Tuesday, July 14, 2015

आन्दोलनरत अतिथि अध्यापकों को हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए -EM

प्रदेश में आंदोलनरत गेस्ट टीचर्स के प्रति सरकार का रुख नरम नहीं पड़ा है। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने शिक्षकों को सलाह दी है कि वे हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करें। शिक्षा मंत्री ने कहा कि बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उच्च अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। न्यायालय के आदेशों की अनुपालना करना सबका दायित्व है। उन्होंने कहा कि अतिथि अध्यापकों की
समस्या पिछली कांग्रेस सरकार की देन है। आमरण अनशन पर बैठा निशक्त अतिथि अध्यापक विनोद कुमार भी यही बात कह कर उठ गया है। पूर्व सरकार के समय शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2012 में 4079 अतिथि अध्यापकों को सरप्लस बताते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया गया था। भाजपा सरकार की तरफ से 11 मई 2015 को मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने न्यायालय में पीजीटी अध्यापकों के रिक्त पदों पर अतिथि अध्यापकों को पदोन्नति के माध्यम से समायोजित करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर अध्यापकों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किए गए हैं। अतिथि अध्यापकों को इन पदों में निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष तक की छूट देने के साथ-साथ आठ अंक अनुभव के अनुसार देने का भी निर्णय लिया गया है।
साभार: जागरण समाचार 
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