- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस वर्मा की अगुवाई में महिला सुरक्षा संबंधी कानूनों को सख्त करने के लिए तीन सदस्यीय टीम बनी और सिफारिशें मांगी गई।
- वर्मा कमिशन ने 29 दिनों में 631 पेज की रिपोर्ट 22 जनवरी 2013 में सरकार को सौंप दी थी।
- कमिशन की सिफारिस पर संसद में बिल पास करा दो अप्रैल 2013 को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
- नए कानून में दुष्कर्म के कारण अगर कोई महिला मरणासन्न अवस्था में पहुंचती है या मौत हो जाती है, तो फांसी तक की सजा हो सकती है।
- जबरन शारीरिक संबंध बनाने के साथ यौनाचार और दुराचार को भी दुष्कर्म के दायरे में लाया गया। इसमें महिला को आपत्तिजनक तरीके से छूना भी शामिल है।
- पीड़िता की उम्र अगर 18 वर्ष से कम है तो उसकी सहमति से बनाया गया संबंध भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है।
- अब दुष्कर्म के मामलों में सात साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।
- सामुहिक दुष्कर्म में 20 साल से आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
- दोबारा दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी को उम्रकैद से फांसी तक की सजा का प्रावधान है।
- छेड़छाड़ की सजा दो साल से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है। इसमें से एक वर्ष तक जमानत नहीं हो सकती।
- महिला पर आपराधिक बल प्रयोग कर कपड़े उतारने पर मजबूर करने या जबरन उतारने या किसी और को उकसाने पर तीन से सात साल तक की सजा का प्रावधान है।
- महिला का पीछा करने या उसे गलत नीयत से जानबूझकर छूने का प्रयास करने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
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