Tuesday, December 4, 2018

AJL के प्लाट पर चलता रहा बार-बार कर्ज लेने का खेल , अभी भी 13 करोड़ की देनदारी बकाया

साभार: जागरण समाचार 
नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कंपनी एजेएल को पंचकूला में आवंटित प्लाट भले ही सस्ते में देने के आरोप जड़े जा रहे हैैं, लेकिन इस प्लाट पर बैैंक से कर्ज लेने और उसकी अदायगी का खेल बरसों से चला आ रहा है। पंचकूला
के सेक्टर छह में आवंटित 3360 वर्गमीटर के प्लाट पर इसके मालिकों ने बार-बार कर्ज लिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्लाट को अटैच कर लिए जाने के बाद हालांकि अब यहां कोई कामकाज नहीं हो सकेगा, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा की मुश्किलें जरूर बढ़ गई हैैं। वर्ष 2005 में 1982 की दरों पर प्लाट नंबर सी-17 आवंटित करने के आरोप हैैं।
एजेएल के प्लाट पर चलता रहा बार-बार कर्ज लेने का खेल , अभी भी 13 करोड़ की देनदारी बकायादेश के राजनीतिक गलियारों में इस प्लाट को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। वर्तमान में एजेएल की तरफ 13 करोड़ से अधिक की देनदारी बनी हुई है। वर्ष 2005 में यह प्लाट दोबारा आवंटित होने के बाद मालिकों द्वारा इसकी एवज में 29 अगस्त 2012 को सिंडीकेट बैंक नई दिल्ली से 14.60 करोड़ रुपए का कर्ज मरम्मत कार्यों के लिए लिया गया था।
कर्ज की यह राशि 14 मार्च 2013 को लौटाई गई लेकिन मार्च 2013 में ही फिर से इसी बैंक के माध्यम से जमीन के नए मार्केट रेट को आधार बनाकर 15.25 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया गया। इस बीच प्रबंधकों ने बैंक के पास फिर सेटलमेंट का केस लगा दिया और साथ ही दोबारा नए सिरे से संपत्ति का वैल्यू प्रमाण पत्र तैयार कर कर्ज के लिए भी फाइल लगा दी।
दूसरी बार लिए गए कर्ज को 24 सितंबर 2013 को चुकाया गया लेकिन इससे पहले 23 अगस्त 2013 को फिर से इसी बैंक से 21.72 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया गया। यानी कर्ज के लेनदेन का खेल बार-बार किया जाता रहा है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो और सीबीआइ की कार्रवाई के बाद कर्ज का खेल रुक गया।
हुडा के अध्यक्ष के नाते लपेटे में आए हुड्डा: हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को धारा 409, 420 एव 120बी के तहत केस दर्ज किया था। 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआइ को सौंप दिया। सीबीआइ ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की है।
2005 में 1982 की दरों पर अलाट किया प्लाट: 24 अगस्त 1982 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने नेशनल हेराल्ड को प्लाट आवंटित किया था। कंपनी को इस पर 6 माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया। 26 जुलाई 1995 को मुख्य प्रशासक हुडा ने एस्टेट ऑफिसर के आदेश के खिलाफ कंपनी की अपील खारिज कर दी। 14 मार्च 1998 को कंपनी की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट का अलॉटमेंट बहाली के लिए अपील की।
14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन, कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया। 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर लिए। साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा गया। सीए हुडा ने भी पुरानी रेट पर प्लॉट अलॉट करने के आदेश दिए।
हमने जुर्माना राशि वसूलकर दिया था प्लाट: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने नियमों के अनुसार प्लाट का रि-अलाटमेंट किया था। इस प्लाट की अलाटमेंट के लिए संबंधित लोगों से जुर्माने की राशि हुडा ने वसूल की। प्लाट की वास्तविक कीमत दो लाख रुपये के आसपास थी, लेकिन 60 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया है। यह हुडा के नियमों में है। इसलिए पूरा मामला जानबूझकर राजनीतिक बनाया गया है। इसमें कहीं कुछ गलत नहीं हुआ है। राजनीतिक हमलों का जवाब समय से जनता देगी।