पिछले कुछ वर्षो में करियर ट्रेंड तेजी से बदला है। स्टूडेंट्स मेडिकल, इंजीनियरिंग या फिर मैनेजमेंट जैसे कोर्सो के साथ कुछ ऐसे क्षेत्रों में भी हाथ आजमाने लगे हैं, जहां चुनौतियों के साथ आगे बढ़ने का भी काफी अवसर होता है। ये कुछ ऐसे ही क्षेत्र हैं, जहां युवाओं के लिए आगे आने वाले दिनों में बेशुमार मौके हैं:
फाइनेंशियल इंजीनियरिंग: फाइनेंशियल इंजीनियरिंग तेजी से उभरता हुआ करियर है और इस फील्ड में संभावनाएं भी अनंत हैं। हालांकि नाम के बावजूद यह फील्ड पूरी तरह इंजीनियरिंग से जुड़ा नहीं है। इसमें फाइनेंशियल टूल्स के साथ इंजीनियर की थ्योरी और प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल होता है। इस फील्ड से जुड़े पेशेवर वित्तीय नियमों के क्रियान्वयन, कॉरपोरेट फाइनेंस, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, रिस्क मैनेजमेंट, ट्रेडिंग आदि जैसे कार्यो से जुड़े होते हैं। फाइनेंशियल
इंजीनियर बनने के लिए बैचलर डिग्री होना जरूरी है।
कई संस्थान फाइनेंशियल इंजीनियरिंग से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स करवाने लगे हैं। आमतौर पर फाइनेंशियल इंजीनियर डाटा आधारित फाइनेंशियल मॉडल्स तैयार करने के लिए मार्केट ट्रेंड्स का विश्लेषण करते हैं। इसके लिए वे मैथ्स के फॉमरूला, प्रोग्रामिंग और इंजीनियरिंग थ्योरीज का भी इस्तेमाल करते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद बैंकिंग, इंश्योरेंस, सिक्योरिटी ट्रेडिंग और इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी जैसे विभिन्न फाइनेंशियल एरिया में नौकरी मिल जाती है। फाइनेंशियल इंजीनियर्स की शुरुआती आय 6 से 14 लाख रुपये सालाना हो सकती है।
ऐप्स डेवलपमेंट: ऐप्स डेवलपमेंट का कोर्स युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। कंप्यूटर साइंस में डिग्री, जैसे- बीई/बीटेक डिग्री कोर्स करके ऐप्स डेवलपमेंट के क्षेत्र में करियर बनाया जा सकता है। इसके लिए आइओएस या जावा पर एप्लिकेशन राइटिंग के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वज, जैसे- सी, सी, ऑब्जेक्टिव-सी की जानकारी होनी चाहिए। कई प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स ऐप्स डेवलपमेंट में शॉर्ट टर्म या डिप्लोमा कोर्स संचालित करते हैं। इसमें ढाई-तीन महीने का एडवांस ट्रेनिंग कोर्स चलाया जाता है। यहां मोबाइल यूआइ डिजाइनर और यूजर एक्सपीरियंस ऐंड यूजेबिलिटी विशेषज्ञ के रूप में काम कर सकते हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में इंजीनियर और मोबाइल आर्किटेक्ट के रूप में भी नौकरी के अवसर मौजूद हैं। प्रोग्रामिंग में ट्रेंड आइटी प्रोफेशनल्स की डिमांड ज्यादा है। इस फील्ड में एंड्रॉयड ऐप डेवलपर, मोबाइल ऐप डेवलपमेंट कंसल्टेंट, मोबाइल ऐप टेस्टर, मोबाइल ऐप डेवलपमेंट डिबगिंग जैसे पदों पर जॉब्स के अवसर मिलते हैं।
एनर्जी इंजीनियरिंग: एनर्जी इंजीनियरिंग का कोर्स भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। सोलर व विंड एनर्जी पर सरकार का फोकस काफी बढ़ा है। देश में कई सोलर पार्क भी बन रहे हैं। सूर्य की रोशनी से प्राप्त होने वाली ऊर्जा यानी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में एनर्जी इंजीनियर की डिमांड काफी बढ़ने वाली है। वैसे इस समय गुजरात राज्य में सबसे अधिक सोलर प्रोजेक्ट्स स्थापित हैं। इस फील्ड में संभावनाओं को देखते हुए बड़ी कंपनियां भी कदम रखने जा रही हैं। फिजिक्स और मैथ्स के साथ 12वीं करने के बाद बीटेक में एडमिशन लेकर इस फील्ड में करियर बना सकते हैं। आमतौर पर एनर्जी फील्ड में बीटेक, एमटेक डिग्रीधारी स्टूडेंट्स की ज्यादा डिमांड होती है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग के बारे में जागरूकता बढ़ने से भी एनर्जी इंजीनियर की मांग बढ़ी है। गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशन के साथ निजी क्षेत्र की कंपनियों में भी काम करने का काफी अवसर होता है।
