चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फुटवियर उत्पादक है। भारत दुनिया के 13 फीसदी फुटवियर का उत्पादन करता है। देश में हर साल अलग-अलग तरह के करीब 2000 मिलियन जोड़ी फुटवियर का उत्पादन होता है। इसमें से करीब 95 फीसदी देश में ही उपयोग हो जाते हैं। देश में फैशन
एसेसरीज की बढ़ती मांग में फुटवियर भी शामिल हैं। फैशन स्टेटमेंट के अलावा फुटवियर को कम्फर्ट और हेल्थ से भी जोड़कर देखा जाता है। अलग-अलग वजहों से बढ़ती फुटवियर की मांग से इसमें नौकरियों की संभावनाएं बढ़ी हैं।
फुटवियर टेक्नोलाॅजी, ट्रेडिशनल तरीके से शूमेकिंग से लेकर मॉडर्न टेक्नोलॉजी तक पहुंच गई है। वर्तमान में लेदर, प्लास्टिक, जूट, रबर और कपड़े का इस्तेमाल कर लैब में विभिन्न प्रकार की टेस्टिंग करने के बाद मशीनों से इन फुटवियर को तैयार किया जाता है। डिजाइनर्स मार्केट की डिमांड के अनुसार इन फुटवियर को तैयार करते हैं।
फुटवियर इंडस्ट्री में विभिन्न स्किल के आधार पर रिसर्च, डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशंस, सेल्स, क्वालिटी कंट्रोल और मैनेजमेंट में जॉब के मौके हैं। इस क्षेत्र में डिजाइनर्स का काम प्रोडक्ट को डिजाइन करना, टेक्नीशियन का काम मैन्युफैक्चरिंग के दौरान मशीन और टेक्निकल इंस्ट्रूमेंट को ऑपरेट करना होता है। मार्केटिंग मंे प्रोडक्ट की बिक्री और खरीदारी और मार्केट में प्रचारित करना होता है। इस क्षेत्र में डिजाइनर्स, इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और मैनेजमेंट के छात्रों के लिए बेहतर अवसर हैं। खास बात यह है कि इस फील्ड में एंट्री के लिए बड़ी डिग्री की जरूरत नहीं होती। बारहवीं करने के बाद ही छात्र संबंधित कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। |
एलिजिबिलिटी: छात्र साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद फुटवियर टेक्नोलॉजी के बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। प्रवेश जेईई के स्कोर के आधार पर मिलता है। किसी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन करने वाले छात्र फुटवियर टेक्नोलॉजी का एडवांस डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। डिजाइनिंग से जुड़े कोर्स करने के लिए फैशन लेदर एसेसरी डिजाइन के बैचलर कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। कमाई: फ्रेशर को औसतन 15 से 20 हजार रु. प्रति माह पैकेज मिलता है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में 30 से 40 हजार रु. प्रति माह तक कमाई हो सकती है। जॉब प्रॉस्पेक्ट: इस क्षेत्र में कॅरिअर की शुरुआत बतौर डिजाइनर कर सकते हैं। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में भी जॉब कर सकते हैं। प्राइवेट सेक्टर में संभावनाएं ज्यादा हैं। प्रमुखसंस्थान:
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साभार: भास्कर समाचार
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