अतिथि देवता होता है, मेहमान बरकत लेकर आता है या नसीबवालों के यहां ही मेहमान आते हैं, सरीखी बातें बेमानी हो गई हैं। लोगों को अब मेहमान अच्छे नहीं लगते। समाज में आए इस बदलाव का खुलासा भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (एएसआई) ने किया है। इतना ही नहीं सिंधु घाटी की सभ्यता के जमाने से चला आ रहा ‘छत्तीस जात’ सिस्टम भी टूट गया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक, 20 सालों में ‘सोशल चेंज’ की स्पीड 40 फीसदी बढ़ी है। समाज विज्ञानी अभी तक दुनिया में सबसे धीमी सोशल चेंज की स्पीड भारत में मानते रहे हैं। भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण ने ‘सोशल चेंज’ की स्थिति जानने के लिए उत्तराखंड में चकराता तहसील के लाखामंडल, जौनपुर, यूपी के गांव सेनापुर और हरियाणा के करनाल गांव सुल्तानपुर को मॉडल बनाकर तीन राज्यों का अध्ययन किया है। 20 साल पहले इन गांवों की परंपराओं, मान्यताओं और सामाजिकता की आज की ताजा स्थिति से तुलना की तो जमीन आसमान का फर्क मिला। इन तीनों राज्यों के अध्ययन में बदलाव की स्थिति एक जैसी थी। संयुक्त परिवार टूट कर एकाकी हो गए। चौपाल, समूह में बैठकर हुक्का पीने की आदत खत्म हुई। लोग सेल्फ सेंटर्ड हुए। अपने काम से काम रखने लगे। मिलजुलकर त्योहार मनाना और मेहमाननवाजी कम हुई। रीति, रिवाज टूटे, पारंपरिक परिधानों के चलन में कमी आई। तीनों राज्यों में गांवों से पलायन बढ़ा है। इस अध्ययन में लोगों की फूड हैबिट में बड़ा बदलाव पाया गया। लोगों के खानपान से स्थानीय पेड़ों को फल और मेवा का इस्तेमाल कम हुआ। सबसे बड़ी बात यह रही कि सिंधु घाटी के समय से चली आ रही एक-दूसरे पर निर्भरता की व्यवस्था ‘छत्तीस जात’ टूट गई। सर्वेक्षण में बताया गया कि इसी व्यवस्था की वजह से भारत के गांव सदियों से आत्मनिर्भर रहे। इसमें सेवाओं के बदले खाद्यान्न दिया जाता रहा। हर जाति की अपनी कार्य विशेषज्ञता रही, गांवों के पलायन ने शहरी एरिया में मलिन बस्तियां विकसित कर दीं। सर्वेक्षण में पुरानी परंपराओं को फिर से स्थापित करने की सलाह दी गई है।
सोशल चेंज ने पहली बार इतनी गति पकड़ी। ग्लोबलाइजेशन से सांस्कृतिक घालमेल ने भी इस बदलाव को तेज किया है। गांवों से पलायन रोकने के लिए ट्रेडिशनल सिस्टम बचाने की जरूरत है। पर्यावरण, ईको-सिस्टम का बचाव भी इससे जुड़ा है।
-देवेंद्र सिंह हुड्डा, विज्ञानी, भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण
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साभार: अमर उजाला समाचार
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