पंजाब में जिन 258 वोकेशनल टीचर्स को प्रिंसिपल बनाने का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। जिन 258 को प्रिंसिपल बनाया गया, उनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जो योग्य ही नहीं थे और कई ऐसे भी हैं, जो मंत्रियों के रिश्तेदार हैं। दरअसल ये प्रमोशन नियमों और सीनियॉरिटी लिस्ट को दरकिनार करके किए गए।
शिक्षा विभाग ने 22 दिसंबर 2010 को 183 वोकेशनल टीचर्स को प्रिंसिपल बनाया। इसके बाद 29 अप्रैल 2011 को 14 और फिर 17 फरवरी 2012 को 61 प्रमोशन हुए। तीनों बार सीनियॉरिटी लिस्ट को दरकिनार किया गया। टीचर्स यूनियन के विरोध के बाद सरकार ने 4 मार्च 2012 को इसकी जांच पीसीएस अधिकारी संजय पोपली को सौंप दी। पीड़ित वोकेशनल टीचर्स के बयान दर्ज हुए। कई महीनों की जांच में सिद्ध हो गया कि
मंत्रियों के खास टीचर्स को ही प्रमोशन दिए गए। उन्होंने 11 अप्रैल 2012 को जांच की रिपोर्ट पंजाब सरकार को सौंपी।आचार संहिता के दौरान हुए प्रोमोशन: पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान 61 वोकेशनल टीचर्स को प्रिंसिपल बनाया गया, जबकि इस दौरान आचार संहिता लागू थी। टीचर्स यूनियन ने सवाल किया है कि जब पहले ही 197 प्रमोशन विवादों में थे तो आचार संहिता के दौरान टीचर्स को प्रमोट क्यों किया गया।