Thursday, October 20, 2016

क्या धर्मगुरु किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगे तो उस पर कार्रवाई संभव है - सुप्रीम कोर्ट

चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद क्या किसी धर्मगुरु पर चुनाव कानून के तहत कार्रवाई संभव है? किसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट देने की अपील पर क्या वह गलत तरीकों के लिए जवाबदेह माना जा सकता है? हिंदुत्व पर
दाे दशक पुराने फैसले पर विचार कर रही सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं से यह सवाल पूछे। बहस गुरुवार को भी चलेगी। 
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने पहले याचिकाकर्ता अभिराम के वकील अरविंद दातार से सवाल पूछे। उन्होंने कहा, कोई धर्मगुरु किसी उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की अपील करता है। लेकिन यह कैसे साबित होगा कि बयान उम्मीदवार की सहमति से दिया गया। इस पर दातार ने कहा, यही तो पीठ को तय करना है कि इसे कानूनन गलत या सही कैसे साबित किया जाए। इससे जुड़े प्रावधान बनाने की जरूरत है।' चीफ जस्टिस ने फिर पूछा, प्रत्याशी के पक्ष में अपील अगर चुनाव नोटिफिकेशन से पहले होती है। लेकिन चुनाव के दौरान कोई उम्मीदवार इसका टेप अपने हक में चलाता है। तो क्या यह गलत होगा? 

दातार ने जवाब दिया कि अगर यह काम उम्मीदवार की सहमति से हुआ है तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के तहत गलत तरीकों में शामिल होगा। चीफ जस्टिस ने पूछा कि गलत तरीकों की कार्रवाई किस-किस पर संभव है? दातार ने बताया कि तीन श्रेणियां कार्रवाई के दायरे में हैं। पहली दो श्रेणियों में उम्मीदवार और एजेंट शामिल हैं। वहीं, कोई गैर राजनीतिक व्यक्ति अगर उम्मीदवार की सहमति से वोट के लिए धार्मिक भाषण दे तो उस पर भी कार्रवाई हो सकती है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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