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एक बार एक योगी और उनका शिष्य एक बड़े शहर में पहुंचे। उनके पास पैसा
तो था नहीं। उन्हें भूख लगी थी और रात गुजारने के लिए कोई जगह भी चाहिए थी।
शिष्य को लगा कि भोजन के लिए तो भीख मांगनी पड़ेगी और किसी पार्क में आसरा
खोजना पड़ेगा। उसने योगी से कहा, 'समीप के पार्क में हम रात गुजार लेंगे।'
योगी ने आश्चर्य से पूछा, 'खुले में?' शिष्य ने कहा, 'हां, क्यों नहीं?'
योगी ने कहा, 'आज रात हम एक बड़े होटल में गुजारेंगे और वहां भोजन भी
करेंगे।' शिष्य ने कहा कि हमारे पास में पैसे तो हैं नहीं। इस पर योगी ने
आंखें बंद कीं और दस मिनट तक पूरी एकाग्रता से ध्यान किया। फिर वे शिष्य को
लेकर चलने लगे। जल्दी ही वे एक होटल पहुंचे। उनके पहुंचते ही एक व्यक्ति
आया और कहने लगा, 'मैं होटल का मैनेजर हूं और आप साधु नजर आते हैं। क्या आप
हमारे किचन में काम करेंगे? बदले में भोजन दूंगा और ठहरने के लिए जगह भी।'
दोनों राजी हो गए। एकांत पाकर शिष्य योगी से बोला, 'आप कोई जादू जानते हैं?' वे मुस्कराए और
बोले, 'मैं तुम्हें दिखाना चाहता था कि जब आप किसी चीज के बारे में पूरी
एकाग्रता से सोचते हैं और आपका मन उस चीज का विरोध नहीं करता तो वैसा ही हो
जाता है। इसका रहस्य यह है- विषय पर एकाग्रचित्त होना, कल्पना में उसे
देखना, उसको पूरे विस्तार से, बारीक ब्योरों सहित मन की आंखों के सामने
लाना, भरोसा रखना और उस काल्पनिक दृश्य पर मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा का
संचार करना। जब मन खाली हो और उसमें एक ही विचार को प्रवेश करने दिया जाए
तो वह बहुत ताकतवर हो जाता है। ऐसा विचार बहुत गहरा प्रभाव डालता है।' फिर
शिष्य ने कहा, 'अच्छा तो इस ताकत का इस्तेमाल करने के लिए मुझे मेरी
एकाग्रता बढ़ानी होगी।' योगी बोले, 'हां, यह पहला कदम है।'
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साभार: भास्कर समाचार
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