Sunday, July 22, 2012

मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का काला सच, विद्यार्थी मांगते हैं भीख

भारत में एक तरफ तो जहां सरकार बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का ढिंढोरा पीट रही है वहीँ झारखण्ड के एक गांव में शिक्षा का कौन सा काला सच उजागर होता है, जरा देखिये:
झारखण्ड के नक्सल प्रभावित किस्को प्रखंड के गाँव तिसरो स्थित प्रोजेक्ट हाईस्कूल के 70 छात्र भिक्षा मांगकर पढ़ाई कर रहे हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे ऐसा करने पर मजबूर हैं। इस स्कूल की स्थापना 24 वर्ष पहले 1988 में हुई थी, तभी से स्कूल में पढने वाले बच्चे भिक्षा मांग कर अपना भविष्य संवारते आ रहे हैं। जिला लोहदरगा प्रशासन का कहना है कि प्राइवेट स्कूल होने के कारण स्कूल को सरकारी सहायता नहीं दी जा सकती। गौरतलब है कि पिछले छह सालों के दौरान यहां के 640 बच्चों ने अच्छे अंकों के साथ हाईस्कूल की परीक्षा पास की है। अखंड बिहार के समय में
स्थापित इस स्कूल में लातेहार, गुमला और लोहरदगा जिलों के कुल 230 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से बेहद गरीब परिवारों के 70 बच्चे हॉस्टल में भी रहते हैं। इनके माता-पिता मजदूर हैं, इसलिए बच्चों को पढ़ा नहीं सकते। इसलिए उन्हें हॉस्टल में रख दिया है। पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए ये बच्चे हफ्ते में दो दिन रविवार और गुरुवार को भिक्षा मांगते हैं। जो पैसे या सामग्री मिलती है, उससे वे वहां रहकर पढ़ाई करते हैं।
शिक्षकों को भी वेतन नहीं: स्थापना के समय सरकारी राशि से स्कूल का दो मंजिला भवन बनाया गया था। इसके बाद से स्कूल को कोई सरकारी मदद नहीं मिली। यहां शिक्षकों को लंबे समय से वेतन नहीं मिला।
स्कूल भवन है जर्जर: स्कूल के प्रभारी मुख्याध्यापक ने बताया कि  स्कूल के नाम पर पांच एकड़ जमीन है। मदद के लिए जन वितरण प्रणाली की दुकान भी आवंटित हुई थी। पर इसका लाभ छात्रों को बिलकुल नहीं मिला। स्कूल भवन जर्जर है। इसको ठीक कराने का आवेदन शिक्षा निदेशक के कार्यालय में पड़ा हुआ है। परन्तु जिला शिक्षा अधिकारी पी.पी.झा से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि यह विद्यालय सरकारी नहीं है। इसलिए विभाग कोई मदद नहीं कर पाएगा।
स्रोत:  दैनिक भास्कर