फिजियोथैरेपी या फिजिकल थैरेपी मेडिकल साइंस का एक हिस्सा है, जिसमें एक्सरसाइज के जरिये मांसपेसियों और शरीर के अन्य अंगों का इलाज किया जाता है। इसमें दवाइयों का कोई खास उपयोग नहीं होता है। फिजियोथैरेपी में किसी एक्सीडेंट या जेनेटिक डिफेक्ट के बाद शरीर को फिर से पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में सहायता दी जाती है। इसमें हड्डियों, मांसपेशियाें और नर्व सिस्टम से जुड़ी परेशानियां शामिल हैं।
सर्जरी के बाद मरीज को फिर से पूरी तरह स्वस्थ होने में मदद करना भी फिजियोथैरेपिस्ट के प्रमुख कामों में शामिल है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हॉस्पिटल के कुछ डिपार्टमेंट जैसे कि ऑर्थोपेडिक, कार्डियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, जनरल सर्जरी आदि में फिजियोथैरेपिस्ट की जरूरत होती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में फिजियोथैरेपिस्ट की संख्या मात्र 5 हजार है, जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार जरूरत 1 लाख से ज्यादा की है। देश में अौसतन प्रति 10 हजार लोगों पर एक फिजियोथैरेपिस्ट की जरूरत है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों मंे स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरुकता बढ़ी है और फिजिकल फिटनेस को लेकर अब लोग ज्यादा जागरूक हो रहे हैं। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार देश में फिजियोथैरेपी इक्विपमेंट का बाजार 12 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है। इससे फिजियोथैरेपी के क्षेत्र में जॉब की संभावनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा हेल्थकेयर सेक्टर में प्रति व्यक्ति किए जाने वाले खर्च में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है और 2008 से 2015 के बीच यह सालाना 5 फीसदी की दर से बढ़ा है। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक 2004 से 2014 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में हॉस्पिटलाइजेशन खर्च में करीब 160 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में करीब 176 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
शुरुअात में कमाई कम, लेकिन अनुभव के बाद अच्छा पैकेज: फिजियोथैरेपी का कोर्स करने के बाद फ्रेशर को शुरुआत में 8 हजार से 15 हजार रु. प्रति माह तक का सैलरी पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद 30 हजार से 35 हजार रु. प्रति माह तक कमाई हो सकती है। बड़े हॉस्पिटल में सैलरी पैकेज ज्यादा हो सकता है।
कोर्स डिटेल: देश भर में 300 से ज्यादा कॉलेजों में फिजियोथैरेपी का बैचलर कोर्स होता है। यह कोर्स 4 साल और 6 महीने का होता है। इसमें छात्रों को मानव शरीर और थैरेपी से जुड़ी स्किल ट्रेनिंग दी जाती है। इसके कॅरिकुलम में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, पैथोलॉजी, फार्माकोलॉजी, साइकोलॉजी, मेडिकल एंड सर्जिकल कंडीशन, बायोमैकेनिक्स, डिसेबिलिटी प्रिवेंशन जैसे विषय शामिल हैं। इसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों शामिल है।
एलिजिबिलिटी: साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद छात्र फिजियोथैरेपी के बैचलर कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसके लिए 12वीं में बायोलॉजी विषय होना जरूरी है। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश के लिए 12वीं में न्यूनतम 50 फीसदी अंक जरूरी होते हैं प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम के जरिये मिलता है। कोर्स के बाद 6 महीने की इंटर्नशिप जरूरी होती है। इसके अलावा छात्र फिजियोथैरेपी के डिप्लोमा कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं, लेकिन डिप्लोमा कोर्स के बाद प्रोफेशनल फिजियोथैरेपिस्ट के असिस्टेंट के रूप में काम करने के लिए ही एलिजिबल होते हैं।
विभिन्न जगहों पर हैं नौकरी के मौके: फिजियोथैरेपी के छात्र हॉस्पिटल में जॉब कर सकते हैं। सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के हॉस्पिटल में इस क्षेत्र में नौकरी की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा फिजिकल हेल्थ सेंटर, मेंटर हेल्थ सेंटर, नर्सिंग होम, रिहैबिलिटेशन सेंटर, स्पोर्ट्स क्लीनिक और फिटनेस सेंटर में जॉब कर सकते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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