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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से कहा है कि वे ऐसे ग्राहकों
का खाता आंशिक रूप से बंद कर दें, जो कई बार याद दिलाने के बावजूद केवाईसी
नियमों का पालन नहीं करते। साथ ही आरबीआई ने यह भी कहा है कि बाद में ऐसे
खातों को पूरी तरह बंद भी किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए ग्राहकों को
इस दौरान छह माह का वक्त मिलेगा। - क्या है नोटिफिकेशन में: आरबीआई की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, यह तय किया गया है कि कई बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद यदि ग्राहक केवाईसी (नो योर कस्टमर) नियमों का पालन नहीं करता, तो ऐसी स्थिति में बैंक उसके खाते को आंशिक तौर पर बंद कर सकता है।
- मिलेगा छह महीने का वक्त: हालांकि बैंकों को यह भी कहा गया है कि वे खाते को आंशिक तौर पर बंद करने से पहले ग्राहक को तीन महीने का एक नोटिस दें और उसके बाद तीन महीने की अवधि का एक रिमाइंडर दें। आरबीआई ने नोटिफिकेशन में कहा है कि आंशिक तौर पर खाते को बंद करने की स्थिति में उस खाते में पैसे जमा करने के हर विकल्प की अनुमति होगी, जबकि उसमें से किसी भी तरह से पैसे नहीं निकाले जा सकेंगे। लेकिन अकाउंट होल्डर को इस दौरान अपने खाते को बंद करने की स्वतंत्रता होगी।
- छह महीने बाद हो सकता है पूरी तरह से बंद: अगर खाते को आंशिक तौर पर बंद करने के छह महीने के बाद भी अकाउंट होल्डर केवाईसी से संबंधित अपडेट नहीं कराता, तो बैंक उस खाते में पैसे जमा करने और उससे पैसे निकालने की अनुमति भी बंद कर सकता है। इस तरह यह खाता पूरी तरह बंद (इनऑपरेटिव) हो सकता है।
- ग्राहक को होगा खाता फिर से चालू कराने का अधिकार: इसके बाद बैंक के पास यह अधिकार होगा कि वे इस खाते को पूरी तरह बंद कर सकते हैं। हालांकि इस बीच अकाउंट होल्डर चाहे तो वह केवाईसी के कागजात जमा कर उस खाते को फिर से चालू करा सकते हैं।
- आरबीआई ने किए थे केवाईसी नियम आसान: याद रहे कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में आरबीआई ने बैंक खाता खोलने से संबंधित केवाईसी नियमों में ढील दी थी। आरबीआई ने बैंकों से कहा था कि वे खाता खोलने के लिए पोस्ट या मेल से मिली दस्तावेज की स्व-प्रमाणित (सेल्फ एटेस्टेड) कॉपी को स्वीकार करें। जब किसी बैंक का मौजूदा एकाउंट होल्डर, जिसने पहले से केवाईसी करा रखा हो, उसी बैंक में एक और खाता खोलना चाहता हो, तो ऐसी स्थिति में बैंकों को उससे नया दस्तावेज न लेने के लिए कहा गया है।
- अपडेशन के लिए जरूरी नहीं है उपस्थिति: केवाईसी के अपडेशन के बारे में आरबीआई ने बैंकों से कहा था कि वे ग्राहक की फिजिकल प्रेजेंस (उपस्थिति) पर जोर न दें। इसके अलावा वे नया आइडेंटिटी प्रूफ और एड्रेस प्रूफ भी न मांगें यदि कम जोखिम वाले ग्राहक के स्टेटस में कोई बदलाव न हुआ हो। साथ ही आरबीआई ने यह भी कहा कि बैंकों के लिए यह जरूरी है कि वे कम जोखिम वाले ग्राहकों सहित सभी ग्राहकों के लिए केवाईसी मानक पूरा कराएं।
- क्या हैं बंद खाते से जुड़े नियम: सितंबर में आरबीआई ने बैंक खातों के बंद होने से संबंधित नियमों में बदलाव किया था। बैंक ने यह स्पष्ट किया था कि किसी भी बैंक खाते को बंद (इनऑपरेटिव) नहीं माना जाएगा, यदि पिछले दो सालों के दौरान उसमें डिविडेंड जमा किया गया हो।
- डिविडेंड जमा होने पर नहीं बंद होगा खाता: भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने नोटिफिकेशन में कहा था, “चूंकि शेयरों से प्राप्त डिविडेंड किसी बचत खाते में उस ग्राहक की सहमति से ही क्रेडिट होता है, ऐसे में उस ट्रांजैक्शन को ग्राहक की ओर से ही किया गया ट्रांजैक्शन माना जाना चाहिए। ऐसे में जब तक उस बचत खाते में डिविडेंड आता रहे, तब तक उसे ऑपरेटिव खाता माना जाना चाहिए।”
- क्यों जारी हुआ नोटिफिकेशन: ध्यान रहे कि कोई बचत खाता तब बंद या डॉरमेंट मान लिया जाता है जब दो सालों तक उसमें कोई भी क्रेडिट या डेबिट न हो। ऐसे में कुछ बैंकर्स ने इस बारे में शंका जाहिर की थी कि यदि किसी खाते में केवल डिविडेंड ही क्रेडिट होता रहे, तो क्या उसे दो सालों के बाद बंद खाता माना लिया जाना चाहिए? आरबीआई ने इस शंका के समाधान के तौर पर यह स्पष्टीकरण दिया है।
- छात्रों के खातों के बारे में नोटिफिकेशन: इसके अलावा आरबीआई ने सितंबर में उन छात्रों को भी राहत दी थी जिनके खाते सरकारी योजनाओं की राशि प्राप्त करने के लिए खोले जाते हैं। आरबीआई के नोटिफिकेशन में कहा गया था, “बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशानुसार बैंक यह सुनिश्चित करें कि विभिन्न केंद्रीय/ राज्य सरकारों की छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत लाभ पाने वाले सभी छात्रों के खातों पर मिनिमम बैलेंस और टोटल क्रेडिट लिमिट जैसे प्रतिबंध न लगाए जाएं।”
- क्यों जरूरी है यह नोटिफिकेशन: इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरबीआई को यह जानकारी दी थी कि प्राइमरी, सेकेंडरी, हायर सेकेंडरी स्कूल और टेक्निकल इंस्टिट्यूशंस में पढ़ने वाले छात्रों के लिए खोले गए जीरो बैलेंस खातों में कुल जमा (टोटल क्रेडिट) पर बैंक एक सीमा तय कर देते हैं। ऐसे में जब छात्रवृत्ति की राशि जमा सीमा (क्रेडिट लिमिट) से ऊपर चली जाती है, तो बैंक उसमें राशि जमा करने की अनुमति नहीं देते और यह राशि सरकार को वापस हो जाती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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