार्मिक स्थलों को बिजली दर में छूट के बार में नहीं पता था। एक बार एक मस्जिद के सदस्य बिजली कनेक्शन दूसरे के नाम करवाना के लिए मुझे साथ ले गए। वहां पता चला कि सरकार ने ऐसे स्थलों को कई छूट दे रखी है। 
मैंने आरटीआई लगाकर नियम जाने तो पता चला कि धार्मिक स्थलों को बिजली दर, उपभोग सरचार्ज, वाॅटर कंजरवेशन, नगरीय उपकर जैसे अतिरिक्त शुल्क में छूट मिलती है। लक्ष्मणगढ़ अधीक्षण अभियंता खुर्शीद अहमद ने खुद यह बात मानी है। बशीर बताते हैं कि बावजूद इसके ऐसे स्थलों से कॉमर्शियल रेट पर वसूली की जा रही है। उसी दिन इस अवैध वसूली के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। वे कुल 432 धार्मिक स्थलों को राहत दिला चुके हैं। 
इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी तो बचत के पैसों से फोटोकॉपी की मशीन खरीदी। भाई को पता चला तो उसने मदद की। उन्हें कंप्यूटर, प्रिंटर और अन्य सामान दिलाए। लोग बशीर को डाक से समस्या बताते हैं। स्कूल से आने के बाद वे लोगों द्वारा भेजे गए नए-पुराने सभी तरह के बिलों की पड़ताल करते हैं। ज्यादा वसूले गए पैसों का हिसाब लगाते हैं। कई दफा देर रात तक यह सिलसिला चलता रहता है। वे कहते हैं कि इस आधार पर मैं आरटीआई लगाकर विभाग से जवाब मांगता हूं। जवाब नहीं मिलने पर खुद पहुंच जाता हूं। अगर मामला दूसरे जिले का है तो स्कूल से छुट्टी ले लेता हूं। 
बशीर कहते हैं कि जब मैंने यह मुहिम छेड़ी तो अफसर तबादले की बात कहकर डराते-धमकाते थे लेकिन मैं डटा रहा। जानता था कि इस काम में विभाग मदद नहीं करेगा। उनसे पैसे वसूलना आसान नहीं, केस भी लम्बा चलेगा इसलिए हार का सामने करने के बाद भी हताश नहीं होता। वे अभी एक मस्जिद के लिए लड़ रहे हैं। बताते हैं, 2014 में राजपुरा की एक मस्जिद को बिल ज्यादा भेजा गया तो मैंने अधीक्षण अभियंता से सूचना मांगी। जानकारी नहीं दी तो चीफ इंजीनियर बीकानेर से मिला। उन्होंने भी नहीं सुनी। सूचना आयोग गया। आयोग ने छह महीने में सूचना देने के निर्देश अधीक्षण अभियंता को दिए लेकिन कुछ नहीं हुआ। 24 दिसंबर 2015 सूचना आयोग ने पेशी पर बुला लिया। वे दोषी पाए गए। 8 जनवरी 2016 को विभाग को सूचना देने के निर्देश दिए गए, लेकिन पालन नहीं की। इस पर आयोग ने परिवाद पेश कर 30 नवंबर 2016 को फिर से सूचना मांगी। सूचना नहीं दी गई है। अब आयोग ने एक मार्च को उस अधीक्षण अभियंता को पेश होने को कहा है। 
फतेहपुर की मदनी मस्जिद का मामला: मस्जिद के नौ साल तक के बिजली के बिल मांगे। जांच में पता चला कि विभाग ने 1 लाख 11 हजार रुपए अतिरिक्त वसूले हैं। तीन साल तक लड़ा तब जाकर विभाग ने यह रकम लौटाई।
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साभार: भास्कर समाचार 
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