Sunday, November 15, 2015

एलपीजी: 10 लाख से ज्यादा आमदनी वालों की ख़त्म हो सकती है सब्सिडी

अब समय आ गया है कि रसोई गैस सब्सिडी पाने वाले उपभोक्ताओं की खातिर आय सीमा तय की जाए। यह बात शनिवार को कोलकाता में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने संपन्न लोगों से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने का आग्रह करते हुए कही। प्रधान उद्योग चैंबर सीआइआइ की ओर से आयोजित आर्थिक सम्मेलन में शिरकत करने यहां पहुंचे थे। हैदराबाद में एक कार्यक्रम में केंद्रीय शहरी विकास एवं संसदीय कार्य
मंत्री एम वेंकैया नायडू ने यही बात कहीं अधिक स्पष्ट रूप से कह डाली। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वेंकैया के मुताबिक, राजग सरकार 10 लाख से अधिक सालाना आय वाले उपभोक्ताओं की एलपीजी सब्सिडी खत्म करने विचार कर रही है। प्रधान ने कोलकाता में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मुझसे एक बार वित्त मंत्री ने पूछा था कि क्या एलपीजी सब्सिडी को लेकर किसी आयवर्ग के बारे में सोचने की आवश्यकता है तो मैंने कहा-हां, इस बारे में सोचने की जरूरत है।’ प्रधान ने जानकारी दी कि पहल के नाम से जानी जा रही प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना यानी डीबीटी के लागू होने के बाद तीन करोड़ डुप्लीकेट एलपीजी कनेक्शन निरस्त किए गए हैं। इससे सरकार बीते वित्त वर्ष 2014-15 में 15,000 करोड़ रुपये की बचत करने में सक्षम रही है। नायडू ने कहा, ‘पेट्रोलियम मंत्री ने मुङो बताया कि डीबीटी लागू होने से बड़ी संख्या में अवैध गैस कनेक्शनों का पता चला है। ऐसे फर्जी या दोहरे कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं की गैस आपूर्ति रोककर सरकार हजारों करोड़ रुपये बचा रही है। सरकार यह योजना भी बना रही है कि 10 लाख से अधिक आय वालों को गैस सब्सिडी नहीं दी जाएगी, क्योंकि उन्हें सब्सिडी की क्या जरूरत है। इसी तरह मंत्रियों को भी सब्सिडी क्यों दी जानी चाहिए?’
केरोसीन भी आएगा डीबीटी के दायरे में: पेट्रोलियम मंत्री ने कहा सरकार सब्सिडी को और प्रभावी बनाने के लिए रसोई गैस के साथ केरोसीन को भी इस श्रेणी में लाने पर विचार कर रही है। स्वैच्छिक एलपीजी सब्सिडी छोड़ने वालों में पूर्वी भारत का योगदान काफी कम है। अभी तक देशभर में 46 लाख लोगों ने अपनी मर्जी से गैस सब्सिडी छोड़ी है। कोलकाता में यह संख्या एक लाख से भी कम है। अब यह निर्णय लेने का समय आ गया है कि एक निश्चित आमदनी से ऊपर वालों के लिए सब्सिडी खत्म कर दी जाए।प्रधान ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रलय पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिये गैस आपूर्ति पर निर्भर रहता है यद्यपि यहां अब तक की खोज में कच्चा तेल नहीं मिला है लेकिन देश के इस भाग में चार तरह की गैस व कोयले का प्रचुर भंडार है जिनमें कोल बेड मिथेन, प्राकृतिक गैस, आयातित प्राकृतिक गैस और कोयला आधारित गैस शामिल हैं। इससे पूरे पूर्वी क्षेत्र का आर्थिक विकास तेजी से होगा जहां प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी कम है। केंद्र ने बांग्लादेश सरकार के साथ हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग के लिए वार्ता शुरू की है, ताकि बांग्लादेश के जरिये त्रिपुरा से गैस का परिवहन हो सके। केंद्र सरकार पूर्वी क्षेत्र को तेल एवं गैस का मुख्य द्वार बनाना चाहती है। इनमें चार एलएनजी टर्मिनल अवधारणा के चरण में हैं। सरकार क्षेत्र के 69 छोटे तेल एवं गैस क्षेत्रों के विकास के लिए एक नीति तैयार करने का प्रयास कर रही है। 
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साभारजागरण समाचार 
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