साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगे मामले में दो सदस्य वाली एसआइटी कमेटी को जांच जारी रखने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने 11 जनवरी के अपने आदेश को संशोधित करते हुए ये फैसला सुनाया। बता
दें कि केन्द्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की आगे जांच कर ही एसआइटी में दो सदस्यों के काम करते रहने पर उसे आपत्ति नहीं है। सरकार ने कोर्ट से कहा कि सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी राजदीप सिंह की जगह किसी और को एसआइटी में शामिल करना जरूरी नहीं है। राजदीप सिंह ने निजी कारणों का हवाला देते हुए एसआइटी का सदस्य बनने से मना कर दिया है।
हालांकि कोर्ट ने सोमवार को यह कहते हुए सुनवाई नहीं की कि एसआइटी गठन का आदेश गत 11 जनवरी को तीन सदस्यीय पीठ ने दिया था, ऐसे में उस आदेश में बदलाव दो सदस्यीय पीठ नहीं कर सकती। केन्द्र की ओर से पेश एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता के इस सुझाव पर कोई आपत्ति नहीं है कि एसआइटी के दो सदस्य ही जांच की निगरानी जारी रखें।
सुप्रीम कोर्ट ने गत 11 जनवरी को सेवानिवृत न्यायाधीश एसएन धींगरा की अध्यक्षता में दंगों के 186 मामलों की आगे जांच की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन किया था। इन मामलों में पहले क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हुई थी। गौरतलब है कि 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़के थे, जिसमें दिल्ली में ही हजारों लोगों की जानें गईं थीं। दंगों में कानपुर में भी जान माल का बड़ा नुकसान हुआ था।