Thursday, July 16, 2015

डायबिटीज के रोगी को सरकारी पद पर नियुक्ति से नहीं रोका जा सकता

मद्रास हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मधुमेह ग्रस्त व्यक्ति (डायबीटिक) सरकारी पदों पर नियुक्ति के लिए योग्य है। इसका कारण है कि कोई वैज्ञानिक सुबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि ऐसा व्यक्ति ड्यूटी करने में सक्षम नहीं है। हाई कोर्ट ने दक्षिणी रेलवे को आठ हफ्ते के अंदर एक महिला को नियुक्त करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन और टी मतीवानान की खंडपीठ ने दक्षिण रेलवे के मुख्य कार्मिक अधिकारी
(सीपीओ) की याचिका खारिज कर दी। सीपीओ ने एक महिला के डायबिटीज ग्रस्त होने का आधार बनाकर उसे नियुक्त करने से इन्कार कर दिया था। पीठ ने कहा कि किसी वैज्ञानिक सुबूत के बिना कि डायबिटीज ग्रस्त व्यक्ति ऑफिस की ड्यूटी करने में समर्थ नहीं रहेगा, अधिकारियों द्वारा अपनाया गया यह रुख स्वीकार करना संभव नहीं है। खासकर इस तथ्य को देखते कि पिछले पांच दशकों में भोजन, खाद, दवाओं और शराब आदि के कुल मिले प्रभावों का असर है कि भारत डायबिटीज ग्रस्त लोगों की दुनिया की राजधानी बन गई है। कोर्ट ने इंडियन डायबेट्स रिसर्च फाउंडेशन की उस वैश्विक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि 4.9 करोड़ भारतीय डायबीटिक हैं।
साभार: जागरण समाचार 
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