Monday, December 12, 2016

आक्रोश रैली में हरियाणा के कर्मचारी दहाड़े: 19 दिसंबर से शुरू होंगे आंदोलन, बजट सत्र में घेरेंगे विधानसभा

सीएम मनोहरलाल खट्टर रविवार को जिस वक्त सरकार की उपलब्धियों योजनाओं का बखान कर रहे थे, उस वक्त हुडा ग्राउंड में सर्व कर्मचारी संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय कर्मचारी आक्रोश रैली में कर्मचारी वादाखिलाफी का आरोप लगा सरकार को कोस रहे थे। कर्मचारी नेताओं ने सरकार को तीन मुंह वाले सांप की संज्ञा देते हुए इसे हर हाल में कुचलने का आह्वान किया। पिछले 15 महीनों में कर्मचारियों की यह तीसरी बड़ी रैली है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कर्मचारी नेताओं ने निजीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेका प्रथा नीतियों को जबरदस्ती विभागों में लागू करने, ट्रेड यूनियनों लोकतांत्रिक अधिकारियों पर हमले करने के आरोप लगाते हुए प्रदेशव्यापी आंदोलन तेज करने का ऐलान किया। संघ महासचिव सुभाष लांबा ने नारा दिया, 'कर्मचारी पूरा करेंगे काम, पूरा लेंगे दाम, नहीं तो खट्टर साहब चक्का करेंगे जाम।' रैली की अध्यक्षता कर रहे संघ के प्रदेशाध्यक्ष धर्मबीर फौगाट ने कहा कि अगर सरकार ने चुनाव पूर्व कर्मचारी वर्ग से किए गए वायदों पर शीघ्र अमल नहीं किया और सातवें वेतन आयोग की लागू की गई सिफारिशों में संघ द्वारा दिए गए सुझावों अनुसार संशोधन नहीं किया, माननीय सुप्रीम कोर्ट के समान काम के लिए समान वेतनमान देने के निर्णय को लागू नहीं किया, कच्चे कर्मचारियों को नियमित नहीं किया तो विभिन्न विभागों के कर्मचारी आगामी बजट सत्र में विधान सभा का घेराव करेंगे। इससे पहले कर्मचारी 15 जनवरी से 15 फरवरी तक सभी विधायकों एवं सांसदों को प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन सौंपेंगे। 
जनता का समर्थन जुटाने सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों की पोल खोलने के लिए गांवों शहरों में जन सभाएं करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले समान काम के लिए समान वेतनमान देने के फैसले को लागू करवाने की मांग को लेकर 21 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर कर्मचारी सामूहिक भूख-हड़ताल रखेंगे। 
सरकार की सख्ती से भी बढ़ी तल्खी: कर्मचारी आंदोलन से निपटने के लिए सरकार का रुख सख्त रहा है। जब बिजली और एनएचएम कर्मियों ने हड़ताल की तो सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को बर्खास्त तक कर दिया था हालांकि बाद में फैसला वापस लिया। इसी तरह आईसीडीएस कर्मियों ने आधार कार्ड बनाने की ट्रेनिंग लेने से इनकार किया तो कई कर्मी नेताओं को सस्पेंड कर दिया गया। कर्मचारी संगठनों का तो यह भी आरोप है कि सरकार कर्मचारी नेताओं को एक तरह से नजरबंद कर देती है। 
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आईसीडीएस सुपरवाइजरों की मांगों का सरकार द्वारा समाधान करने की बजाय उत्पीड़न करने की निंदा करते हुए 19 दिसंबर से विभाग की मंत्री के सोनीपत आवास पर आंदोलन शुरू करने की घोषणा भी की गई। सीटू की सचिव एवं आशा वर्कर की राज्य महासचिव सुरेखा ने मंच से मिड डे मील, आशा वर्कर आंगनबाड़ी वर्कर यूनियनों ने 20 दिसंबर से आंदोलन शुरू करने, 26 दिसंबर को विधायकों सांसदों को ज्ञापन सौंपने 20 जनवरी को मिलकर हड़ताल प्रदर्शन करने का ऐलान किया। आक्रोश रैली में सरकारी, अर्ध सरकारी, सहकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, नगर निगमों, पालिकाओं, परिषदों, विश्वविद्यालयों विभिन्न परियोजनाओं में सक्रिय 108 संगठनों से जुड़े कर्मचारियों ने तालियां बजाकर घोषित आंदोलन को सफल बनाने का संकल्प लिया। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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