उसे उन दिनों खांसी रही थी। लंबे समय से यही हालत थी। ठीक ही नहीं हो रही थी। इलाज कराने गई तो जांच के बाद जकिया को डॉक्टर ने कुछ ऐसा बता दिया, जिससे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। डॉक्टर ने बताया कि उसके शरीर के भीतर अंग सामान्य लोगों से उल्टे हैं। ऐसा दुनिया में केवल 00.01
फीसदी लोगों में ही होता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पुराने शहर में रहने वाली 25 वर्षीय जकिया बताती हैं कि फिजीिशयन डॉ. पुनीत नाग ने फेफड़ों की स्थिति जानने के लिए स्टेथोस्कॉप सीने पर लगाया तो उन्हें थोड़ा अटपटा लगा। उन्हें धड़कन सुनाई नहीं दे रही थी। जगह बदली तो हल्की-हल्की सुनाई देने लगी। उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि मामला डेस्क्ट्रोकार्डिया का है। इसलिए उन्होंने जकिया के सीने के एक्स-रे देखे, जिसमें हार्ट शेडो से स्पष्ट हो गया कि हार्ट लेफ्ट की जगह राइट में है। उन्होंने अपनी परामर्श पर्ची पर डेक्स्ट्रोकार्डिया लिख इलाज शुरू कर दिया। लेकिन खुद डॉ. पुनीत को नहीं पता था कि अभी वे और चौंकेंगे। जकिया की खांसी ठीक नहीं हुई तो सीटी स्कैन सहित दूसरी जांचें करवाईं। एक बार फिर चाैंकाने वाली जानकारी सामने आई। मामला और आगे बढ़ गया। जकिया के हार्ट ही नहीं दूसरे अंग की संरचना भी सामान्य से उलटी थी। यानी दाहिने तरफ होने वाले लिवर, अपेंडिक्स, पेंक्रियाज, स्प्लीन बाएं तरफ थे। यह तस्वीर सामने आने के बाद इसे डेक्स्ट्रोकार्डिया साइट्स इनवर्सस का केस माना गया। जो बहुत रेअर होता है। इसमें शरीर की भीतरी संरचना पूरी तरह से उल्टी यानी मिरर इमेज होती है। डॉ. नाग ने परिजनों को इससे अवगत करवाया तो पहले वे भी चौंक गए। चिंतित भी हुए, उन्हें लगा कि कहीं इससे आगे परेशानी तो नहीं होगी। लेकिन पढ़ा लिखा परिवार है इसलिए जल्दी ही उन्होंने इस बात को समझ लिया कि यह अजीब जरूर है, लेकिन इसमें चिंता करने जैसी बात नहीं है। जकिया कहती हैं कि जब पहली बार इस बात का पता चला तो थोड़ी टेंशन हुई थी। लेकिन डॉक्टर ने पूरी तरह से इस रेअर कंडीशन के बारे में बताया तो मैं समझ गई।
वे कहती हैं कि कभी सोचा नहीं था कि शरीर में सबकुछ उल्टा-पुल्टा होगा। डॉ नाग के अनुसार यह परेशानी जन्मजात होती है। इसके मरीज सामान्य जीवन जीते हैं। इस विषय पर हुई रिसर्च के मुताबिक सिर्फ उन्हें खांसी निमोनिया की परेशानी होने की आशंका रहती है। युवती के भाई जमाल बताते हैं कि बचपन में कभी उसे डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। इसलिए यह सब कुछ देरी से सामने आया। साइटस इनवर्सस एक रेअर आनुवांशिक संरचना है। जो भ्रूण के शुरुआत में ही विपरीत दिशा में विकसित होने से अंगों का स्थान बदलने से होती है।
मानव के भीतरी अंगों के उल्टा-पुल्टा होने की बात सबसे पहले 1643 के लियोनार्डो विंची के दस्तावेजों में पता चलती है, लेकिन उसकी पुष्टि नहीं थी। अमेरिका के मेया क्लीनिक में 1910 से 1947 तक 1.5 मिलियन लोगों की जांच में 76 मामले साइट्स इनवर्सस के सामने आए थे। यहां दस हजार बच्चों में एक के साइट्स इनवर्सस कंडीशन से प्रभावित होने की आशंका रहती है। डॉक्टर्स बताते हैं कि साइट्स इनवर्सस से प्रभावित लोग सामान्य जीवन जीते हैं। यहां तक कि महिलाओं को गर्भधारण में भी किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। दुनिया में इस केस का सबसे जाना पहचाना मामला मशहूर टीवी शो सीरिज होम अलोन की नायिका कैथेरिन ओ-हारा का है। -(जकिया और उनके भाई के नाम परिवर्तित हैं।)
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साभार: भास्कर समाचार
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