नर्सिंग विद्यार्थियों की समस्या का समाधान
ढूंढने में जुटी सरकार ने रास्ता निकाल लिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के
अधिकारियों ने लंबी कसरत के बाद यह निर्णय लिया है कि विद्यार्थियों का साल
खराब न हो। इसके साथ ही इन्हें फीस भी दोबारा न भरनी पड़े। रास्ता
यह है कि इन विद्यार्थियाें को प्रमोट कर दिया जाएगा, लेकिन दूसरे साल की
पढ़ाई के बीच में एक टेस्ट देना होगा। यदि इस टेस्ट में ये विद्यार्थी फेल
होते हैं तो उन्हें
एक और मौका दिया जाएगा। विभाग का दावा है कि वर्तमान
परिस्थतियों और कानूनी दांव पेच को देखते हुए इसके अलावा दूसरा रास्ता नहीं
सूझ रहा था। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री ने इन कालेजों पर शिकंजा कसते हुए नए सत्र में मैनेजमेंट कोटा समाप्त कर दिया है। नए सिरे से गठित हो रही हरियाणा नर्सिंग काउंसिल अब नए तरीके से काम करेगी।
इसके साथ ही पंजाब नर्सिंग काउंसिल एक्ट पर चल रही हरियाणा नर्सिंग
काउंसिल के एक्ट में बदलाव पर कसरत शुरू हो गई है, जिसमें काउंसिल के
चेयरमैन अब डीजी हेल्थ के बजाय स्वास्थ्य मंत्री व रजिस्ट्रार का पद
महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया जाएगा। 20 वर्ष का अनुभव रखने
वाली नर्सों को बतौर सदस्य नामित किया जाएगा। मौजूदा सिस्टम में हरियाणा से
सिर्फ एकमात्र सदस्य शामिल थे, जबकि पंजाब के 8 सदस्यों को जगह दी गई थी।
नर्सिंग कालेजों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग की
ओर से तैयार किए गए मसौदे में अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नियम प्रभावी
किए जाएंगे।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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