Tuesday, September 16, 2014

जानिए कैसे ठगे जाते हैं आप सोना खरीदते समय

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भारतीय बाजार में सोने के दाम आज 27,000 रुपए प्रति 10 ग्राम रहा। महंगाई के इस दौर में अगर दुकानदार आपके साथ छल करें तो क्‍या आप बर्दाश्‍त कर पाएंगे। शायद नहीं! असली सोने की पहचान करना आसान नही होता, खासतौर से आम आदमी के लिए। सोने की पहचान में पूरी तरह पारंगत होना तो आसान नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर आप गलत चीज खरीदने से बच सकते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि सोना खरीदते समय किन
बातों का ध्‍यान रखें। हम आपको बताएंगे कि आपका सोना कितना शुद्ध है। सोना खरीदते वक्त उसकी क्वॉलिटी पर जरूर गौर करें। सबसे अच्छा है कि हॉलमार्क देखकर सोना खरीदें। हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। 
24 कैरेट गोल्ड की नहीं बनती ज्वैलरी: हॉलमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियम और विनियम का काम करती है। सबसे पहली बात यह कि असली सोना 24 कैरेट का ही होता है, लेकिन इसके आभूषण नहीं बनते, क्‍योंकि वो बेहद मुलायम होता है। आम तौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है। हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं। सभी कैरेट का हॉलमार्क अलग होता। मसलन 22 कैरेट पर 916, 21 कैरेट पर 875 और 18 पर 750 लिखा होता है। इससे शुद्धता में शक नहीं रहता। 
ऐसे समझिए कैसे तय कर सकते हैं अपने गोल्ड की कीमत: 
कैरेट गोल्ड का मतलब होता हे 1/24 पर्सेंट गोल्ड, यदि आपके आभूषण 22 कैरेट के हैं तो 22 को 24 से भाग देकर उसे 100 से गुणा करें। 
(22/24)x100= 91.66 यानी आपके आभूषण में इस्‍तेमाल सोने की शुद्धता 91.66 फीसदी 
मसलन 24 कैरेट सोने का रेट टीवी पर 27000 है और बाजार में इसे खरीदने जाते हैं तो 22 कैरेट सोने का दाम (27000/24)x22=24750 रुपए होगा। जबकि ज्वैलर आपको 22 कैरेट सोना 27000 में ही देगा। यानी आप 22 कैरेट सोना 24 कैरेट सोने के दाम पर खरीद रहे हैं।
ऐसे ही 18 कैरेट गोल्ड की कीमत भी तय होगी। (27000/24)x18=20250 जबकि ये ही सोना ऑफर के साथ देकर ज्वैलर आपको छलते हैं। 
नोटः यदि आप इस कैल्कुलेशन के हिसाब से सोना खरीदेंगे तो बाजार में कभी धोखा नहीं खाएंगे।
शुद्धता के हिसाब से दिए जाने वाले अंक: 
24 कैरेट = 99.9
23 कैरेट = 95.8
22 कैरेट = 91.6
21 कैरेट = 87.5
18 कैरेट = 75.0
17 कैरेट = 70.8
14 कैरेट = 58.5
9 कैरेट = 37.5 
ऐसे पहचानें असली हॉलमार्क: हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। यदि सोना-चांदी हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है। लेकिन कई ज्वैलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगा रहे हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं? असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है। उसी में ज्वैलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है। 
शुद्धता का ख्याल रखें: गोल्ड ज्वैलरी खरीदते वक्त सबसे पहले उसकी शुद्धता का पता लगाएं। 24 कैरेट गोल्ड सबसे शुद्ध होता है पर इससे ज्वैलरी नहीं बनती। गोल्ड ज्वैलरी 22 या 18 कैरेट के सोने से बनती है। यानी 22 कैरेट गोल्ड के साथ 2 कैरेट कोई और मेटल मिक्स किया जाता है। ज्वैलरी खरीदने से पहले हमेशा ज्वैलर्स से सोने की शुद्धता की जांच करा लें। सोने की शुद्धता जानने के लिए सोने का पिघाला भी जाता है।  
एसिड टेस्ट: कुछ केमिकल और एसिड होते हैं जिनके इस्तेमाल से सोने की गुणवत्ता परखी जा सकती है। सोने के संपर्क में आने के बाद इन पर कोई असर नहीं होता लेकिन अशुद्ध सोने के संपर्क में आने पर ये 
रियेक्ट करते हैं। 
निकेल और प्लैटिनम भी समझें: वाइट गोल्ड ज्वैलरी अगर आप ले रहे हैं तो निकेल या प्लैटिनम मिक्स के बजाए पैलेडियम मिक्स ज्वैलरी लेना बेहतर होगा। निकेल या प्लैटिनम मिक्स वाइट गोल्ड से स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है।  
कैडमियम और तांबे की होती है मिलावट: कई सुनार केडीएम को भी शुद्ध बताकर बेचते हैं, लेकिन इसमें कैडमियम नामक तत्व होता है, जोकि फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है। साथ ही, इसमें तांबे की मिलावट भी होती है। इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए आभूषण या सोने की किसी भी वस्‍तु पर अंक जरूर देखें। यहां पर सबसे अहम बात यह है कि अखबारों में प्रतिदिन छपने वाले या टीवी पर दिखाए जाने वाले सोने के दाम 24 कैरेट गोल्‍ड के होते हैं। इसलिए यदि आप 23, 22 या कम कैरेट का सोना खरीद रहे हैं, तो दाम कम होंगे। 
गोल्ड के प्राइज की जानकारी रखें: कई बार कंज्यूमर गोल्ड का मार्केट प्राइस जाने बगैर खरीदारी करने चले जाते हैं। ऐसा कभी न करें। इससे आपके पैसे भी ज्यादा खर्च होने की आशंका होगी और आपको सही वैल्यू भी नहीं मिल पाएगी।  
खनक पर दें ध्यान: असली और नकली सिक्कों की पहचान वे उसकी खनक से करते हैं। मेटल पर असली चांदी का सिक्का गिराने पर भारी आवाज, जबकि नकली सिक्का लोहे की तरह खनकता है। प्राचीन और विक्टोरियन सिक्के गोल व घिसे रहते हैं, जबकि नकली सिक्कों के किनारे कोर खुरदुरी रहती है। 
लीजिए पक्की पर्ची: सिक्का या ज्वैलरी खरीदते वक्त कच्ची पर्चियां लेने का ट्रेंड है। लेकिन यह गलत है। कई बार वापसी के वक्त ज्वैलर खुद ही अपनी कच्ची पर्ची नहीं पहचानते, इसलिए पक्का बिल जरूर लें। बिल में सोने का कैरेट, शुद्धता, मेकिंग चार्ज, हॉलमार्क का जिक्र जरूर हो। 
साभार: भास्कर समाचार
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