साभार: जागरण समाचार
भारत ने रूस के साथ 3000 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद का सौदा किया है। इससे भारत की शक्ति काफी बढ़ जाएगी। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने रूस में प्राथमिक हथियार के रूप में रूस में दो भारतीय जहाजों के निर्माण के
साथ ब्रह्मोस मिसाइलों सहित 3000 करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को मंजूरी दे दी है। डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित आर्म्ड रिकवरी व्हीकल और सेना के एमबीटी अर्जुन की खरीद के लिए भी इजाजत दे दी है।
अमेरिका कई बार भारत को रूस के साथ रक्षा सौदे न करने की हिदायत दे चुका है। लेकिन भारत और रूस के रिश्ते काफी पुराने और गहरे हैं। यही वजह है कि भारत में हर सरकार रूस के साथ द्वीपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर देता है। हालांकि भारत अमेरिका को भी साथ लेकर चलने की कोशिश करने में जुटा हुआ है।
भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को गहराई देने वाले फैसलों पर चर्चा करने और अमेरिका द्वारा लगाये जाने वाले 'कैटसा प्रतिबंधों' से भारत मुक्त रहेगा या नहीं, पर बात करने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अगले सप्ताह तीन दिनों के दौरे पर वाशिंगटन जा रही है। अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के निमंत्रण पर द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूती देने के लिए तीन से छह दिसंबर तक सीतारमण अमेरिकी दौरे पर रहेंगी।
गौरतलब है कि अमेरिका ने कैटसा कानून के तहत उन सभी देशों और उनके संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है जो रूस से सैन्य सामान खरीदेंगे। भारत ने गत अक्टूबर माह में जब रूसी एस-400 एंटी मिसाइल प्रणाली खरीदने का समझौता किया था, तब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को चेतावनी दी थी कि भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।