"तीन तलाक की प्रथा का सबसे ज्यादा दुरुपयोग होता है। इसे तत्काल बंद करके मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है।' यह बात राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने गुरुवार को कही। उन्होंने कहा कि तीन तलाक राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की
रक्षा का प्रयास है। इसे समान नागरिक संहिता से नहीं जोड़ा जाए। कई इस्लामिक देशों में भी इस पर पाबंदी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, "कई मुस्लिम महिलाएं इस प्रथा के कारण असहाय हालात में पति ससुराल वालों के अत्याचार सहने को मजबूर रहती हैं।'
वहीं, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि समान नागरिक संहिता के पीछे सरकार का कोई छुपा हुआ एजेंडा नहीं है। हम मौलिक अधिकारों में मिली धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। लेकिन किसी धर्म की हर अनुचित भेदभाव वाली प्रथा आस्था से जुड़ी नहीं हो सकती।
यूनिसेफ ने की तारीफ: यूनिसेफकोरो संस्था ने इसकी की तारीफ की है। लड़कियों की संख्या कम रहने वाले छह जिलों मे इसे शुरू किया जाएगा। यह योजना प्रेरणा का काम करेगी। - दादाभाऊ जगदाले, साधन व्यक्ती गटसाधन केंद्र, जाफ्राबाद
नजरीया बदलने के लिए: जिला शिक्षण और प्रशिक्षण संस्था के दादाभाऊ जगदाले से प्रेरित होकर इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है बेटी और बहु की तरफ देखने का नजरिया बदले यह सोच लेकर इसे चलाया जा रहा है। लड़कियों का स्कूल ड्राप आऊट कम हो इसके लिए भी यह योजना काम करेगी।
मुस्लिम बुद्धिजीवि भी तीन तलाक के खिलाफ: इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब, अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव प्रो. अली जावेद, रंगकर्मी शम्शुल इस्लाम, शायर गौहर रजा, प्रो. आयशा किदवई, सामाजिक कार्यकर्त्ता शबनम हाशमी समेत करीब सौ बुद्धिजीवियों ने तीन तलाक का विरोध किया है। इन्होंने संयुक्त बयान में कहा है, "हम तीन तलाक का विरोध महिलाओं की आजादी का समर्थन करते हैं। यह प्रथा खत्म हो।' हालांकि, इन्होंने समान नागरिक संहिता का विरोध किया।
समान नागरिक संहिता पर राज्यों को भेजी प्रश्नावली पर लोग प्रतिक्रिया दें, इसके लिए विधि आयोग ने सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिए हैं। प्रश्नावली पर ज्यादा लोगों की राय दिलवाना मुख्यमंत्रियों की जिम्मेदारी होगी।
समान नागरिक संहिता पर राज्यों को भेजी प्रश्नावली पर लोग प्रतिक्रिया दें, इसके लिए विधि आयोग ने सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिए हैं। प्रश्नावली पर ज्यादा लोगों की राय दिलवाना मुख्यमंत्रियों की जिम्मेदारी होगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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