भूकंप के पूर्वानुमान की दिशा में आइआइटी रुड़की ने एक अहम कदम बढ़ाया है।
वैज्ञानिक भले ही अब तक यह बता पाने में सक्षम न हों कि भूकंप कब आएगा, मगर
बड़े भूंकप आने से कई सेकेंड पहले उसकी चेतावनी जरूर जारी की जा सकेगी। करीब 300 से 400 किलोमीटर के दायरे में 80 सेकेंड पहले ही छह रिक्टर स्केल
से अधिक क्षमता के भूकंप की सूचना जारी की जा सकेगी। आइआइटी के भूकंप
अभियांत्रिकी (अर्थक्वैक इंजीनियरिंग)
विभाग ने एक्सेलेरोमीटर के जरिये
भूकंपीय प्री-वेव्स (पूर्व तरंगें) के अध्ययन के बाद यह सफलता हासिल की। बुधवार को राजभवन में उत्तराखंड के राज्यपाल केके पाल की मौजूदगी में भूकंप
पूर्व चेतावनी प्रणाली (अर्थक्वैक अर्ली वार्निंग सिस्टम) विषय पर आयोजित
कार्यशाला में तकनीक से रूबरू कराया गया। आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिक प्रो.
अशोक कुमार के मुताबिक भूकंप से पहले प्री-वेव्स निकलती है, जिनकी रफ्तार
छह किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है। छह रिक्टर स्केल से अधिक क्षमता के
भूकंप में ये तरंगें अलग प्रकृति की होती हैं। एक्सेलेरोमीटर के जरिये
विभिन्न माध्यमों से इनका अध्ययन किया जाता है। इस तरह कई सेकेंड पहले ही
बड़े भूकंपों की चेतावनी जारी की जा सकती है। हालांकि प्री-वेव्स के
एक्सेलेरोमीटर से संस्थान (आइआइटी) के डाटा सेंटर तक पहुंचने में कुछ
सेकेंड लग जाते हैं। लिहाजा भूकंप के केंद्र के 30-40 किलोमीटर तक कोई
चेतावनी जारी नहीं की जा सकती। जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, पूर्व चेतावनी के
लिए अधिक समय मिलने लगता है। यदि चमोली में बड़ा भूकंप आए तो दिल्ली में
उसकी पूर्व सूचना 80 सेकेंड पहले पहुंचाई जा सकती है।
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साभार: जागरण
समाचार
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