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रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे आसपास पाई जाने वाली जडी-बूटियां
और हमारा पारंपरिक ज्ञान किस कदर मदद कर सकता है, इसका आकलन नहीं किया जा
सकता। छोटी-छोटी समस्याओं के लिए कई बार हमें उपाय समझ में नहीं आते और ऐसे
में आपके हाथ कोई ऐसी बात आ जाए जिसे अपनाकर आप समस्याओं से निजात पा जाएं
तो क्या बात हो। आइये, जानते हैं जड़ी-बूटियों और आदिवासियों के पारंपरिक
ज्ञान की मदद से हम किस तरह अपनी जिंदगी में आने वाली
सामान्य समस्याओं को
आसानी से सुलझा सकते हैं:- क्या आप नमक में आने वाली नमी से परेशान हैं? चावल के कच्चे दानों की कुछ मात्रा नमक के डिब्बे में डाल दीजिए, नमक पसीजेगा नहीं, यानी नमक में नमी नहीं आएगी।
- मेहंदी की पत्तियां किताबों और कपड़ों में लगने वाले कीड़ों को आसपास भी फटकने नहीं देतीं। मेहंदी की 5-10 सूखी पत्तियों को किताबों और कपड़ों की अलमारियों में रखिए, कीड़े नही पड़ेंगे।
- कच्चे चावल के दाने (1-2 ग्राम) लेकर चबा लीजिए, बार बार प्यास लगनी बंद हो जाएगी। इन आदिवासियों के अनुसार, मधुमेह के रोगियों को बार-बार प्यास लगने की समस्या का निवारण इसी फ़ॉर्मुले से किया जा सकता है। वैसे, जब भी आप पहाड़ों या लंबी पगडंडियों पर सैर-सपाटे के लिए जाएं, तो इस फॉर्मुले को जरूर अपनाएं। प्यास कम लगेगी और थकान भी कम होगी।
- नींबू में पाया जाने वाला एसिड आपके कार के कांच की खिडकियों, फ़्रंट ग्लास और साइड मिरर आदि पर लगे धब्बों को खत्म कर देता है। कार के कांच वाले हिस्सों की बेहतर सफाई के लिए एक भाग शुद्ध पानी और दो भाग नींबू का रस अच्छी तरह से मिला लें और इसका कार के कांच वाले हिस्सों पर छिड्काव करें। फिर अखबार या वाईपर से पोछ दें। शीशे नए की तरह चमचमा उठेंगे।
- नारंगी (लेण्टाना कैमारा) जिसे लालटेन्या भी कहा जाता है, मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने का देसी उपाय है। नारंगी की पत्तियों को एकत्र कर साफ पानी से धो लें और फिर इसे कुचलकर पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट को लार्वा पाए जाने वाले पानी के स्रोतों जैसे गड्ढे, पोखर, नालियां और पानी के खुले टैंक आदि में डाल दिया जाए तो लार्वा कुछ समय में मर जाते हैं। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, नारंगी के पेस्ट की मात्रा 100 मिली प्रति 15 लीटर होनी चाहिए। आजमाकर देखें, कोई बुराई नहीं।
- गर्म करते वक्त अक्सर दूध उफ़न जाता है या इसकी मलाई बर्तन की सतह पर चिपक जाती है। इससे बचना चाहते हैं तो इस देसी फॉर्मूले को आजमाकर देखिये। दूध उबालने से पहले साफ पानी से बर्तन को धो कर गीले बर्तन में तुरंत दूध डाल दीजिए और साथ ही बर्तन के ऊपरी सतह पर या किनारे पर चारों तरफ़ घी, मक्खन या किसी भी खाद्य तेल को उंगली की सहायता से लगा दीजिए, दूध उफनेगा नहीं और मलाई भी अंदर नहीं चिपकेगी।
- आदिवासी ताजे नींबू के चारों तरफ़ तिल का तेल लेप कर देते हैं। इनके अनुसार, ऐसा करने से नींबू काफी लंबे समय तक ताजे रहते हैं और इन पर किसी तरह के दाग नहीं आते और न ही सिकुड़न पैदा होती है।
- गर्मियों में पातालकोट के हर्रा का छार गांव में आदिवासी नदी के किनारे छोटे गड्ढे करके पीने का पानी प्राप्त करते हैं। ये पानी मटमैला होता है, क्योंकि इसमें मिट्टी आदि के कण पाए जाते हैं। शुद्ध पानी प्राप्त करने के लिए आदिवासी गड्ढे में एक कप दही डाल देते हैं। एक-दो घंटे में पानी में घुले मिट्टी के कण तल में बैठ जाते है और आहिस्ता-आहिस्ता पानी एकत्र कर लिया जाता है। माना जाता है कि दही सूक्ष्मजीवों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। पानी पीने योग्य हो जाता है। घर में भी पानी को फ़िल्टर करने का यह एक अच्छा उपाय हो सकता है।
- ताजे नारियल की गिरी में खुली रहने पर अक्सर फफूंद पड़ हो जाती है। डांग, गुजरात के हर्बल जानकार आदिवासियों के अनुसार, इस गिरी को बेल पत्रों के साथ रख दिया जाए तो फफूंद का संक्रमण नहीं होता है।
- एक बाल्टी पानी में दो चम्मच लहसुन का रस और 2 बूंद नीलगिरी का तेल डाल दीजिए और फिर इससे घर में पोंछा कीजिए, अगले 5-6 घंटे तक मच्छरों का अता-पता नहीं रहेगा। इसी पानी को आंगन में छिड़क दीजिए, मच्छर दूर भाग जाएंगे।
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साभार: भास्कर समाचार
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