हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार देश की भावी पीढ़ी को शिक्षित, चरित्रवान, स्वस्थ और कुशल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर की शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने और शिक्षा को रोजगारन्मुखी बनाने पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति में भी लिखा है कि ऐसा व्यक्ति जो सद्चरित्र हो, उसे वेदों का ज्ञान भले ही कम हो, उस व्यक्ति से कहीं अच्छा है, जो वेदों का पंडित होते हुए भी शुद्ध जीवन व्यतीत न करता हो। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के समक्ष राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के उदाहरण प्रस्तुत कर संस्कारों की शिक्षा भी दी जानी चाहिए। शर्मा ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा एक महत्वाकांक्षी पहल शिक्षार्थी संवर्धन कार्यक्रम (लर्नर एनहांसमेंट प्रोग्राम) प्रदेश के 3222 प्राथमिक स्कूलों में लागू किया गया है। इसके तहत 18000 अध्यापकों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि शिक्षण-प्रशिक्षण की मॉनीटरिंग के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों के शिक्षण स्तर में सुधार के लिए पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक मासिक टेस्ट लेने की स्कीम शुरू की गई है। इसकी ऑनलाइन समीक्षा की जाती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी स्कूलों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं, जबकि एक वर्ष पहले तक राज्य के कई स्कूलों में एक भी शौचालय नहीं होता था।
नैतिक चरित्र निर्माण करना उद्देश्य: शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों के नैतिक चरित्र का निर्माण करना और रोजगार के योग्य बनाना है। उन्होंने कहा कि भारतीय दार्शनिकों का अटल विश्वास है कि केवल लिखना-पढ़ना ही शिक्षा नहीं है वरन नैतिक भावनाओं को विकसित करके चरित्र का निर्माण करना परम आवश्यक है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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