वेब डिजाइनिंग आईटी इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज बिज़नेस से लेकर एजुकेशन तक लगभग सभी इंडस्ट्री में वेब डिजाइनिंग का इस्तेमाल बढ़ा है। मौजूदा समय में सभी बड़ी संस्थाओं की अपनी वेबसाइट होती है और हर कंपनी खुद को यूजर से जोड़े रखने के लिए वेबसाइट अपडेट करती रहती है। कई कंपिनयां अपनी
वेबसाइट को होस्ट करने के लिए इन हाउस वेब टीम रखती हैं। इससे वेब डिजाइनिंग प्रोफेशनल की मांग बढ़ी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में वेब पेज, वेबसाइट अौर वेब एप्लीकेशन डिजाइन करना शामिल है। वेब डिजाइनिंग में विस्तृत रूप से सॉल्यूशन डिजाइनिंग, वेब कंटेंट राइटिंग, प्रोडक्ट फोटोग्राफी, ग्राफिक डिजाइनिंग, डिजाइनिंग फ्लैश, एचटीएमएल कोडिंग और जावा स्क्रिप्टिंग शामिल है। वेब डिजाइनिंग एक प्रक्रिया है, जिसमें डिजाइनर ईमेज, टेक्स्ट, लिंक्स और ग्राफिक का उपयोग कर वेबसाइट तैयार करते हैं। यूजर की बढ़ती संख्या से वेबसाइट प्रमोशन और एडवर्टाइजमेंट का नया जरिया भी बनी हैं। इसके चलते हर इंडस्ट्री में इनके लिए नौकरी के अवसर बढ़ रहे हैं।
छोटे-छोटे शहरों में खुद का बिज़नेस शुरू करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, ऐसे लोग बिज़नेस को बढ़ाने के लिए वेबसाइट का सहारा ले रहे हैं। ऐसी जगहों पर वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में आंत्रप्रेन्योरशिप के भी मौके हैं। ट्रेंड प्रोफेशनल्स अपना बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। इस क्षेत्र में एंट्री के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की जरूरत नहीं होती, लेकिन कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की जानकारी जरूरी है। साथ ही, यह क्रिएटिव लोगों के लिए कॅरिअर का अच्छा विकल्प है। इस क्षेत्र में पढ़ाई करने के बाद एडवर्टाइजमेंट एजेंसी, पब्लिशिंग हाउस, ऑडियो-विजुअल मीडिया एजेंसी, डिजाइन स्टूडियो, मार्केटिंग फर्म, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, लाइब्रेरी इत्यादि जगहों पर काम कर सकते हैं। ज्यादातर नौकरियां प्राइवेट सेक्टर में हैं।
एलिजिबिलिटी: किसी भी स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद छात्र इस स्ट्रीम में कॅरिअर बना सकते हैं। छात्र वेब डिजाइनिंग के एडिशनल डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसके अलावा छात्रों को एचटीएमएल, एएसपी या पीएचपी जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होनी चाहिए। डिजाइन के लिए आवश्यक पॉपुलर सॉफ्टवेयर जैसे कि ड्रीम वीवर, फोटोशॉप, फ्लैश इत्यादि की जानकारी भी जरूरी है। छात्र बीसीए कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में सैलरी शुरुआत में ज्यादा नहीं होती है और फ्रेशर को 7-10 हजार रु. प्रति माह मिलने की संभावना होती है, लेकिन कुछ वर्ष के अनुभव के बाद प्रति माह कमाई 25 से 50 हजार रु. तक हो सकती है।
प्रमुखसंस्थान:
वेबसाइट को होस्ट करने के लिए इन हाउस वेब टीम रखती हैं। इससे वेब डिजाइनिंग प्रोफेशनल की मांग बढ़ी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में वेब पेज, वेबसाइट अौर वेब एप्लीकेशन डिजाइन करना शामिल है। वेब डिजाइनिंग में विस्तृत रूप से सॉल्यूशन डिजाइनिंग, वेब कंटेंट राइटिंग, प्रोडक्ट फोटोग्राफी, ग्राफिक डिजाइनिंग, डिजाइनिंग फ्लैश, एचटीएमएल कोडिंग और जावा स्क्रिप्टिंग शामिल है। वेब डिजाइनिंग एक प्रक्रिया है, जिसमें डिजाइनर ईमेज, टेक्स्ट, लिंक्स और ग्राफिक का उपयोग कर वेबसाइट तैयार करते हैं। यूजर की बढ़ती संख्या से वेबसाइट प्रमोशन और एडवर्टाइजमेंट का नया जरिया भी बनी हैं। इसके चलते हर इंडस्ट्री में इनके लिए नौकरी के अवसर बढ़ रहे हैं।
छोटे-छोटे शहरों में खुद का बिज़नेस शुरू करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, ऐसे लोग बिज़नेस को बढ़ाने के लिए वेबसाइट का सहारा ले रहे हैं। ऐसी जगहों पर वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में आंत्रप्रेन्योरशिप के भी मौके हैं। ट्रेंड प्रोफेशनल्स अपना बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। इस क्षेत्र में एंट्री के लिए किसी खास शैक्षिक योग्यता की जरूरत नहीं होती, लेकिन कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की जानकारी जरूरी है। साथ ही, यह क्रिएटिव लोगों के लिए कॅरिअर का अच्छा विकल्प है। इस क्षेत्र में पढ़ाई करने के बाद एडवर्टाइजमेंट एजेंसी, पब्लिशिंग हाउस, ऑडियो-विजुअल मीडिया एजेंसी, डिजाइन स्टूडियो, मार्केटिंग फर्म, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, लाइब्रेरी इत्यादि जगहों पर काम कर सकते हैं। ज्यादातर नौकरियां प्राइवेट सेक्टर में हैं।
एलिजिबिलिटी: किसी भी स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद छात्र इस स्ट्रीम में कॅरिअर बना सकते हैं। छात्र वेब डिजाइनिंग के एडिशनल डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसके अलावा छात्रों को एचटीएमएल, एएसपी या पीएचपी जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होनी चाहिए। डिजाइन के लिए आवश्यक पॉपुलर सॉफ्टवेयर जैसे कि ड्रीम वीवर, फोटोशॉप, फ्लैश इत्यादि की जानकारी भी जरूरी है। छात्र बीसीए कोर्स में भी प्रवेश ले सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में सैलरी शुरुआत में ज्यादा नहीं होती है और फ्रेशर को 7-10 हजार रु. प्रति माह मिलने की संभावना होती है, लेकिन कुछ वर्ष के अनुभव के बाद प्रति माह कमाई 25 से 50 हजार रु. तक हो सकती है।
प्रमुखसंस्थान:
- जेआईएसइंस्टीट्यूट ऑफ स्किल डेवलपमेंट, कोलकाता http://jisgroup.org/jissd/
- इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीमीडिया आर्ट्स एंड ग्राफिक इफेक्ट, चेन्नई www.image.edu.in/
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
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