मैनेजमेंट कंसल्टेंट: आज के दौर में ऑर्गनाइजेशन के विकास में मैनेजमेंट कंसल्टेंट का अहम योगदान होता है। ये ऑर्गनाइजेशन की तरक्की के लिए स्ट्रेटेजी तैयार करने के साथ बिजनेस की मौजूदा समस्याओं का विश्लेषण करते हैं। देश के प्रमुख संस्थानों से एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में करियर बनाया जा सकता है। इस फील्ड में एक्सपोजर भी काफी मिलता है। एमबीए करने के बाद एसोसिएट अथवा कंसल्टेंट जैसी सीनियर पोजिशन पर काम मिल सकता है। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि परंपरागत व्यवसाय में लोग जितना कई साल में सीखते हैं, उतना हुनर तो एक साल की मैनेजमेंट कंसल्टेंसी में हासिल कर लेते हैं। इस फील्ड में सफल होने के लिए बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स जरूरी है, ताकि आप अपने विचार से क्लाइंट को प्रभावित करने में कामयाब हो सकें। क्लाइंट की बातों को सुनना और उसका अच्छा मार्गदर्शन करना भी आवश्यक है। इस फील्ड में शुरुआत में 5 से 8 लाख रुपये का सालाना का पैकेज मिलने लगता है।
लॉजिस्टिक्स: ई-कॉमर्स की उछाल ने लॉजिस्टिक्स को काफी तेजी से उभारने का काम किया है। ई-कॉमर्स के क्षेत्र में आई तेजी के कारण लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में संभावनाएं और बढ़ गई हैं, क्योंकि अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी विभिन्न ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां प्रोडक्ट की बुकिंग तो ऑनलाइन करती हैं, लेकिन इन्हें सही पैकिंग से ग्राहकों तक सुरक्षित पहुंचाने की सारी जिम्मेदारी लॉजिस्टिक्स पर ही होती है। केपीएमजी-स्नैपडील की एक हालिया स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, ई-कॉमर्स और ई-रिटेल से जुड़े लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग तथा तकनीकी क्षेत्र में आने वाले दिनों में सबसे अधिक नौकरियां पैदा होंगी। भारत में यह बिजनेस इसलिए तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि यहां हर कंपनी लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल कर रही है। देश के विभिन्न संस्थानों में इस क्षेत्र के लिए अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों तरह के कोर्स मौजूद हैं। अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए 12वीं पास तथा पीजी कोर्स के लिए ग्रेजुएशन करना जरूरी है। इन दिनों लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट में ही दो वर्षीय एमबीए कोर्स भी कई संस्थान ऑफर कर रहे हैं। कोर्स करने के बाद स्कूल, अस्पताल, बैंक, रिटेल कंपनी तथा वित्तीय संस्थानों में नौकरी की ढेरों संभावनाएं हैं।
पैकेजिंग और प्रिंटिंग: जो दिखता है, वही बिकता है। यह बात पैकेजिंग और प्रिंटिंग इंडस्ट्री पर भी लागू है। जिस प्रोडक्ट की पैकेजिंग जितनी अच्छी होती है, ग्राहक की नजर में वह उतनी ही जल्द चढ़ जाता है। इन दिनों भारत में पैकेजिंग इंडस्ट्री रफ्तार पकड़ रही है। इसीलिए पैकेजिंग से जुड़े लोगों की मांग भी बढ़ रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग इससे जुड़े कई कोर्स ऑफर कर रही है, जैसे- तीन महीने का सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन पैकेजिंग, दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, एग्जीक्यूटिव डेवलपमेंट प्रोग्राम आदि। इसमें पैकेजिंग डिजाइन ऐंड डेवलपमेंट, प्रिंटिंग और पैकेजिंग मशीन, क्वालिटी कंट्रोल पर अधिक जोर दिया जाता है। इसके अलावा, एसआइईएस स्कूल ऑफ पैकेजिंग, मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी आदि से भी पैकेजिंग से जुड़े कोर्स कर सकते हैं। कोर्स खत्म करने के बाद एफएमसीजी कंपनियों, एक्सपोर्ट हाउस और प्रिंटिंग कंपनी में काम कर सकते हैं। 12वीं और ग्रेजुएशन के बाद इस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। शुरू-शुरू में सालाना सैलरी पैकेज तीन लाख रुपये से अधिक का होता है।
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साभार: जागरण समाचार
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