साभार: जागरण समाचार
चुनावी मौसम में एक बार फिर से हरियाणा में वर्षों पुराने भूमि विवादों का जिन्न बाहर निकल आया है। कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड को पंचकूला में प्लॉट आवंटन मामले में सीबीआइ द्वारा विशेष अदालत में कांग्रेस
के दिग्गजों पर चार्जशीट दाखिल करने पर सियासी घमासान चल रहा था। इसी बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एजेएल की संपत्ति अटैच कर विवाद को और तूल दे दिया। पूरे विवाद पर सियासी घमासान छिड़ने के पूरे आसार हैं। ईडी और सीबीआइ की सक्रियता बढ़ने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है।
पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकारों में हुए भूमि घोटालों को मुद्दा बना चुकी भाजपा इसे जांच एजेंसियों की स्वतंत्र कार्रवाई बता रही है। दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य दूसरे कांग्रेसी दिग्गज इसे सियासत से जोड़ रहे हैं। राजस्थान में 7 दिसंबर को मतदान होना है, जबकि अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव हैं।
हरियाणा से सटे राजस्थान का काफी हिस्सा हरियाणा की राजनीति से प्रभावित होता है। सीबीआइ और ईडी यूं तो स्वतंत्र रूप से काम करती हैं, लेकिन कांग्रेस उनकी कार्रवाइयों पर सवाल उठा रही है। इससे पहले गुरुग्राम में एक जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
सीबीआइ ने हुड्डा और 33 अन्य लोगों के खिलाफ 1500 करोड़ रुपये से अधिक के मानेसर जमीन सौदे में अनियमितताओं के आरोप में चार्जशीट भी दाखिल कर रखी है। भाजपा ने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में रॉबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा को निशाना बनाते हुए जमीन सौदों को बड़ा मुद्दा बनाया था। अब एक बार फिर राजस्थान चुनाव से ठीक पहले न केवल हुड्डा पर शिकंजा कसा गया है। इसके साथ ही ईडी ने एक अन्य मामले में रॉबर्ट वाड्रा को भी समन भेज दिया है।
एजेएल मामले में भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि सारी कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से किया जा रहा है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और अगर किसी ने कुछ गलत नहीं किया है तो डरने की जरूरत नहीं है।