यूएसऔर यूके सहित विभिन्न देशों की तर्ज पर भारतीय चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए अब देश की बड़ी हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटीज एक मंच पर गई है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटीज (एएचएसएच) को सक्रिय करते हुए 13 राज्यों के हेल्थ विवि के कुलपतियों ने मिलकर छह बड़े बदलाव करने का फैसला लिया है।
यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मरीजों और डॉक्टरों के बीच विवादित घटनाओं पर अंकुश लगाने को अब देश में पहली बार एमबीबीएस कोर्स में मेडिकल एथेक्सि यानी नैतिकता विषय को शामिल किया जा रहा है। इसका पेपर भी होगा। राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क स्थापित कर सभी हेल्थ विवि के विद्यार्थियों को महंगे जर्नल इंटरनेट और फोटोकॉपी उपलब्ध कराने को भी प्रस्ताव में शामिल किया गया है। 7 नवंबर को नई दिल्ली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में होने वाली ऑल इंडिया हेल्थ यूनिवर्सिटीज वाइस चांसलर कॉन्क्लेव में इन प्रस्ताव को स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों के समक्ष रखा जाएगा। इस कानक्लेव में एमसीआई, डीसीआई, एफसीआई आदि के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। एसोसिएशन ऑफ हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटीज के इस कॉन्क्लेव के आयोजन की जिम्मेदारी रोहतक को मिली है। पंडित बीडी शर्मा हेल्थ विवि के कुलपति प्रो. ओपी कालड़ा ने बताया कि कॉन्क्लेव में पहली बार 13 में से 11 हेल्थ विवि के कुलपति शिरकत करेंगे। अहम मुद्दों पर मोहर लगाकर अनुमोदन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के पास भेजा जाएगा ताकि चिकित्सा जगत में और अधिक गुणवत्ता लाई जा सके।
ये होंगे छह बड़े फायदे:
1.हेल्थसाइंसेज यूजीसी बनने से मेडिकल रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा।
2.एथिक्सविषय पढ़ाने से मरीज डॉक्टरों के बीच विवादों में कमी आएगी।
3.शिक्षामें बदलाव नई तकनीकों के इस्तेमाल से डॉक्टर मरीज दोनों को होगा फायदा।
4.पाठ्यक्रममें बदलाव होने से जान सकेंगे नई तकनीक।
5.नामांकितव्यक्ति होने से संस्थान की मूल समस्याएं आसानी से पहुंचेगी काउंसिल तक।
6.ई-जरनलबहुत सस्ता मिलने से सरकारी बजट की बचत होगी।
1. यूजीसीकी तर्ज पर अलग से हेल्थ साइंसेज यूजीसी स्थापित करवाना।
2.सिलेबसमें मेडिकल एथिक्स विषय को शामिल करवाना।
3.शिक्षाके मानकों अनुसंधान में सुधार लाने के लिए नई योजनाएं।
4.डॉक्टरोंके सदियों पुराने पाठ्यक्रम में बदलाव हो।
5.चिकित्साकोर्सों की सभी कांउसिल में कुलपति द्वारा नामांकित व्यक्ति शामिल होना।
6.देशके सभी मेडिकल स्टूडेंट्स को एकसाथ ई-जरनल उपलब्ध कराना।
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साभार: भास्कर समाचार
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