Wednesday, January 4, 2017

अब कोई गोलमाल नहीं: नर्सिंग परिषद ही तय करेगी कोर्स, दाखिले परीक्षा का पैटर्न

हरियाणा में लागू पंजाब नर्स पंजीकरण अधिनियम, 1932 को खत्म कर दिया गया। अब इसकी जगह 'स्टेट नर्सेज एंड नर्स मिडवाइव्स काउंसिल' गठित की जाएगी। सीएम की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट बैठक में राज्य नर्सेज एवं नर्स मिडवाइव्स परिषद विधेयक, 2017 के प्रारूप को मंजूरी दी गई। यह परिषद हरियाणा नर्स
पंजीकरण परिषद का स्थान लेगी। नर्सिंग के दाखिले, पाठ्यक्रम, परीक्षा और रजिस्ट्रेशन पर परिषद नजर रखेगी। परिषद चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अधीन काम करेगी। हिमाचल और आंध्रप्रदेश की तर्ज पर यह परिषद गठित की जाएगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के महानिदेशक या निदेशक इस परिषद के पदेन अध्यक्ष और अतिरिक्त निदेशक इस परिषद के पदेन उपाध्यक्ष होंगे। नर्सिंग क्षेत्र में अनुभव प्राप्त महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं का एक प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होगा। पीजीआईएमएस रोहतक, कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज करनाल, शहीद हसन खान मेवाती गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज,नल्हड़, भगतफूल सिंह गवर्नमेंट वुमेन मेडिकल कॉलेज के स्त्रीरोग विभाग के प्रधान या प्रोफेसर, पंडित बीडी शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी रोहतक के नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल इसके सदस्य होंगे और परिषद का रजिस्ट्रार इसका सदस्य सचिव होगा। सरकार द्वारा परिषद के छ: सदस्य मनोनीत किए जाएंगे, जिनमें से तीन संबंधित राजकीय नर्सिंग संस्थानों के प्रिंसिपल या एचओडी और दो सदस्य हरियाणा के निजी नर्सिंग संस्थानों से होंगे। एक सदस्य प्रतिष्ठित नर्सिंग शिक्षाविद होगा। परिषद के पदेन सदस्यों के अलावा अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। 
अब प्रदेश में नर्सिंग संस्थान खोलने से पहले परिषद से मंजूरी लेनी होगी। कोई संस्थान परिषद द्वारा निर्धारित मानक पूरे नहीं करता है तो उसे इस शर्त पर अस्थाई मान्यता प्रदान की जा सकती है कि वह अस्थाई मान्यता प्रदान करने की तिथि से परिषद द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर निर्धारित मानक पूरे कर देगा। यदि यह शर्त पूरी नहीं होती है तो अस्थाई मान्यता वापस होगी। 

हुड्डा सरकार में धड़ल्ले से खुले थे संस्थान: प्रदेश में नर्सिंग के 36, जीएनएम (जनरल नर्सिंग मिडवाइफ) और एएनएम (ऑग्जलरी नर्स मिडवाइफ) के करीब 170 संस्थान हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कई बार यह मामला उठा चुके थे कि हुड्डा सरकार में बिना कसौटी पर उतारे संस्थानों को धड़ाधड़ मंजूरी दी गई। बहुत से संस्थानों के पास तो जरूरी संसाधन भी नहीं हैं। विज ने नवंबर 2014 में हुई एएनएम-जीएनएम की परीक्षा भी रद्द कर दी थी।
10 हजार से ज्यादा छात्र जुड़े: प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा युवा नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम का कोर्स कर रहे हैं। अभी तक नियम स्पष्ट होने की वजह से परीक्षाएं अक्सर अटक जाती थी। कई संस्थान बिना सुविधाओं के ही कोर्स चला रहे थे और परीक्षाओं में खूब नकल होती थी। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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