Sunday, December 18, 2016

वैज्ञानिकों का दावा-बीमारियां भी करती हैं लिंग भेद, वायरस पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम नुकसान पहुंचाता है

कहावत है कि बीमारियां पुरुष और महिला में भेद नहीं करतीं। अगर यह जानलेवा है तो पुरुषों की जान भी लेगी और महिलाओं की भी। लेकिन, ब्रिटेन की रॉयल हॉलोवे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक फ्रांसिस्को उबेदा और विंसेंट जेनसन का रिसर्च इस धारणा को गलत साबित करता है। इसके मुताबिक बीमारियां फैलाने वाले वायरस
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। वायरस की महिलाओं पर रहमदिली इस वजह से भी होती है ताकि वह उसके जरिए उसके बच्चे तक भी फैल सके। वायरस के वजूद और विकास के लिए पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा मुफीद होती हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस रिसर्च को पहले स्थापित कई फैक्ट्स से भी बल मिलता है। यह साबित हो चुका है ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से पुरुषों में कैंसर का खतरा महिलाओं की तुलना में पांच गुना ज्यादा होता है। इसी तरह एप्सटीन-बार वायरस से पीड़ित पुरुषों में हॉडकिंस लिंफोमा (एक तरह का कैंसर) होने का खतरा महिलाओं से दोगुना होता है। रिसर्च के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि महिलाएं इन वायरस को अपने बच्चे तक ले जाएंगी। मां से बच्चे में वायरस का संक्रमण प्रेग्नेंसी, बच्चे के जन्म और स्तनपान के दौरान होता है। विज्ञान के मुताबिक धरती पर मौजूद सभी जीवों का मकसद अपनी नस्ल को आगे बढ़ाना होता है और वायरस पर भी यह नियम लागू होता है। वायरस के इस मकसद में महिलाएं अधिक मददगार होती हैं, लिहाजा वे उन्हें पुरुषों की तुलना में कम नुकसान पहुंचाते हैं। ब्लड कैंसर का कारण बनने वाला एक वायरस (ह्यूमन टी-सेल लिंफोटिक वायरस टाइप-1 या एचटीएलवी-1) जापान में पुरुषों को अधिक नुकसान पहुंचाता है, लेकिन कैरेबियन द्वीपों पर यह पुरुष और महिला दोनों के लिए बराबर रूप से प्रभावित करता है। रिसर्चर के मुताबिक जापान में महिलाएं कैरेबियाई द्वीपों की तुलना में ज्यादा स्तनपान कराती हैं। फ्रांसिस्को उबेदा कहते हैं 'रिसर्च में पता चला कि वायरस महिलाओं के प्रति कम खतरनाक इसलिए भी होते हैं ताकि वे महिलाओं की जनसंख्या में आसानी से खुद को संरक्षित कर सकें।' 
पुरुष या महिला, कैसे पहचानते हैं वायरस: शोधकर्ताओं ने बताया- इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, पर यह संभव है। शरीर में हार्मोन सहित कई ऐसे रास्ते हैं जो पुरुष और महिलाओं में अलग-अलग होते हैं। वायरस इससे यह पता कर सकते हैं कि शरीर मेल है या फीमेल। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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