Friday, December 16, 2016

एक सरकारी स्कूल ऐसा; जहां खुशी में मिठाई नहीं बंटती, छात्रकोष में जमा होता है पैसा, व्यवस्थाएं ऐसी की कोई पढ़ने बाहर नहीं जाता

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की ताखरांवाली पंचायत के गांव 44-LLW का राजकीय माध्यमिक विद्यालय, कहने को यह सरकारी स्कूल है, पर यहां की व्यवस्थाएं प्राइवेट स्कूलों को मात देती हैं। गांव का हर बच्चा टाई-बैल्ट आईकार्ड लाता है। कक्षा में अच्छा फर्नीचर है और सभी के बाहर पानी के वाटर कैंपर रखे हैं। परिणाम की
बात करें तो तीन साल से स्कूल का परिणाम 100 फीसदी रह रहा है और यह सब हुआ है स्कूल की एक परंपरा की बदौलत। यह परंपरा है स्कूल में जब भी खुशी का मौका होता है तो मिठाई नहीं बंटती। बल्कि उसका पैसा छात्र कोष में जमा कराया जाता है। फिर यही रुपए स्कूल के लिए संसाधन खरीदने के अलावा जरूरतमंदों पर खर्च किए जाते हैं। 
स्कूल स्टाफ के सुनील कुमार और नरेश कुमार बताते हैं, दो साल पहले तक गांव के अनेक बच्चे कई प्राइवेट स्कूलों में जाते थे। वे जब एडमिशन के लिए गांव में निकले तो पता चला, लोग पढ़ाई के साथ ही स्टैंडर्ड भी चाहते हैं। लोगों का मन था कि उनके बच्चे स्कूल जाएं ताे आसपास के लोगों को लगे कि वाकई बच्चे किसी अच्छे स्कूल में पढ़ते हैं। उसी दिन स्टाफ ने ठाना कि ये स्कूल तो सरकारी है पर इसे प्राइवेट जैसी सुविधाएं देकर ही दम लेंगे। लेकिन इसमें परेशानी ये आई कि स्कूल के पास बजट नहीं था। 
इसका आइडिया यह निकाला कि गांव में खुशी का मौका होता या स्कूल में किसी स्टाफ के घर में खुशी होती तो उससे पार्टी अथवा मिठाई लेने के बजाय उससे राशि छात्र कोष में जमा करवा ली जाती। फिर इन्हीं रुपयों से स्कूल के लिए टाई-बैल्ट खरीदे गए। इसके बाद अगले वर्ष से ही बच्चों के लिए टाई, बैल्ट अनिवार्य कर दिया। बुधवार और शनिवार को बिना यूनिफॉर्म के दिन के लिए सफेद ड्रेस लगाई। पढ़ाई भी मन लगाकर करानी शुरू की। असर पहले गांव से बाहर पढ़ने जाते थे बच्चे, अब बाहर से पढ़ने यहां आते हैं: स्कूल में बदलाव का असर यह हुआ कि तीन जीपों में गांव के बच्चे बाहर पढ़ने जाते थे, सबने बाहर पढ़ने जाना बंद कर दिया। पंच कालूराम बताते हैं, इन बदलावों की वजह से अब दसवीं तक का एक भी बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने नहीं जाता। अध्यापक कृष्ण कुमार के अनुसार इसी वर्ष यहां आए प्रिंसिपल सुशील बिश्नोई ने स्टाफ के साथ ही सभी बच्चों के भी आईकार्ड बनवा दिए। अब स्कूल में बच्चे शूज, टाई, बैल्ट और आईकार्ड के साथ ही आते हैं। कंप्यूटर की अत्याधुनिक लैब है। व्हाइट बोर्ड पर मार्कर से लिखकर पढ़ाते हैं। कक्षा एक से दस तक के लिए फर्नीचर है। गांव में 90 घर हैं और स्कूल में छात्र संख्या 153 है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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