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ऐसी बहुत सी हाउसवाइफ हैं, जो पूरी तरह से अपने परिवार को
समर्पित होती हैं। फाइनेंस के मामले में वे खुद को शामिल नहीं करती हैं,
लेकिन घर को चलाने की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। फाइनेंस की सारी
टेंशन पति की होती है। हालांकि, घरेलू बजट में घर का सारा खर्च चलाना उनकी
जिम्मेदारी होती है। पिछले कुछ सालों में मंहगाई तो बढ़ गई है, लेकिन सैलरी
में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। कई बार ऐसा देखा गया है कि घर में कोई बड़ी मुसीबत आ जाने पर हाउसवाइफ
पर बहुत सारे बोझ पड़ जाते हैं। यदि पति की नौकरी चली जाए
या फिर उन्हें
कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तो आमदनी रुक जाती है, लेकिन खर्च नहीं। ऐसे में
महिलाओं को भी फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पूरी जानकारी रखनी जरूरी
है। आइए जानते हैं कि महिलाओं को जीवन में किस तरह फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए: - कैश फ्लो को मैनेज करने की आदत डालें: आम तौर पर कोई हाउसवाइफ केवल तभी बजट बनाती है जब वह किराने का सामान या घरेलू जरूरत का अन्य सामान खरीदती हैं। आपको चाहिए कि आप घर के हर तरह के खर्च के लिए बजट बनाने की आदत विकसित करें। इस बजट में वे चीजें भी शामिल करें, जो अब तक आपके पति संभालते आए हैं, जैसे लोन, बिजली का बिल, टेलीफोन का बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल, घर का किराया आदि। उसके बाद अपने परिवार की आमदनी का विश्लेषण करें और देखें कि क्या यह घर के कुल खर्च से अधिक है या कम। इसके लिए आपको किसी एक्सपर्ट की जरूरत नहीं है। अपने घर के पूरे बजट पर निगाह रखने के लिए आप एक्सेल शीट का इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर आप तकनीक से परिचित नहीं हैं, तो आप इसके लिए डायरी का उपयोग कर सकती हैं। अगर जरूरत हो, तो इसके लिए आप पति की मदद भी ले सकती हैं।
- अपने खर्चों पर लगाएं लगाम: आपने कैश फ्लो का बेहतरीन विश्लेषण कर लिया है और आपको यह पता चला है कि कुछ मोर्चों पर खर्च अधिक है। आप ऐसे तरीकों की तलाश करें जिनको अपना कर आप खर्चों को कम कर सकते हैं। रेस्तरां में खाना, वीकेंड पर मॉल में शॉपिंग करना, महीने में कई बार बाहर फिल्म देखने जाना ऐसे खर्च हैं जिनमें आप कटौती कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने विभिन्न बिल भी घटा सकते हैं। आप किस तरह के फोन कॉल करते हैं, इसका आकलन कर आप कंपनी से बात कर अपने लिए उपयुक्त पैकेज ले सकते हैं, जिससे आपका फोन बिल घट जाएगा। इसके अलावा अगर आप इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल नहीं करते, तो कम लागत वाला पैकेज ले लें। इसके अलावा घरेलू सामान की थोक शॉपिंग वहां से करें, जहां आपको लागत कम पड़े।
- बचत, बचत और बचत: हर हाउसवाइफ में पैसे बचाने की आदत होती है। इस आदत को विकसित करते हुए अपने लिए और परिवार के भविष्य के लिए बचत करना शुरू करना चाहिए। इसके लिए आप एक सेविंग्स एकाउंट खोल लें और जब भी आप बचत करें, उसमें पैसे जमा करें। आजकल बैंक महिलाओं के लिए बचत और निवेश के विभिन्न विकल्प उपलब्ध करा रहे हैं। इस तरह आप छोटी-छोटी राशि से बड़ी बचत करने में कामयाब हो सकते हैं।
- वित्तीय जागरुकता बढ़ाएं: आज महिलाओं के लिए भी वित्तीय जागरुकता की जरूरत है। अगर आप बाजार में उपलब्ध विभिन्न वित्तीय विकल्पों के बारे में जानेंगी, तो यह आपके भविष्य के लिए काफी मददगार साबित होगा। बेहतर होगा कि आप बैंकिंग प्रॉडक्ट्स से इसकी शुरुआत करें। बैंक जाएं और इन प्रॉडक्ट्स के बारे में पता करें। लेकिन किसी जानकार से चर्चा किए बगैर कोई फैसला न लें। आप इस बारे में पति से चर्चा कर सकती हैं या ऑनलाइन रिसर्च भी कर सकती हैं। वित्तीय विकल्पों के बारे में जानकारी होने पर आप यह तय कर सकेंगे कि आपके लिए क्या बेहतर है।
- फाइनेंशियल प्लान बनाने की जरूरत: अगर आप हाउसवाइफ हैं, तो मोटे तौर पर आप पति की प्लानिंग पर निर्भर होंगी। लेकिन आपात स्थितियां कभी भी आ सकती हैं, जिनकी वजह आपको खुद से वित्तीय निर्णय लेने पड़ सकते हैं। आपके पति के ऊपर जो भी दायित्व हो, उसमें आपको बराबर की हिस्सेदारी लेनी चाहिए। ऐसे में आपको हर फाइनेंशियल प्लान में अपने पति के साथ मिल कर भविष्य की तैयारी करनी चाहिए। यह पता करें कि आपातकालीन स्थितियों के लिए आपको किस तरह की योजना बनानी चाहिए। यह भी पता करें कि बच्चों की पढ़ाई के लिए आपको कितनी पूंजी की जरूरत होगी। सबसे बड़ी प्लानिंग रिटायरमेंट के बाद के लिए होनी चाहिए, जब आप अपने पति के साथ लंबा वक्त बिताएंगी। ऐसे में अगर आपको यह पता हो कि रिटायरमेंट के बाद के लिए आपके पास कितनी पूंजी होनी चाहिए, तो आपको इसके बारे में योजना बनाने में आसानी होगी।
- निवेश करें ताकि बढ़े पूंजी: अगर आप बचत कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए आपकी पूंजी में बढ़ोतरी हो। आपकी बचत आपके घर में पड़ी रहे या फिर आपके सेविंग्स एकाउंट में पड़ी रहे, तो यह बढ़ती महंगाई दर को नहीं पछाड़ सकती। ऐसे में यह जरूरी है कि पूंजी में बढ़ोतरी के लिए उसे निवेश किया जाए। इसके लिए या तो खुद को वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम बनाएं या फिर किसी जानकार की मदद लें। निवेश के बारे में जानने के लिए आप पति को भी योजना में शामिल कर सकती हैं।
- पढ़ना है बहुत जरूरी: कई ऐसी पत्रिकाएं, अखबार और ब्लॉग ऐसे हैं, जहां पर्सनल फाइनेंस की जानकारी उपलब्ध होती है। यहां तक कि महिलाओं पर केंद्रित कई पत्रिकाएं भी पर्सनल फाइनेंस पर जानकारी देने लगी हैं। असल उद्देश्य है मनी मैटर्स के बारे में जानकारी बढ़ाना। इससे न केवल आपको मिससेलिंग से बचने में मदद मिलेगी, बल्कि वित्तीय निर्णय लेने में भी आपकी सक्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा मुसीबत के वक्त में यह जानकारी आपके लिए काफी अहम रहेगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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